दिव्यांग जनों का दल हुआ बाबा-केदार के लिए रवाना
ऋषिकेश-अपने हौसलों के बूते दम रखने वाले दिव्यांग जनों का दल देहरादून से बद्री केदार धाम के लिए रवाना हो गया है, दिव्यांग जनों की है चौथी साहसिक केदारनाथ यात्रा है इस साहसिक यात्रा में 2013 के आपदा पीड़ित राकेश लाल भी अपनी चौथी यात्रा को पूरी करेंगे सरकार से आर्थिक सहायता ना मिलने पर भी हताश ना होने वाले राकेश लाल मदमस्त होकर बाबा बद्री-केदार के दर्शनों को जाते हैं और उन से यही मनोकामना होती है कि जैसे भी रहे जिस हाल में रहें खुशहाल रहें, दल को हरी झंडी दिखाते हुए विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने दल को शुभकामनाएं दी दिव्यांग दलों के इस दल में 10 दिव्यांग यात्री शामिल है ऋषिकेश से यह दल सुबह 10 बजे रवाना हुआ ,आपको बता दें कि दिव्यांग जनों का यह
दल दो धाम बद्री केदार यात्रा पर है दिव्यांग दल ऋषिकेश से रवाना होकर रात्रि विश्राम सीतापुर में करेंगे जिसके बाद सुबह 4:00 बजे यह दल पैदल केदारनाथ धाम के लिए 20 किलोमीटर की लंबी चढ़ाई तय करेगा साथ ही 29 तारीख को कपाट खुलने पर बाबा के दर्शन कर यह दल वापसी आएगा और फिर भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करेगा 5 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में दिव्यांग जनों के हौसले काफी बुलंद है दिव्यांग जनों का कहना है कि वह अपनी शारीरिक अक्षमता के बावजूद भी एक संदेश देना चाहते हैं कि शारीरिक अक्षमता के बाद जो लोग खुद को निष्क्रिय समझते हैं उन्हें कभी हार नहीं माननी चाहिए दल की अगुवाई कर रहे डॉक्टर विजय कुमार नौटियाल का कहना है कि उन्हें दिव्यांग जनों को केदारनाथ बद्रीनाथ जैसी यात्रा करवाने में काफी खुशी होती है वह चाहता है कि कोई भी दिव्यांग खुद को अक्षम न समझे!
दल दो धाम बद्री केदार यात्रा पर है दिव्यांग दल ऋषिकेश से रवाना होकर रात्रि विश्राम सीतापुर में करेंगे जिसके बाद सुबह 4:00 बजे यह दल पैदल केदारनाथ धाम के लिए 20 किलोमीटर की लंबी चढ़ाई तय करेगा साथ ही 29 तारीख को कपाट खुलने पर बाबा के दर्शन कर यह दल वापसी आएगा और फिर भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करेगा 5 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में दिव्यांग जनों के हौसले काफी बुलंद है दिव्यांग जनों का कहना है कि वह अपनी शारीरिक अक्षमता के बावजूद भी एक संदेश देना चाहते हैं कि शारीरिक अक्षमता के बाद जो लोग खुद को निष्क्रिय समझते हैं उन्हें कभी हार नहीं माननी चाहिए दल की अगुवाई कर रहे डॉक्टर विजय कुमार नौटियाल का कहना है कि उन्हें दिव्यांग जनों को केदारनाथ बद्रीनाथ जैसी यात्रा करवाने में काफी खुशी होती है वह चाहता है कि कोई भी दिव्यांग खुद को अक्षम न समझे!
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