तलाक को नहीं तालीम को दे तवज्जो - सरस्वती
बिहार-फिदाए मिल्लम नगर, लहरा चौक किशनगंज में जीमयता उलमा ए बिहार में दसवीं विशाल आम सभा का आयोजन किया गया जिसमें भारत के विभिन्न प्रांतों के दो लाख से अधिक मौलाना एवं मुस्लिम भाईयों ने सहभाग किया।इस विशाल आम सभा को सम्बोधित करने हेतु मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता के रूप में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता और ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने जमीयत उलमा ए बिहार के मंच से दो लाख मुस्लिम भाईयों को सम्बोधित करना तथा उन्हें राष्ट्रीय एकता, धर्म रक्षा, अमन, एकता, सद्भाव, स्वच्छता और समरसता हेतु प्रेरित करना राष्ट्रीय एकता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।इस विशाल आम सभा को सम्बोधित करने हेतु मुख्य अतिथि के रूप में अमींरूल हिन्द हजरत मौलाना कारी सैय्यद मुहम्मद उस्मान साहब मनसूरपूरी सदर जींमयत ए उलमा ए हिन्द, कायद जमींयत ए हजरत मौलाना सैय्यद महमुद असअद मदनी साहब नाजिम उमुमीं जमींयत उलमा ए हिन्द, जनाब अलहाज वाहिद हुसैन साहब चिश्ती अंगारा गद्दी नशीन आस्ताना ए आलिया व सैक्रेट्री अनजुमन खुद्दाम ख्वाजा साहब अजमेर शरीफ और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने शिरकत की इस सम्मेलन का उद्देश्य मनुष्य के हृदय में प्रेम एवं मानवता के बीज डालना ताकि कौमी नारा ’हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में सब भाई-भाई’ को चरितार्थ किया जा सके। साथ ही जो साम्प्रदायिक ताकतें देश भर में नफरत का जहर घोल कर हमारी एकता को कमजोर कर रही है और
हमारी गंगा जमनीं तहजींब को नष्ट करना चाहती है ऐसे तत्वों के इरादों को मिट्टी में मिलाया जा सके। साथ ही हमारे मुल्क की मुल्यवान धन-सम्पत्ति, हमारा भविष्य, देश की यह युवा पीढ़ी आज नशा और शराब की दलदल में फंसती जा रही है, उन्हें इस दलदल से निकालना इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है।इस दिव्य कार्यक्रम की अध्यक्षता हजरत मौलाना मो० कासिम साहब, अध्यक्ष जमींयत उलमा ए बिहार, संयोजक हजरत मौलाना व मुफ्ती जावेद इकबाल साहब कास्मी, अध्यक्ष सह-जमींयत उलमा ए बिहार एवं इस कार्यक्रम का कुशल संचालन हजरत मौलाना मो० नाजिम साहब जनरल सेक्रेट्री जमींयत उलमा ए बिहार, हजरत मौलाना व मुफ्ती मो० मुनाजिर नौमानी कास्मी साहब सेक्रेट्री जमींयत उलमा ए किशनगंज व उस्ताद जामिया हुसैनिया मदनी नगर फर्रिगोला, किशनगंज द्वारा किया गया।इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, ’आज आतंकवाद की नहीं बल्कि अध्यात्मवाद की जरूरत है और अतिवाद की नहीं बल्कि आत्मवाद की आवश्यकता है इसलिये हमारे ऋषियों ने ’वसुधैव कुटुम्बकम’ अर्थात हम सब एक परिवार है; एक कुनबा है का संदेश दिया और कहा कि एक दूसरे के दर्द को समझे । हम सभी छोटी-छोटी दीवारों को तोडे़ और दरारों को भरे; दरकतों को लगाये; पेड़ों को लगाकर बाहर और भीतर भी हरियाली लायें। बिहार से पूरे वतन के लिये बहार लायी जा सकती है। बिहार से बहार का संदेश बाहर भी जाना चाहिये कि भारत एक है, एक था और एक रहेगा, कोई इसे न तो बाँट सकता है और न बेच सकता है। अपने वतन पर अपनी जान कुर्बान कर देंगे और उसे एक रखेंगे।
