फूलदेई छम्मादेई , दैणोद्वार भरभकार योदेई सौ नमस्कार , पूजैद्वार बारम्बार
देहरादून--चैत्र मास का प्रथम दिन , मीन संक्रांति को यहाँ फूलदेई के नाम से पुकारते हैं । इस दिन गृहणियां प्रात:काल उठकर घर की सफाई करके घर की देहली को गेरवे या गोबर-मिट्टी सेलीप कर उसे ऐपणों (मांगलिक आरेखों ) से अलंकृत करती हैं तथा घर की कुमारी कन्याएं उस पर घर की सुख शान्ति कीमंगल कामनाओं के फूलों को अर्पित करती हैं । यह कहा जाता है कि पहले रक्त,पीत,श्वेत (बुरांस,फ्योंली,कुंज) के फूलों का प्रयोग किया जाता था किन्तु अब उद्यानोद्भव फूलों का प्रचलन है । यह एक माह तक चलता है । "" यह गीत भी गाती हैं ।
फूलदेई छम्मादेई , दैणोद्वार भरभकार । योदेई सौ नमस्कार , पूजैद्वार बारम्बार ।इस तरह बालक-बालिकायें मास पर्यन्त ताजे फूलों से द्वार पूजन करतें हैं । बदले में गृहपति पैसौं व मिष्टान्नों से उन्हें सन्तुष्टि प्रदान करते हैं । "यह परम्परा वसन्त ऋतु के प्रारम्भ में होती है इसका वैज्ञानिक कारण यह भी हो सकता है कि इस परम्परा के निर्वहन में बालक- बालिकायें प्रात:काल उठ कर मलयाचल की मधुर वायु का सेवन कर स्वास्थ्य लाभ कर लाभान्वित हो सकें । अस्तु जो भी हो अपनी परम्परा की विशेषता के लिए एक बार आभार व शुभ कामनाएँ । व नव वर्ष की प्रतीक्षा में ...
फूलदेई छम्मादेई , दैणोद्वार भरभकार । योदेई सौ नमस्कार , पूजैद्वार बारम्बार ।इस तरह बालक-बालिकायें मास पर्यन्त ताजे फूलों से द्वार पूजन करतें हैं । बदले में गृहपति पैसौं व मिष्टान्नों से उन्हें सन्तुष्टि प्रदान करते हैं । "यह परम्परा वसन्त ऋतु के प्रारम्भ में होती है इसका वैज्ञानिक कारण यह भी हो सकता है कि इस परम्परा के निर्वहन में बालक- बालिकायें प्रात:काल उठ कर मलयाचल की मधुर वायु का सेवन कर स्वास्थ्य लाभ कर लाभान्वित हो सकें । अस्तु जो भी हो अपनी परम्परा की विशेषता के लिए एक बार आभार व शुभ कामनाएँ । व नव वर्ष की प्रतीक्षा में ...
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