मुख्यमंत्री ने बिजली और पानी का बंटवारा लखवाड़ केअनुसार करने की मांग

नई दिल्ली-मुख्यमंत्री  त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में विज्ञान भवन में अपर यमुना रिव्यू कमेटी की बैठक में प्रतिभाग किया। यह बैठक केन्द्रीय जल संसाधन विकास मंत्री  नितिन गडकरी की अध्यक्षता में हुई। बैठक में उत्तराखण्ड सहित उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश ने भी प्रतिभाग किया। बैठक में मुख्यमंत्री  त्रिवेंद्र ने उत्तराखण्ड की लखवाड़ एवं किशाऊ बहुउद्देशीय जल विद्युत परियोजनाओं पर राज्य का पक्ष प्रबलता से रखा।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना में ऊर्जा उत्पादन का पूरा खर्च उत्तराखण्ड द्वारा वहन किया जा रहा है और इस परियोजना के सभी सामाजिक पर्यावरणीय प्रभाव भी उत्तराखण्ड द्वारा ही वहन किये जायेंगे। ऐसे में लखवाड़ परियोजना द्वारा उत्पादित कुल 300 मेगावाट बिजली पर उत्तराखण्ड का ही अधिकार बनता है। इस पर सभी राज्यों द्वारा सहमति व्यक्त की गई है। बैठक में यह तय हुआ कि लखवाड़ परियोजना के जल का वितरण वर्ष 1994 में हुए समझौते के आधार पर होगा। सभी सम्बन्धित राज्य इस समझौते पर अपनी सहमति शीघ्र जारी करेंगे। इसी प्रकार किशाऊ जल विद्युत परियोजना के सम्बंध में भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने बिजली और पानी का बंटवारा लखवाड़ के अनुसार ही करने की मांग रखी।बैठक में मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र द्वारा लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना के संदर्भ में रखे गये राज्य के
पक्ष के फलस्वरूप राजस्थान सरकार द्वारा परियोजना के क्रियान्वयन में की जा रही रूकावट को दूर किया गया। इसके साथ ही लखवाड़ परियोजना हेतु वित्तीय सहायता की आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी, भारत सरकार से त्वरित स्वीकृति प्रदान किये जाने का भी निर्णय लिया गया। इस निर्णय के उपरान्त परियोजना पर निर्माण कार्य की प्रक्रिया शीघ्र प्रारम्भ हो सकेगी तथा राज्य को 300 मेगावाॅट विद्युत प्राप्त हो सकेगी। मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र द्वारा किशाऊ बहुउद्देशीय परियोजना के सम्बन्ध में किए गये विशेष अनुरोध पर बैठक में यह निर्णय लिया गया कि किशाऊ परियोजना में भी जल घटक (वाॅटर कम्पोनेन्ट) एवं ऊर्जा घटक (पाॅवर कम्पोनेन्ट) के बंटवारे का निर्णय लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के अनुसार किया जायेगा। उक्त निर्णय से परियोजना के ऊर्जा घटक की लागत कम होगी साथ ही राज्य सरकार पर परियोजना निर्माण हेतु वित्तीय भार कम होगा। बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र एवं केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री द्वारा इन योजनाओं के संबंध में व्यापक चर्चा की गई। उल्लेखनीय है कि यमुना घाटी पर स्थित तीनों परियोजनायें क्रमशः किशाऊ बहुद्देशीय परियोजना, लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना एवं रेणुका बहुद्देशीय परियोजना से जल बंटवारे (वाटॅर शेयरिंग) हेतु 1994 में हुये समझौते पर सहभागी राज्यों की सहमति लम्बे समय से नही बन सकी थी।  बैठक के उपरान्त सभी राज्यों के द्वारा अविलम्ब समझौता प्रपत्र हस्ताक्षरित करने का निर्णय लिया गया।

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