स्वामी ने कहा, हमारा आदर्श कसाब नहीं, कलाम है, एपीजे अब्दुल कलाम इस देश के आदर्श है हमें उनका अनुकरण करना चाहिये। किसी भी राष्ट्र का अस्तित्व वहां के निवासियों की एकता पर निर्भर करता है। मजहबी रूप से भले ही हमारे मध्य भिन्नता हो परन्तु हमारी राष्ट्रीयता एक है। स्वामी ने सभी से आह्वान किया कि जीवन में ऐसे कर्म करे जिससे साम्प्रदायिक तनाव नहीं बल्कि साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा मिले। भारत के पास बाहरी मसलों को निपटाने की ताकत है; हमारी सेना बाहरी ताकतों को निपटाने में पूर्णरूप से सक्षम है। अब हमें आन्तरिक एकता को बनाये रखने के लिये एकजुट होना होगा। धर्म, जाति, सम्प्रदाय से उपर उठकर मनुष्यता की रक्षा और राष्ट्रीय एकता के लिये अपने आप को समर्पित करना होगा। हम संगठित होंगे तो देश मजबूत बनेगा, हमारे पास विविधता में एकता की संस्कृति है अतः हमारे शब्द; हमारे उद्बोधन ऐेसे हो जो विघटन को नहीं बल्कि संगठन जन्म दें। उन्होने कहा कि हमारा मजहब अलग हो; मजहबी रंग भिन्न हो परन्तु हमारा तिरंगा एक है, उस तिरंगे की शान को बनाये रखने के लिये हमे एकता से मजबूत सूत्र में बधंना होगा। हमारी संस्कृति ईद पर सभी को गले लगाने और होली के अवसर पर विविध रंगों में रंगने की है यही विविधता मंे एकता हमारी पहचान है। स्वामी ने कौमी एकता जिंदाबाद के नारे के साथ अपना उद्बोधन समाप्त किया।
हमारी गंगा जमनीं तहजींब को नष्ट करना चाहती है ऐसे तत्वों के इरादों को मिट्टी में मिलाया जा सके। साथ ही हमारे मुल्क की मुल्यवान धन-सम्पत्ति, हमारा भविष्य, देश की यह युवा पीढ़ी आज नशा और शराब की दलदल में फंसती जा रही है, उन्हें इस दलदल से निकालना इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है।इस दिव्य कार्यक्रम की अध्यक्षता हजरत मौलाना मो० कासिम साहब, अध्यक्ष जमींयत उलमा ए बिहार, संयोजक हजरत मौलाना व मुफ्ती जावेद इकबाल साहब कास्मी, अध्यक्ष सह-जमींयत उलमा ए बिहार एवं इस कार्यक्रम का कुशल संचालन हजरत मौलाना मो० नाजिम साहब जनरल सेक्रेट्री जमींयत उलमा ए बिहार, हजरत मौलाना व मुफ्ती मो० मुनाजिर नौमानी कास्मी साहब सेक्रेट्री जमींयत उलमा ए किशनगंज व उस्ताद जामिया हुसैनिया मदनी नगर फर्रिगोला, किशनगंज द्वारा किया गया।इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, ’आज आतंकवाद की नहीं बल्कि अध्यात्मवाद की जरूरत है और अतिवाद की नहीं बल्कि आत्मवाद की आवश्यकता है इसलिये हमारे ऋषियों ने ’वसुधैव कुटुम्बकम’ अर्थात हम सब एक परिवार है; एक कुनबा है का संदेश दिया और कहा कि एक दूसरे के दर्द को समझे । हम सभी छोटी-छोटी दीवारों को तोडे़ और दरारों को भरे; दरकतों को लगाये; पेड़ों को लगाकर बाहर और भीतर भी हरियाली लायें। बिहार से पूरे वतन के लिये बहार लायी जा सकती है। बिहार से बहार का संदेश बाहर भी जाना चाहिये कि भारत एक है, एक था और एक रहेगा, कोई इसे न तो बाँट सकता है और न बेच सकता है। अपने वतन पर अपनी जान कुर्बान कर देंगे और उसे एक रखेंगे।
