जंगली जानवरों को जंगल में ही भोजन उपलब्ध हो--कटहल
देहरादून, जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास पर ही अनुकूल वातावरण और पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो तो गांव से शहर तक चारों ओर फैले उनके भय व आतंक को कम किया जा सकता है। मनुष्य और जानवरों के बीच सहअस्तित्व को बचाये रखने के लिए बदली हुई परिस्थितियों में हर एक नागरिक को जंगली जानवरों की सुरक्षा एवं भोजन पर चिन्तन करना जरूरी हो गया है।
कटहल समूह द्वारा आयोजित प्रैस कान्फै्रस में कटहल की संरक्षक लक्ष्मी अग्रवाल ने कहा कि अस्तित्व को बचाये रखने की जदोजेहद में जंगली जानवर बडी मात्रा में आये दिन मानव बस्तियों तक पहुंचते हैं और कास्तकारों की फसलों को भारी नुकशान पहुंचा रहे हैं। इस परिस्थिति में गावों से लोगों का शहरो की तरफ पलायन हो रहा है। जिस वजह से कई गांव बीरान हो जाने की स्थिति में है। वहीं शहरों में बन्दर घरों के अन्दर घुसकर हमला बोल रहे हैं ऐसे में जरूरी हो गया है कि हमें जगलों में फलदार बृच्छों का रोपण और संरक्षण कर इस समस्या के समाधान के सारे रास्ते तलाशने होंगे।
समूह के संस्थापक अनिल रावत ने कहा कि कटहल व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है जो मानव के अतिरिक्त अन्य सभी प्राणि मात्र के मध्य सहअस्तित्व!
कटहल समूह द्वारा आयोजित प्रैस कान्फै्रस में कटहल की संरक्षक लक्ष्मी अग्रवाल ने कहा कि अस्तित्व को बचाये रखने की जदोजेहद में जंगली जानवर बडी मात्रा में आये दिन मानव बस्तियों तक पहुंचते हैं और कास्तकारों की फसलों को भारी नुकशान पहुंचा रहे हैं। इस परिस्थिति में गावों से लोगों का शहरो की तरफ पलायन हो रहा है। जिस वजह से कई गांव बीरान हो जाने की स्थिति में है। वहीं शहरों में बन्दर घरों के अन्दर घुसकर हमला बोल रहे हैं ऐसे में जरूरी हो गया है कि हमें जगलों में फलदार बृच्छों का रोपण और संरक्षण कर इस समस्या के समाधान के सारे रास्ते तलाशने होंगे।
समूह के संस्थापक अनिल रावत ने कहा कि कटहल व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है जो मानव के अतिरिक्त अन्य सभी प्राणि मात्र के मध्य सहअस्तित्व!
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