रुड़की की रिस्पना नदी को फिर पुनर्जीवन किया जाएगा -मैड
देहरादून-- राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान ने रुड़की की रिस्पना नदी के पुनर्जीवन की 2014 में बनी रिपोर्ट के द्वारा फिर जान फूंकी जा सकती है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार द्वारा रिस्पना पुनर्जीवन पर ली गयी बैठक में ऐसे संकेत मिले हैं। गौरतलब है कि 3 साल से धूल खा रही राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की की रिस्पना रिपोर्ट के बारे में एक वृस्त्रित प्रस्तुति देहरादून के शिक्षित छात्रों के संगठन, मेकिंग अ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड) संस्था द्वारा इस बैठक में दी गयी। मुख्य सचिव उत्पल कुमार के साथ साथ इस बैठक में ज़िला अधिकारी, एम् डी डी ऐ के उपाध्यक्ष, नगर निगम एवं राष्ट्रीय जल विज्ञानं संसथान रूड़की,
सिंचाई विभाग इत्यादि के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। मैड को प्रस्तुति के लिए ज़िला अधिकारी मुरुगशन द्वारा आमंत्रित किया गया। विगत सात वर्षों से रिस्पना पुनर्जीवन पर काम कर रही मैड संस्था ने अपनी प्रस्तुति में कई सुझाव कमिटी के सामने रखे। मैड संस्था ने बताया कि रिस्पना वैली में बढ़ रहा प्रदूषण नदी के लिए घातक हो सकता है। इसपर भी नीति नियोजन करने की आवश्यकता है। साथ ही साथ मैड ने यह भी सुझाव दिया कि राष्ट्रीय जलविज्ञान संसथान रूड़की की शोध को आधार बना कर रिस्पना पुनर्जीवन का खाका तैयार किया जा सकता है। गौरतलब है कि इको टास्क फ़ोर्स द्वारा दी गयी प्रस्तुति में भी राष्ट्रीय जलविज्ञान संसथान रूड़की की रिपोर्ट का ज़िक्र किया गया और उसको अभियान में शामिल होने की बात स्पष्ट तौर पर की गयी। अंत में मुख्य सचिव ने मैड के काम की सराहना की और यह निर्देश दिया कि इको टास्क फ़ोर्स गहन मंथन करके एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करे। इसके लिए चाहे साप्ताहिक बैठक लेनी हो तो ले लेकिन रिस्पना पुनर्जीवन की कार्य योजना में प्रबल ज़ोर इसी बात पर दिया जाये कि नदी के बहाव को क्या क्या चीज़ें संतुलित ढंग से वापस ला सकती हैं। मैड संस्था ने इस बात पर बहुत ख़ुशी ज़ाहिर करी कि इको टास्क फ़ोर्स ने भी राष्ट्रीय जलविज्ञान संसथान रूड़की की रिपोर्ट को अपनी प्रस्तुति में शामिल किया है। मैड अपने स्तर पर एक व्यापक जनअभियान के ज़रिये रिस्पना के पुनर्जीवन पर काम शुरू करने को पूर्णतः अग्रसर है। इस बैठक में मैड की ओर से संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी, और सदस्य आदर्श त्रिपाठी उपस्थित थे।
सिंचाई विभाग इत्यादि के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। मैड को प्रस्तुति के लिए ज़िला अधिकारी मुरुगशन द्वारा आमंत्रित किया गया। विगत सात वर्षों से रिस्पना पुनर्जीवन पर काम कर रही मैड संस्था ने अपनी प्रस्तुति में कई सुझाव कमिटी के सामने रखे। मैड संस्था ने बताया कि रिस्पना वैली में बढ़ रहा प्रदूषण नदी के लिए घातक हो सकता है। इसपर भी नीति नियोजन करने की आवश्यकता है। साथ ही साथ मैड ने यह भी सुझाव दिया कि राष्ट्रीय जलविज्ञान संसथान रूड़की की शोध को आधार बना कर रिस्पना पुनर्जीवन का खाका तैयार किया जा सकता है। गौरतलब है कि इको टास्क फ़ोर्स द्वारा दी गयी प्रस्तुति में भी राष्ट्रीय जलविज्ञान संसथान रूड़की की रिपोर्ट का ज़िक्र किया गया और उसको अभियान में शामिल होने की बात स्पष्ट तौर पर की गयी। अंत में मुख्य सचिव ने मैड के काम की सराहना की और यह निर्देश दिया कि इको टास्क फ़ोर्स गहन मंथन करके एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करे। इसके लिए चाहे साप्ताहिक बैठक लेनी हो तो ले लेकिन रिस्पना पुनर्जीवन की कार्य योजना में प्रबल ज़ोर इसी बात पर दिया जाये कि नदी के बहाव को क्या क्या चीज़ें संतुलित ढंग से वापस ला सकती हैं। मैड संस्था ने इस बात पर बहुत ख़ुशी ज़ाहिर करी कि इको टास्क फ़ोर्स ने भी राष्ट्रीय जलविज्ञान संसथान रूड़की की रिपोर्ट को अपनी प्रस्तुति में शामिल किया है। मैड अपने स्तर पर एक व्यापक जनअभियान के ज़रिये रिस्पना के पुनर्जीवन पर काम शुरू करने को पूर्णतः अग्रसर है। इस बैठक में मैड की ओर से संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी, और सदस्य आदर्श त्रिपाठी उपस्थित थे।
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