स्वामी ने कहा, हमारा आदर्श कसाब नहीं, कलाम है, एपीजे अब्दुल कलाम इस देश के आदर्श है हमें उनका अनुकरण करना चाहिये। किसी भी राष्ट्र का अस्तित्व वहां के निवासियों की एकता पर निर्भर करता है। मजहबी रूप से भले ही हमारे मध्य भिन्नता हो परन्तु हमारी राष्ट्रीयता एक है। स्वामी ने सभी से आह्वान किया कि जीवन में ऐसे कर्म करे जिससे साम्प्रदायिक तनाव नहीं बल्कि साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा मिले। भारत के पास बाहरी मसलों को निपटाने की ताकत है; हमारी सेना बाहरी ताकतों को निपटाने में पूर्णरूप से सक्षम है। अब हमें आन्तरिक एकता को बनाये रखने के लिये एकजुट होना होगा। धर्म, जाति, सम्प्रदाय से उपर उठकर मनुष्यता की रक्षा और राष्ट्रीय एकता के लिये अपने आप को समर्पित करना होगा। हम संगठित होंगे तो देश मजबूत बनेगा, हमारे पास विविधता में एकता की संस्कृति है अतः हमारे शब्द; हमारे उद्बोधन ऐेसे हो जो विघटन को नहीं बल्कि संगठन जन्म दें। उन्होने कहा कि हमारा मजहब अलग हो; मजहबी रंग भिन्न हो परन्तु हमारा तिरंगा एक है, उस तिरंगे की शान को बनाये रखने के लिये हमे एकता से मजबूत सूत्र में बधंना होगा। हमारी संस्कृति ईद पर सभी को गले लगाने और होली के अवसर पर विविध रंगों में रंगने की है यही विविधता मंे एकता हमारी पहचान है। स्वामी ने कौमी एकता जिंदाबाद के नारे के साथ अपना उद्बोधन समाप्त किया।
इस कार्यक्रम में मुख्य वक्तागण हजरत मौलाना मो हकीमुद्दीन साहब कास्मीं सेक्रेट्र जमींयत उलमा ए हिन्द, हजरत मौलाना अनवार आलम साहब, नाजीम ए उमुमीं दारूल उलूम बहादुरगंज, हजरत मौलाना मुफ्ती इफ्तिखार आलम साहब, अध्यक्ष जमींयत उलमा ए कर्नाटक, हजरत मौलाना मो असरारूल हक साहब कास्मी, सदर आॅल इंडिया तालिमी व मिल्ली फाउन्डेशन दिल्ली, हजरत मौलाना मुतीउर्ररहमान साहब सल्फी चेयरमेन तौहीद एजुकेश्नल ट्रस्ट, किशनगंज, हजरत मौलाना सिद्दीकुल्लाह साहब चैधरी राज्य मंत्री एवं अध्यक्ष जमींयत उलमा ए पश्चिम बंगाल, हजरत मौलाना मुफ्ती सोहराब आलम साहब नदवी कास्मी नायब नाजींम इमारत ए शरइया पटना, हजरत मौलाना अब्दुल अमींम साहब रिज्वी मदरसा गौसिया, नटवापारा किशनगंज।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने इस विशाल जन सभा को जल संरक्षण और पौधा रोपण का संदेश दिया। साथ ही सभी विशिष्ट अतिथियों को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया और कहा कि जिस प्रकार पेड़ सभी को समान रूप से छाया और फल देते है उसी प्रकार हम किसी भी धर्म और मजहब के हो परन्तु सबके लिये जियें सब के लिये मरे और सब के लिये करे। हमारे लिये वतन पहले हो बाकी सब बाद में हो, यह भावना हमारी राष्ट्रीय एकता को और मजबूती प्रदान करेंगी।
Comments
Post a Comment