यूकेडी ने फूंका सरकार का पुतला
देहरादून-उत्तराखण्ड क्रान्ति दल की महानगर इकाई द्वारा घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज पौड़ी में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा 220 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के भविष्य से संबंधित अनियमितताओं की जांच की मांग को लेकर पिछले 5 दिनों से आमरण अनशन कर रहे उत्तराखंड क्रांति दल के जिलाध्यक्ष सुबोध पोखरियाल को प्रदेश सरकार के इशारे पर जिला प्रशासन द्वारा उनकी मांगे सुनने के बजाए जबरन आमरण अनशन से उठाए जाने तथा लोकतांत्रिक आंदोलन को लोकतांत्रिक तरीके से कुचलने का प्रयास करने के विरोध में प्रदेश सरकार का पुतला दहन किया।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड क्रांति दल की महानगर इकाई द्वारा सरकार को सुबोध पोखरियाल की मांगों को गंभीरता से ना सुनने की दशा में आंदोलन की चेतावनी दी थी। किंतु जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली प्रदेश सरकार घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच कराने से डर रही है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में प्रदेश सरकार की सक्रियता का यह आलम है कि जांच की बात तो दूर उल्टा जांच की मांग करने वाले आंदोलनकारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन कर रही है।जिला प्रशासन द्वारा आमरण अनशनकारी सुबोध पोखरियाल को जबरन धरना स्थल से उठा दिया गया तथा अस्पताल में ले जाकर जबरन ड्रिप चढ़ा कर उनका अनशन समाप्त कर दिया गया। सरकार ने भले ही पोखरियाल का जबरन अनशन समाप्त करवा दिया। लेकिन उनकी भूख हड़ताल मांगे पूरी होने तक जारी रहेगी।उल्लेखनीय है कि सुबोध पोखरियाल का वजन पिछले 5 दिनों में 8 किलोग्राम कम होने पर जिला प्रशासन द्वारा सुबोध पोखरियाल को जबरन अनशन से उठा दिया था। पोखरियाल का कहना है कि तीन मांगे तत्काल मनी जानी चाहिए जोे की जिला प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में आती है।उनका कहना है कि अनियमितताओं में शामिल ठेकेदारों को तत्काल ब्लैक लिस्टेड किया जाए। इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रधानाचार्य द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए तथा 220 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को उपनल के माध्यम से समायोजित किया जाए। यह तीनों मांगे जिलाधिकारी के माध्यम से पूर्ण हो सकती है ।किंतु सरकार जांच की मांग से पीछे भाग रही है ।उल्लेखनीय है कि सुबोध पोखरियाल के आमरण अनशन के बाद जांच में आरोपित सहायक रजिस्ट्रार को जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में निलंबित कर दिया गया है। जिससे भ्रष्टाचार का आरोप प्रथमदृष्टया सही साबित होता है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड क्रांति दल की महानगर इकाई द्वारा सरकार को सुबोध पोखरियाल की मांगों को गंभीरता से ना सुनने की दशा में आंदोलन की चेतावनी दी थी। किंतु जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली प्रदेश सरकार घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच कराने से डर रही है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में प्रदेश सरकार की सक्रियता का यह आलम है कि जांच की बात तो दूर उल्टा जांच की मांग करने वाले आंदोलनकारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन कर रही है।जिला प्रशासन द्वारा आमरण अनशनकारी सुबोध पोखरियाल को जबरन धरना स्थल से उठा दिया गया तथा अस्पताल में ले जाकर जबरन ड्रिप चढ़ा कर उनका अनशन समाप्त कर दिया गया। सरकार ने भले ही पोखरियाल का जबरन अनशन समाप्त करवा दिया। लेकिन उनकी भूख हड़ताल मांगे पूरी होने तक जारी रहेगी।उल्लेखनीय है कि सुबोध पोखरियाल का वजन पिछले 5 दिनों में 8 किलोग्राम कम होने पर जिला प्रशासन द्वारा सुबोध पोखरियाल को जबरन अनशन से उठा दिया था। पोखरियाल का कहना है कि तीन मांगे तत्काल मनी जानी चाहिए जोे की जिला प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में आती है।उनका कहना है कि अनियमितताओं में शामिल ठेकेदारों को तत्काल ब्लैक लिस्टेड किया जाए। इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रधानाचार्य द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए तथा 220 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को उपनल के माध्यम से समायोजित किया जाए। यह तीनों मांगे जिलाधिकारी के माध्यम से पूर्ण हो सकती है ।किंतु सरकार जांच की मांग से पीछे भाग रही है ।उल्लेखनीय है कि सुबोध पोखरियाल के आमरण अनशन के बाद जांच में आरोपित सहायक रजिस्ट्रार को जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में निलंबित कर दिया गया है। जिससे भ्रष्टाचार का आरोप प्रथमदृष्टया सही साबित होता है।
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