योग हमारे भीतर के परमतत्व से हमारा साक्षात्कार कराता है

 ऋषिकेश। विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के सातवें दिन पूर्णाहूति के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन  में विश्व प्रसिद्ध योगगुरू स्वामी रामदेव , स्वामी चिदानन्द सरस्वती , भानुजी (श्री श्री रविशंकर  की बहन), मुम्बई के योग इन्स्ट्टियूट की प्रमुख योग गुरू एवं लेखक हंसा जयदेव योगेन्द्र जी, डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती , ब्राजील से आये  प्रेम बाबा , दक्षिण अमेरिका से आये स्वामी परमाद्वैति , लद्दाख से आये बौद्ध गुरू भिक्खु संघसेना  एवं अध्यात्म जगत के शिखरस्थ दिग्गज एवं प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक डाॅ ब्रूस लिप्टन एवं प्रसिद्ध सूुफी गायक कैलास खेर और कैलासा बैंड के सदस्य तथा अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।वल्र्ड बुक आॅफ रिकाॅड्र्स पुरस्कार, लंदन (यूके) द्वारा स्वामी चिदानन्द सरस्वती  और साध्वी भगवती सरस्वती  को परमार्थ निकेतन अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में 70 घन्टे तक योग कक्षाओं की मेजबानी करने के लिये ’’विश्व रिकार्ड’’ पुरस्कार सम्मानित किया गया। 1 से 7 मार्च तक योग की कई विधाओं का अभ्यास योगाचार्यों द्वारा कराया गया। उन्होने माना की यह विश्व का सबसे बड़ा योगियों का परिवार है जहां पर विभिन्न संस्कृतियों, रंग, धर्म, भाषा के योगी एकजुट होकर वैश्विक चेतना का विस्तार करते है। इस पुरस्कार को देने के लिये ब्रिटेन से  वीरेेंद्र शर्मा, संसद सदस्य इंग्लैड़ और डाॅ दिवाकर सुकुल अध्यक्ष, वल्र्ड बुक आॅफ रिकाॅड्र्स,
लंदन और अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य के अन्य गणमान्य व्यक्ति पधारे है उन्होने माँ गंगा के तट पर  स्वामी  और साध्वी  को विश्वस्तर के विशेष पुरस्कार से नवाजा।इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष  स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि ’’योग, भीतर और बाहर के पर्यावरण में सन्तुलन पैदा करता है। साथ ही योग हमें भीतरी और बाहरी पर्यावरण प्रति जागृत होने का संदेश देता है। आज यहां पर योग महोत्सव का समापन नहीं बल्कि यह तो हर दिल तक योग को पहुंचाने की यात्रा का आरम्भ है। विश्व के 96 देशों से आये योग साधक, योग की जन्मस्थली से योग का बीज लेकर जाये और पूरे विश्व को योगमय करे। उन्होने सभी से आह्वान किया कि भारत के प्रधाममंत्री  नरेन्द्र मोदी  ने योग को एक नई पहचान दी है और अब आप सभी को वैश्विक स्तर पर हर व्यक्ति के दिल में योग के लिये स्थान बनाना है। उन्होने कहा कि जीवन में योग होगा तो दिलों में संयोग होगा।  आज यह पूर्णाहुति समारोह वियोग का नहीं बल्कि संयोग; सामन्जस्य; सद्भाव और समरसता का आयोजन है।डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती  ने कहा कि ’’योग, हमारे भीतर के परमतत्व से हमारा साक्षात्कार कराता है इसके माध्यम से हम जीवन की नकारात्मक परतों से उबरकर बोधत्व को प्राप्त करते है। योग स्वंय से जुड़ने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है।साध्वी आभा सरस्वती, माताजी, योगाचार्य गुरूमुख कौर खालसा, योगाचार्य गुरूशब्द सिंह खालसा, योगाचार्य लौर प्लम्ब, योगाचार्य टाॅमी रोजेन, गायक डैफनी त्से, योगाचार्य किया मिलर, एच एस अरूण, ऐरिका काफॅमेन, युवा दयालन, एना फाॅरेस्ट, जोज कैलार्क, मोहन भण्डारी, गुरू शब्द सिंह खालसा, रूजुता दिवाकर, जुल्फ फेबर, भारत शेट्टी, अकीरा वाटामोटो, हिकारू हशिमोटो, राॅबर्टो मिल्लेटी, फ्रांसेस्का कैसिया, मर्ट गूलर, मोहन राज, सत्या कालरा, सत्या हिन्दुजा अन्य विशिष्ट अथितियों, योगाचार्यो एवं विश्व के 96 देशों से आये 2000 से अधिक योग जिज्ञासुओं ने आज अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की पूर्णाहुति के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प ग्रहण किया।










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