बेरोजगारों ने लिखा खूनी पत्र प्रधानमंत्री के नाम
देहरादून-2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सरकार ने प्रत्येक वर्ष दो करोड़ नौकरिया देने का वादा किया था पर सरकार इसमें पूरी तरह विफल रही।आज जहाँ सरकार अपने चार साल पूरे होने पर अपने किये कामों का बखान करने में लगी हुई है वही दूसरी ओर पूरे देश के बेरोजगार युवा सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने में लगे हुऐ है।जगह जगह आये दिन बेरोजगारों का गुस्सा सरकार पर उतरता रहता है। एक हैरान करने वाला विरोध प्रदर्शन देहरादून में देखने को मिला जहाँ कुछ प्रशिक्षित बेरोजगारों द्वारा अपने खून से प्रधानमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नाम एक पत्र लिखा जिसमे उन्होने अपनी मांगों का हल निकालने का आग्रह सरकार से किया।
अब सवाल ये कि इनको ऐसा करने की क्या जरूरत पड़ी ये हम आपको बताते है दरसल ये युवा 126 दिनों से हड़ताल पर बैठे है पर आज तक उनकी सुनी नही गयी।हालांकि सांसद राज लक्ष्मी शाह जरूर इनसे मिली पर वो भी इनसे किये गये वादे को कचरे के ढेर में डालकर भूल गयी।पिछले 126 दिनों तक जब राज्य सरकार ने उनकी कोई सुध नही ली तो मजबूर होकर इनको प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचानी पड़ी।प्रधानमंत्री उनके खत पर ध्यान दे इसके लिए इन्होंने खून से बाकायदा इस पत्र को लिखा गया।अब सवाल ये उठता है कि की इनकी माँगे क्या इतनी कठिन है जो पूरी नही की जा सकती हैं तो आईये आपको इनकी माँगे भी बताते हैं।
दरसल ये युवा बी0पी0एड और एम0पी0एड के प्रशिक्षित बेरोजगार है और इनकी माँगे भी आपको बताते हैं- प्रत्येक उच्च प्राथमिक विद्यालयों में व्यायाम सिक्षक की नियुक्ति वर्ष वार और वरिष्ठता के अनुसार की जाय।-प्रत्येक शासकीय और अशासकीय इंटर कालेज में व्यायाम विषय का पद सृजित किया जाय-शाररिक शिक्षा अनिवार्य हो।इन माँगो में कुछ तो सरकार के एजेंडे में आते हैं जैसे व्यायाम।एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी स्वंय योग और स्वस्थ रहने की बात करते हैं और दूसरी ओर जिसमे उनकी ही पार्टी का शाशन हो वहाँ के बेरोजगार उसी छेत्र में रोजगार माँग रहे हो और उनको सुनने वाला कोई नही।तो क्या अब उत्तराखंड के बेरोजगारो को रोजगार अपने खून को देकर माँगना पड़ेगा।क्योंकि इन्ही बेरोजगारो ने केंद्र और उत्तराखंड में भाजपा को सत्ता तक पहुँचाया था और ऐसे ही हालात रहे तो आने वाले समय मे यही बेरोजगार सरकार को जमीन पर ला सकते हैं क्योंकि प्रधानमंत्री स्वयं ही कहते हैं कि इस देश मे सबसे ज्यादा 60% युवा वोटर है और अगर युवा परेशान हैं तो सरकारे भी चैन से नही रह सकती।
अब सवाल ये कि इनको ऐसा करने की क्या जरूरत पड़ी ये हम आपको बताते है दरसल ये युवा 126 दिनों से हड़ताल पर बैठे है पर आज तक उनकी सुनी नही गयी।हालांकि सांसद राज लक्ष्मी शाह जरूर इनसे मिली पर वो भी इनसे किये गये वादे को कचरे के ढेर में डालकर भूल गयी।पिछले 126 दिनों तक जब राज्य सरकार ने उनकी कोई सुध नही ली तो मजबूर होकर इनको प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचानी पड़ी।प्रधानमंत्री उनके खत पर ध्यान दे इसके लिए इन्होंने खून से बाकायदा इस पत्र को लिखा गया।अब सवाल ये उठता है कि की इनकी माँगे क्या इतनी कठिन है जो पूरी नही की जा सकती हैं तो आईये आपको इनकी माँगे भी बताते हैं।
दरसल ये युवा बी0पी0एड और एम0पी0एड के प्रशिक्षित बेरोजगार है और इनकी माँगे भी आपको बताते हैं- प्रत्येक उच्च प्राथमिक विद्यालयों में व्यायाम सिक्षक की नियुक्ति वर्ष वार और वरिष्ठता के अनुसार की जाय।-प्रत्येक शासकीय और अशासकीय इंटर कालेज में व्यायाम विषय का पद सृजित किया जाय-शाररिक शिक्षा अनिवार्य हो।इन माँगो में कुछ तो सरकार के एजेंडे में आते हैं जैसे व्यायाम।एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी स्वंय योग और स्वस्थ रहने की बात करते हैं और दूसरी ओर जिसमे उनकी ही पार्टी का शाशन हो वहाँ के बेरोजगार उसी छेत्र में रोजगार माँग रहे हो और उनको सुनने वाला कोई नही।तो क्या अब उत्तराखंड के बेरोजगारो को रोजगार अपने खून को देकर माँगना पड़ेगा।क्योंकि इन्ही बेरोजगारो ने केंद्र और उत्तराखंड में भाजपा को सत्ता तक पहुँचाया था और ऐसे ही हालात रहे तो आने वाले समय मे यही बेरोजगार सरकार को जमीन पर ला सकते हैं क्योंकि प्रधानमंत्री स्वयं ही कहते हैं कि इस देश मे सबसे ज्यादा 60% युवा वोटर है और अगर युवा परेशान हैं तो सरकारे भी चैन से नही रह सकती।
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