दून लिटरेचर फेस्टिवल में सद्गुरू जग्गी वासुदेव ने की शिरकत
देहरादून-राज्यपाल डाॅ कृष्ण कांत पाल ने यूनिसन वल्र्ड स्कूल में आयोजित देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल में रस्किन बाण्ड व आध्यात्मिक संत सद्गुरू जग्गी वासुदेव के साथ शुभारम्भ किया।इस अवसर पर उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए राज्यपाल डाॅ पाल ने कहा कि उत्तराखण्ड की प्राकृतिक सुन्दरता को टीवी कार्यक्रमों और फिल्मों में दिखाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य की विभिन्न पुस्तकाें का हिन्दी एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद पर बल दिया। इसी के साथ उन्होंने हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं की किताबों को अंग्रेजी में ट्रान्सलेट करने की आवश्यकता भी बताई।
राज्यपाल डाॅ कृष्ण कांत पाल ने कहा कि अनुवाद के माध्यम से किताबों को एक बडे पाठक वर्ग तक पहुंचाया जा सकता है। गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगौर की गीतांजलि की प्रसिद्धि बढाने में उनके अंग्रेजी अनुवाद का प्रमुख योगदान था। उन्होने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द की कृतियों का भी अंग्रेजी अनुवाद उनकी कृतियों को बहुत बडे पाठक वर्ग तक पहुंचा सकता हैं। राज्यपाल ने कहा है कि वर्तमान सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिवर्तन के दौर में साहित्यकारों, लेखकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। वे अपनी कृतियों से सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक मूल्यो को संरक्षित करते है।राज्यपाल डाॅ कृष्णकांत पाल ने कहा कि लेखकों और प्रकाशकों को बच्चो तथा युवावर्ग को लुभाने वाली पुस्तकाें पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। वर्तमान इंटरनेट और इलैेक्ट्रोनिक गजेट्स के समय में किताबे पढने वालो की संख्या में तेजी से कमी आयी है। अच्छी रोचक इलस्टेटेड किताबों से बच्चो को आकर्षित किया जा सकता है।देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल को एक अच्छा प्रयास बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड की धरती सदैव लेखको एवं साहित्यकारों की पसंद रही है। उन्होंने गौरापंत शिवानी, शेखर जोशी, शैलेष मटियानी, रस्किन बाण्ड, एलनशैली जैसे लेखको का उल्लेख किया। उत्तराखण्ड सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली रहा है। उद्घाटन सत्र में ईशा फाउण्डेशन के सद्गुरू जग्गी वासुदेव तथा प्रसिद्व लेखक रस्किन बाण्ड सहित अन्य गणमान्य अतिथि, साहित्यकार आदि उपस्थित थे। देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल 9 से 11 अगस्त तक आयोजित किया गया हैं।
राज्यपाल डाॅ कृष्ण कांत पाल ने कहा कि अनुवाद के माध्यम से किताबों को एक बडे पाठक वर्ग तक पहुंचाया जा सकता है। गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगौर की गीतांजलि की प्रसिद्धि बढाने में उनके अंग्रेजी अनुवाद का प्रमुख योगदान था। उन्होने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द की कृतियों का भी अंग्रेजी अनुवाद उनकी कृतियों को बहुत बडे पाठक वर्ग तक पहुंचा सकता हैं। राज्यपाल ने कहा है कि वर्तमान सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिवर्तन के दौर में साहित्यकारों, लेखकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। वे अपनी कृतियों से सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक मूल्यो को संरक्षित करते है।राज्यपाल डाॅ कृष्णकांत पाल ने कहा कि लेखकों और प्रकाशकों को बच्चो तथा युवावर्ग को लुभाने वाली पुस्तकाें पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। वर्तमान इंटरनेट और इलैेक्ट्रोनिक गजेट्स के समय में किताबे पढने वालो की संख्या में तेजी से कमी आयी है। अच्छी रोचक इलस्टेटेड किताबों से बच्चो को आकर्षित किया जा सकता है।देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल को एक अच्छा प्रयास बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड की धरती सदैव लेखको एवं साहित्यकारों की पसंद रही है। उन्होंने गौरापंत शिवानी, शेखर जोशी, शैलेष मटियानी, रस्किन बाण्ड, एलनशैली जैसे लेखको का उल्लेख किया। उत्तराखण्ड सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली रहा है। उद्घाटन सत्र में ईशा फाउण्डेशन के सद्गुरू जग्गी वासुदेव तथा प्रसिद्व लेखक रस्किन बाण्ड सहित अन्य गणमान्य अतिथि, साहित्यकार आदि उपस्थित थे। देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल 9 से 11 अगस्त तक आयोजित किया गया हैं।
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