उत्तराखंड में पवन ऊर्जा से होगा विद्युत उत्पादन
देहरादून-पवन ऊर्जा ऐसी मशीन है जो हवा के वेग या बहाव की ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करती है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब हवा चलती है तो वह सीधी दिशा में जाती है जिसे रेखीय गति कहते हैं। पवनचक्की में लगे पंख अपनी क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण देते हुए हवा की इस रेखीय गति को घूर्णीय गति में परिवर्तित कर देते हैं और पवनचक्की में लगी टर्बाइन इस घूर्णन से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न कर देती है।प्राचीन मिश्र के निवासी नील नदी में अपनी नावों के परिचालन के लिए पवन ऊर्जा का प्रयोग करते थे,
माना जाता है कि इसकी परिकल्पना आज से लगभग 4000 ई0पू0 की होगी। पवन शक्ति से विद्युत उत्पादन का प्रयोग पहली बार 1887 में स्टाटलैंड में किया गया, उस वक्त डाइनेमो के द्वारा विद्युत बनाने में इसका प्रयोग किया जाता था। इस तथ्य से कोई भी अन्जान नहीं है कि उत्तर भारत में इस प्रकार की तकनीकियों का इस्तेमाल ना के बराबर होता है। यह भी सत्य है कि पवन शक्ति की ऊर्जा गतिज ऊर्जा होती है एवं वायु के वेग में कमी या बढ़ोतरी होने पर पवनचक्कियां ठीक तरीके से कार्य नहीं करती। यदि वायु की गति 320 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी तो वह पवनचक्की के संचालन में बाधा करेगी एवं वायु की गति 48 किमी0 प्रति घंटा होती है तो इस स्थिति में भी कार्य करना जटिल होगा।अब इस कड़ी में मसूरी विधानसभा क्षेत्र में पवन ऊर्जा के विकास हेतु क्षेत्र के ऊॅचाई वाले स्थानों को चुना है।मसूरी, सुवाखोली एवं बुरासंखण्डा को पवनशक्ति क्षेत्र के रुप मे विकसित करना चाहते हैं। हालांकि अभी इसे परवान चढ़ने में वक्त लग सकता है।
माना जाता है कि इसकी परिकल्पना आज से लगभग 4000 ई0पू0 की होगी। पवन शक्ति से विद्युत उत्पादन का प्रयोग पहली बार 1887 में स्टाटलैंड में किया गया, उस वक्त डाइनेमो के द्वारा विद्युत बनाने में इसका प्रयोग किया जाता था। इस तथ्य से कोई भी अन्जान नहीं है कि उत्तर भारत में इस प्रकार की तकनीकियों का इस्तेमाल ना के बराबर होता है। यह भी सत्य है कि पवन शक्ति की ऊर्जा गतिज ऊर्जा होती है एवं वायु के वेग में कमी या बढ़ोतरी होने पर पवनचक्कियां ठीक तरीके से कार्य नहीं करती। यदि वायु की गति 320 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी तो वह पवनचक्की के संचालन में बाधा करेगी एवं वायु की गति 48 किमी0 प्रति घंटा होती है तो इस स्थिति में भी कार्य करना जटिल होगा।अब इस कड़ी में मसूरी विधानसभा क्षेत्र में पवन ऊर्जा के विकास हेतु क्षेत्र के ऊॅचाई वाले स्थानों को चुना है।मसूरी, सुवाखोली एवं बुरासंखण्डा को पवनशक्ति क्षेत्र के रुप मे विकसित करना चाहते हैं। हालांकि अभी इसे परवान चढ़ने में वक्त लग सकता है।
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