अपनी सूखती नदियों के पुनर्जीवन के लिए नदी अभियान रैली- सदगुरु वासुदेव जग्गी
हरिद्वार--मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हरिद्वार के घाट में नदी अभियान के समर्थन में ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सदगुरु वासुदेव जग्गी द्वारा आयोजित नदी अभियान रैली के हरिद्वार पहुंचने पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। प्रदेशवासियों एवं उत्तराखंड सरकार की ओर से सदगुरु का उत्तराखंड में स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आज पूरा देश एवं पूरी दुनिया पानी को लेकर चिंतित है। ‘‘जल ही जीवन है‘‘ को जन-जन के मन में पहुंचाने के लिए पिछले 2-3 सालों से एक अभियान चलाया जा रहा है। हमने एक लक्ष्य रखा है कि हमने नदियों को बचाना है, और जो नदियां लगभग मृत हो चुकी हैं, उन नदियों को पुनर्जीवित करना है। उन्होंने कहा कि अब इस अभियान में हमारे संत भी जुड़ गए हैं, अब जब तक हम अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाते यह अभियान नहीं रुकेगा। मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। हमने अपने अधिकारियों को नदियों को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य दिया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि हम गंगा की निर्मलता और पवित्रता की बात करते हैं। बिना जनसहभागिता के नदियों को पुनर्जीवित करना संभव नहीं। राइन नदी को 5 देशों ने मिलकर 27 वर्षों में पुनर्जीवित किया। देश की नदियों को पुनर्जीवित करना 2, 3 या 5 वर्षों का कार्य नहीं है। इसमें भी समय लगेगा, इसलिये हमें आज से ही इसके लिये संकल्प लेना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें नदियों को बचाने और वृक्षों को लगाने के लिए प्रयास करने होंगे। हमें इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा। इसके साथ मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण के लिये जनता का आह्वान करते हुए कहा कि हम जीरो बजट में प्रतिदिन प्रदेश में एक करोड़ लीटर पानी बचा सकते हैं। टाॅयलेट के सिस्टर्न में एक लीटर की बोतल डालकर हम प्रत्येक बार एक लीटर पानी बचा सकते हैं।सद्गुरु वासुदेव जग्गी ने कहा कि नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए अब तक किसी भी प्रकार की कोई नीति तैयार नहीं की गई है। आज नदियों के संरक्षण के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत का 25 फीसदी हिस्सा रेगिस्तान बनता जा रहा है और 15 सालों के बाद हमें हमारी जरूरत का सिर्फ आधा पानी ही मिल पाएगा। गंगा, कृष्णा, नर्मदा, कावेरी जैसी हमारी कई महान नदियां बहुत तेजी से सूख रही हैं। अगर हम अभी कदम नहीं उठाते तो हम अपनी विरासत में अगली पीढ़ी को सिर्फ संघर्ष और अभाव ही दे पाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह अभियान रैली 16 राज्यों से होकर गुजर रही है। जहां लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए देश के कई शहरों और कस्बों में 124 से भी अधिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। रैली में उमड़ते विशाल जनसमूह और जनसमर्थन को देखते हुए यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि अपनी सूखती नदियों के पुनर्जीवन के लिए एक सकारात्मक नीति बनाने का समय आ गया है।कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि देश की समृद्धि का मार्ग नदियों के पुनर्जीवन से ही खुलेगा। हमें अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करके और नदियों को पुनर्जीवित करके देश को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि किसान इसमें शामिल होकर औषधीय पौध या फलदार वृक्षारोपण कर लाभ कमा सकते हैं। उनके द्वारा उत्पादित फसलों को पतंजलि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी।इससे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने ग्राम विकास विभाग द्वारा आयोजित ‘‘ग्राम समृद्धि एवं स्वच्छता पखवाड़ा‘‘ का ध्वजारोहण कर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द मुनि, स्वामी हरिचेतनानंद एवं पटना के प्रमुख जत्थेदार इकबाल सिंह भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि हम गंगा की निर्मलता और पवित्रता की बात करते हैं। बिना जनसहभागिता के नदियों को पुनर्जीवित करना संभव नहीं। राइन नदी को 5 देशों ने मिलकर 27 वर्षों में पुनर्जीवित किया। देश की नदियों को पुनर्जीवित करना 2, 3 या 5 वर्षों का कार्य नहीं है। इसमें भी समय लगेगा, इसलिये हमें आज से ही इसके लिये संकल्प लेना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें नदियों को बचाने और वृक्षों को लगाने के लिए प्रयास करने होंगे। हमें इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा। इसके साथ मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण के लिये जनता का आह्वान करते हुए कहा कि हम जीरो बजट में प्रतिदिन प्रदेश में एक करोड़ लीटर पानी बचा सकते हैं। टाॅयलेट के सिस्टर्न में एक लीटर की बोतल डालकर हम प्रत्येक बार एक लीटर पानी बचा सकते हैं।सद्गुरु वासुदेव जग्गी ने कहा कि नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए अब तक किसी भी प्रकार की कोई नीति तैयार नहीं की गई है। आज नदियों के संरक्षण के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत का 25 फीसदी हिस्सा रेगिस्तान बनता जा रहा है और 15 सालों के बाद हमें हमारी जरूरत का सिर्फ आधा पानी ही मिल पाएगा। गंगा, कृष्णा, नर्मदा, कावेरी जैसी हमारी कई महान नदियां बहुत तेजी से सूख रही हैं। अगर हम अभी कदम नहीं उठाते तो हम अपनी विरासत में अगली पीढ़ी को सिर्फ संघर्ष और अभाव ही दे पाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह अभियान रैली 16 राज्यों से होकर गुजर रही है। जहां लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए देश के कई शहरों और कस्बों में 124 से भी अधिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। रैली में उमड़ते विशाल जनसमूह और जनसमर्थन को देखते हुए यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि अपनी सूखती नदियों के पुनर्जीवन के लिए एक सकारात्मक नीति बनाने का समय आ गया है।कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि देश की समृद्धि का मार्ग नदियों के पुनर्जीवन से ही खुलेगा। हमें अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करके और नदियों को पुनर्जीवित करके देश को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि किसान इसमें शामिल होकर औषधीय पौध या फलदार वृक्षारोपण कर लाभ कमा सकते हैं। उनके द्वारा उत्पादित फसलों को पतंजलि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी।इससे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने ग्राम विकास विभाग द्वारा आयोजित ‘‘ग्राम समृद्धि एवं स्वच्छता पखवाड़ा‘‘ का ध्वजारोहण कर शुभारम्भ किया। इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द मुनि, स्वामी हरिचेतनानंद एवं पटना के प्रमुख जत्थेदार इकबाल सिंह भी उपस्थित थे।
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