भांग के रेशे, लैमनग्रास के जरिए बंजर भूमि को आबाद कर सकते हैं-मुख्यमंत्री
पौडी-पहाड़ में अब सगंध फार्मिंग के माध्यम से बंजर पड़े खेतों का पुनरुद्धार कर लोगों की आर्थिकी बढ़ाई जाएगी। चुन्डई पीड़ा, जयहरीखाल में ’’सगन्ध फार्मिंग द्वारा खाली पडे खेतो का पुनरूद्वार’’ संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आसवन संयत्र का भी उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि खाल ग्राम पीड़ा में बंजर पड़े खेतों में लेमन ग्रास के साथ ही सगंध पादपों की खेती
कर कास्तकार अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कलस्टर बेस खेती पर जोर देने के साथ ही कृषि संबंधी पढ़ाई व अनुसंधानों पर ध्यान देने को कहा। इसके अलावा भांग के रेशे का उत्पादन, वर्षा के पानी का संग्रहण हेतु चालखाल बनाये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि पीड़ा ग्राम में बहने वाले गधेरे का पानी रोककर झील निर्माण कराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र को पर्यटन सर्किट के रूप में संवारने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि लोग अपने गांव घरों को न छोड़े, अपने पुराने घरों का जीर्णोद्धार कर पर्यटकों के माकूल बनाएं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि उत्तराखण्ड में खेती का दायरा तेजी से घट रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने दो प्रमुख चुनौतियां हैं। पहली ये कि हम कैसे पारंपरिक खेती के अलावा किसानों की आमदनी बढ़ाने के विकल्पों की तलाश करें और दूसरी चुनौती है कि हम कैसे बंजर होती जमीन का सदुपयोग करें। हम कैसे जमीन के मालिकों को विकल्प दें, जिससे उनकी जमीन आबाद रहे और आमदनी भी अच्छी हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ों में करकरा, कालाबांस, लैन्टाना आदि खरपतवारों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। उत्तराखंड में करीब 3746 किसानों द्वारा बंजर पड़ी 660 हेक्टेयर जमीन पर लैमनग्रास जैसे सगंध पौधों की खेती को अपनाया जा रहा है। एक छोटी सी कोशिश कितना परिवर्तन ला सकती है, इसका उदाहरण है कि आज उत्तराखण्ड में लेमनग्रास का वार्षिक उत्पादन 576 किलोग्राम तक पहुंच गया है। इससे किसानों की भी अच्छी आमदनी हो रही है। उन्होंने कहा कि जयहरीखाल का क्लस्टर भी कैप द्वारा संचालित उन्हीं क्लस्टरों में से एक है, जहां सगंध पौधों की खेती को नया आयाम देने की कोशिश की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हम लैमनग्रास के जरिए बंजर भूमि को आबाद कर सकते हैं, और आमदनी भी प्राप्त कर सकते है, तो निश्चित रूप से पलायन रोकने की दिशा में यह क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों कर्ज की जरूरत है तो मात्र 2 फीसदी के सस्ते ब्याज दर पर 01 लाख तक का कर्ज हासिल कर सकता है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक खेती से हटकर कुछ करने वाले किसानों को सरकार द्वारा भरपूर प्रोत्साहन दिया जाएगा। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, विधायक दिलीप रावत, सचिव डी.सेंथिल पांडियन, भाजपा जिलाध्यक्ष शेलेन्द्र बिष्ट, जिला प्रशासन की ओर से जिलाधिकारी सुशील कुमार, एस.एस.पी. जे.आर.जोशी सहित विभिन्न विभागों के जिलास्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।
कर कास्तकार अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कलस्टर बेस खेती पर जोर देने के साथ ही कृषि संबंधी पढ़ाई व अनुसंधानों पर ध्यान देने को कहा। इसके अलावा भांग के रेशे का उत्पादन, वर्षा के पानी का संग्रहण हेतु चालखाल बनाये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि पीड़ा ग्राम में बहने वाले गधेरे का पानी रोककर झील निर्माण कराया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र को पर्यटन सर्किट के रूप में संवारने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि लोग अपने गांव घरों को न छोड़े, अपने पुराने घरों का जीर्णोद्धार कर पर्यटकों के माकूल बनाएं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि उत्तराखण्ड में खेती का दायरा तेजी से घट रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने दो प्रमुख चुनौतियां हैं। पहली ये कि हम कैसे पारंपरिक खेती के अलावा किसानों की आमदनी बढ़ाने के विकल्पों की तलाश करें और दूसरी चुनौती है कि हम कैसे बंजर होती जमीन का सदुपयोग करें। हम कैसे जमीन के मालिकों को विकल्प दें, जिससे उनकी जमीन आबाद रहे और आमदनी भी अच्छी हो सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहाड़ों में करकरा, कालाबांस, लैन्टाना आदि खरपतवारों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। उत्तराखंड में करीब 3746 किसानों द्वारा बंजर पड़ी 660 हेक्टेयर जमीन पर लैमनग्रास जैसे सगंध पौधों की खेती को अपनाया जा रहा है। एक छोटी सी कोशिश कितना परिवर्तन ला सकती है, इसका उदाहरण है कि आज उत्तराखण्ड में लेमनग्रास का वार्षिक उत्पादन 576 किलोग्राम तक पहुंच गया है। इससे किसानों की भी अच्छी आमदनी हो रही है। उन्होंने कहा कि जयहरीखाल का क्लस्टर भी कैप द्वारा संचालित उन्हीं क्लस्टरों में से एक है, जहां सगंध पौधों की खेती को नया आयाम देने की कोशिश की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हम लैमनग्रास के जरिए बंजर भूमि को आबाद कर सकते हैं, और आमदनी भी प्राप्त कर सकते है, तो निश्चित रूप से पलायन रोकने की दिशा में यह क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों कर्ज की जरूरत है तो मात्र 2 फीसदी के सस्ते ब्याज दर पर 01 लाख तक का कर्ज हासिल कर सकता है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक खेती से हटकर कुछ करने वाले किसानों को सरकार द्वारा भरपूर प्रोत्साहन दिया जाएगा। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, विधायक दिलीप रावत, सचिव डी.सेंथिल पांडियन, भाजपा जिलाध्यक्ष शेलेन्द्र बिष्ट, जिला प्रशासन की ओर से जिलाधिकारी सुशील कुमार, एस.एस.पी. जे.आर.जोशी सहित विभिन्न विभागों के जिलास्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।
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