शिक्षा मस्तिष्क को केवल भरे ही नही बल्कि उसे जागृत भी करे-राज्यपाल
देहरादून-राज्यपाल डॉ कृष्ण कांत पाल ने कहा है कि लगातार बदलते दौर में शिक्षा के वास्तविक उद्देश्यों पर फोकस किए जाने की आवश्यकता है। शिक्षा में सृजनात्मकता, तार्किकता, वैज्ञानिक विश्लेषण व सांस्कृतिक मूल्यों का समावेश करना होगा। राज्यपाल, प्रिंसीपल प्रोग्रेसिव स्कूल एशोसिएशन द्वारा आयोजित सेमीनार के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में शिक्षा के उद्देश्य बदल गए हैं। शिक्षा में सूचना की प्राप्ति को अधिक महत्व दिया जा रहा है जबकि सृजनात्मकता, तार्किकता, वैज्ञानिक विश्लेषण व सांस्कृतिक मूल्य छूट जा रहे हैं।
अजीज प्रेम जी फाउंडेशन द्वारा कक्षा दस के बोर्ड के दस वर्षों के प्रश्न पत्रों के विश्लेषण में पाया गया है कि 80 प्रतिशत प्रश्न केवल पाठ्य सामग्री को याद करने की योग्यता को परखने वाले थे। राज्यपाल ने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो, जिससे छात्र दुनिया को एक व्यापक व संतुलित नजरिए से देखने में सक्षम बनें। सम्पूर्ण शिक्षा ही आज के छात्र को कल का आदर्श नागरिक बना सकती है। शिक्षा मस्तिष्क को केवल भरे ही नही बल्कि उसे जागृत भी करे।इंटरनेट के युग में सूचनाओं की एक तरह से बाढ़ है। ऐसे में गलत व भ्रामक सूचनाओं से छात्रों को बचाने की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी अध्यापकों पर है। छात्रों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिए ठोस नींव रखने की भूमिका अध्यापकों को निभानी है। डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम ने भी सृजनात्मकता को भविष्य में सफलता की कुंजी बताते हुए कहा था कि स्कूली शिक्षा के दौरान ही बच्चों में सृजनात्मकता लाई जा सकती है। एसोसिएशन की स्मारिका का विमोचन भी किया गया। साथ ही विभिन्न स्कूलों के प्राचार्यों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जगदीश भल्ला, आईएमए के कमांडेंट ले.जनरल एस.के झा, सीबीएसई के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली, एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप आदि उपस्थित थे।
अजीज प्रेम जी फाउंडेशन द्वारा कक्षा दस के बोर्ड के दस वर्षों के प्रश्न पत्रों के विश्लेषण में पाया गया है कि 80 प्रतिशत प्रश्न केवल पाठ्य सामग्री को याद करने की योग्यता को परखने वाले थे। राज्यपाल ने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो, जिससे छात्र दुनिया को एक व्यापक व संतुलित नजरिए से देखने में सक्षम बनें। सम्पूर्ण शिक्षा ही आज के छात्र को कल का आदर्श नागरिक बना सकती है। शिक्षा मस्तिष्क को केवल भरे ही नही बल्कि उसे जागृत भी करे।इंटरनेट के युग में सूचनाओं की एक तरह से बाढ़ है। ऐसे में गलत व भ्रामक सूचनाओं से छात्रों को बचाने की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी अध्यापकों पर है। छात्रों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिए ठोस नींव रखने की भूमिका अध्यापकों को निभानी है। डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम ने भी सृजनात्मकता को भविष्य में सफलता की कुंजी बताते हुए कहा था कि स्कूली शिक्षा के दौरान ही बच्चों में सृजनात्मकता लाई जा सकती है। एसोसिएशन की स्मारिका का विमोचन भी किया गया। साथ ही विभिन्न स्कूलों के प्राचार्यों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस जगदीश भल्ला, आईएमए के कमांडेंट ले.जनरल एस.के झा, सीबीएसई के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली, एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप आदि उपस्थित थे।
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