उच्च शिक्षा में गुणात्मक व संख्यात्मक प्रबंधन’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय गोष्ठी
देहरादून -दून विश्वविद्यालय में ‘‘उच्च शिक्षा में गुणात्मक व संख्यात्मक प्रबंधन’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय गोष्ठी का शुभारम्भ किया उनके साथ केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री डाॅ. सत्यपाल सिंह व उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत थे। राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने कहा है कि राज्य के काॅलेजों व विश्वविद्यालयों में बेहतर शैक्षणिक व अकादमिक माहौल तैयार करना होगा। शिक्षक, छात्रों के रोल माॅडल, संरक्षक व गाईड की भूमिका निभाएं। उच्च शिक्षण केंद्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने पर भी ध्यान देना होगा। प्राईवेट शिक्षण संस्थान, संबद्धता को लेकर छात्रों को भ्रमित न करें। फेकल्टी के लिए पाठ्यक्रमों से इतर भी रिफ्रेशर कोर्स व वर्कशाॅप आयोजित किए जाने चाहिए। केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री डाॅ. सत्यपाल सिंह व उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने दून विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा ‘‘उच्च शिक्षा में गुणात्मक व संख्यात्मक प्रबंधन’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय गोष्ठी का शुभारम्भ किया। राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल
ने कहा कि राज्य के काॅलेजों व विश्वविद्यालयों में बेहतर शैक्षणिक व अकादमिक माहौल तैयार करना होगा। उच्च शिक्षण केंद्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना होगा जिसमें नवीनतम तकनीक से सुसज्जित क्लासरूम, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय मूलभूत आवश्यकताएं हैं। स्कूली शिक्षा के लिए उत्तराखण्ड देश-दुनिया में जाना जाता है, परंतु छात्रों को अपनी उच्च शिक्षा के लिए बाहर क्यों जाना पड़ता है, इस पर गम्भीरता से मंथन किए जाने की जरूरत है। इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि हमारे विश्वविद्यालय व अन्य उच्च शिक्षण संस्थान रैंकिंग में अपन स्थान क्यों नहीं बना पाते हैं।राज्यपाल ने कहा कि अनेक काॅलेजों में शिक्षकों व पुस्तकों की कमी की बात की जाती है। ऐसे संस्थानों को मुक्त विश्वविद्यालयों की तरह ही MOOC (Massive Open Online Course) का उपयोग करना चाहिए। इसके अतिरिक्त मानव संसाधन मंत्रालय का SWAYAM प्रोजेक्ट भी महत्वपूर्ण हो सकता है। इसमें कोर्सेज आॅन लाईन निशुल्क उपलब्ध हैं। ये सभी कोर्सेज श्रेष्ठ विषय विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए हैं। इनमें वीडियो लैक्चर, विशेष रूप से तैयार की गई अध्ययन सामग्री, स्व-मूल्यांकन जांच व शंकाओं के समाधान के लिए आॅन लाईन परिचर्चा की व्यवस्था है। इनफाॅरमेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलोजी (आईसीटी) के माध्यम से उच्च शिक्षा सुलभ कराने के लिए यूजीसी द्वारा स्थापितCEC(Consortium for Educational Communication) का भी उपयोग किया जाना चाहिए। केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री डाॅ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि उच्च शिक्षा वास्तव में कैसे उच्च बने, यह बड़ा चुनौतिपूर्ण है। हमें शिक्षण व्यवस्था में अपने प्राचीन व पारम्परिक ज्ञान को भी शामिल करना चाहिए। पारम्परिक ज्ञान-विज्ञान को बचाए जाने की जरूरत है। हमारी शिक्षा पद्धति युवाओ को संस्कार, संस्कृति, रोजगार व सुख-समृद्धि देने वाली होनी चाहिए। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य के सभी काॅलेजों में प्राचार्यो की नियुक्ति कर दी गई है। काॅलेजों व विश्वविद्यालयों में पुस्तकों की कमी को देखते हुए जल्द ही पुस्तक-दान अभियान प्रारम्भ करने जा रहे हैं। यूजीसी के निर्देशानुसार काॅलेजों में शिक्षकों की 5 घंटे उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमैट्रिक हाजिरी अनिवार्य की गई है। शैक्षिक-कलैंडर का पालन किया जा रहा है और 180 दिन की पढ़ाई सुनिश्चित की जा रही है। छात्रों का निशुल्क बीमा का काम भी शुरू कर दिया गया है। विश्वविद्यालयों के लिए टोल फ्री नम्बर लांच किया जाएगा। कौशल विकास व रोजगार सृजन विभाग के साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है। सुपर-30 की सफलता के बाद अब सुपर-100 प्रारम्भ किया जाएगा। विश्वविद्यालयों के लिए एक अम्ब्रेला एक्ट बनाया जाएगा। दीक्षांत समारोहों के लिए वेशभूषा की डिजाईन तैयार की गई हैं। सभी की राय लेते हुए आगामी 1 जनवरी से इसे लागू कर दिया जाएगा।
कार्यक्रम में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दीक्षांत समारोहों में उपयोग हेतु तैयार की गई कुछ डिजाईनों का प्रस्तुतिकरण भी किया गया।
ने कहा कि राज्य के काॅलेजों व विश्वविद्यालयों में बेहतर शैक्षणिक व अकादमिक माहौल तैयार करना होगा। उच्च शिक्षण केंद्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना होगा जिसमें नवीनतम तकनीक से सुसज्जित क्लासरूम, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय मूलभूत आवश्यकताएं हैं। स्कूली शिक्षा के लिए उत्तराखण्ड देश-दुनिया में जाना जाता है, परंतु छात्रों को अपनी उच्च शिक्षा के लिए बाहर क्यों जाना पड़ता है, इस पर गम्भीरता से मंथन किए जाने की जरूरत है। इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि हमारे विश्वविद्यालय व अन्य उच्च शिक्षण संस्थान रैंकिंग में अपन स्थान क्यों नहीं बना पाते हैं।राज्यपाल ने कहा कि अनेक काॅलेजों में शिक्षकों व पुस्तकों की कमी की बात की जाती है। ऐसे संस्थानों को मुक्त विश्वविद्यालयों की तरह ही MOOC (Massive Open Online Course) का उपयोग करना चाहिए। इसके अतिरिक्त मानव संसाधन मंत्रालय का SWAYAM प्रोजेक्ट भी महत्वपूर्ण हो सकता है। इसमें कोर्सेज आॅन लाईन निशुल्क उपलब्ध हैं। ये सभी कोर्सेज श्रेष्ठ विषय विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए हैं। इनमें वीडियो लैक्चर, विशेष रूप से तैयार की गई अध्ययन सामग्री, स्व-मूल्यांकन जांच व शंकाओं के समाधान के लिए आॅन लाईन परिचर्चा की व्यवस्था है। इनफाॅरमेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलोजी (आईसीटी) के माध्यम से उच्च शिक्षा सुलभ कराने के लिए यूजीसी द्वारा स्थापितCEC(Consortium for Educational Communication) का भी उपयोग किया जाना चाहिए। केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री डाॅ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि उच्च शिक्षा वास्तव में कैसे उच्च बने, यह बड़ा चुनौतिपूर्ण है। हमें शिक्षण व्यवस्था में अपने प्राचीन व पारम्परिक ज्ञान को भी शामिल करना चाहिए। पारम्परिक ज्ञान-विज्ञान को बचाए जाने की जरूरत है। हमारी शिक्षा पद्धति युवाओ को संस्कार, संस्कृति, रोजगार व सुख-समृद्धि देने वाली होनी चाहिए। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य के सभी काॅलेजों में प्राचार्यो की नियुक्ति कर दी गई है। काॅलेजों व विश्वविद्यालयों में पुस्तकों की कमी को देखते हुए जल्द ही पुस्तक-दान अभियान प्रारम्भ करने जा रहे हैं। यूजीसी के निर्देशानुसार काॅलेजों में शिक्षकों की 5 घंटे उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमैट्रिक हाजिरी अनिवार्य की गई है। शैक्षिक-कलैंडर का पालन किया जा रहा है और 180 दिन की पढ़ाई सुनिश्चित की जा रही है। छात्रों का निशुल्क बीमा का काम भी शुरू कर दिया गया है। विश्वविद्यालयों के लिए टोल फ्री नम्बर लांच किया जाएगा। कौशल विकास व रोजगार सृजन विभाग के साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है। सुपर-30 की सफलता के बाद अब सुपर-100 प्रारम्भ किया जाएगा। विश्वविद्यालयों के लिए एक अम्ब्रेला एक्ट बनाया जाएगा। दीक्षांत समारोहों के लिए वेशभूषा की डिजाईन तैयार की गई हैं। सभी की राय लेते हुए आगामी 1 जनवरी से इसे लागू कर दिया जाएगा।
कार्यक्रम में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दीक्षांत समारोहों में उपयोग हेतु तैयार की गई कुछ डिजाईनों का प्रस्तुतिकरण भी किया गया।
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