दृष्टिहीन दिव्यांग संतराम और उनकी पत्नी को मदद की दरकार
मित्रो ये धौलछीना अल्मोड़ा के रहने वाले दृष्टिहीन दिव्यांग पति-पत्नी श्री संत राम और आनंदी देवी हैं।
अल्मोड़ा के आकाशवाणी केंद्र से जनपद अल्मोड़ा-बागेश्वर-पिथौरागढ़-चम्पावत के 4 जनपदों की जनता ने दशकों तक इनको नियमित रूप से आकाशवाणी अल्मोड़ा के माध्यम से सुना होगा।
यह बात ज्यादा पुरानी नहीं है सिर्फ 10 साल पहले तक कुमाऊँ के गांव - गांव में रेडियो मनोरंजन का मुख्य साधन था, गांवों में दिन में रेडियो के सेल धूप में सुखाकर कभी संत राम और श्रीमती आनंदी देवी के लोकगीत सुनकर मनोरंजन करते थे तो शाम को बीबीसी न्यूज़ सुनकर देश दुनिया के समाचारों से हम वाकिफ होते थे कुमाऊँ लोकगीतों की सुपर स्टार दिव्यांग पति पत्नी के पास ना रहने को घर है, ना सोने को बिस्तर है, बरसात में टूटे हुए जर्जर टपकते 1 कमरे में बिना सोये रात काट रहे हैं।
समाज कल्याण विभाग द्वारा दी जाने वाली पेंशन भी आधार कार्ड ना बन पाने के कारण बंद हो गयी है।
जिस कारण ये दंपति धौलछीना के छोटे से बाज़ार में सड़क पर स्थानीय लोगों को अपने लोकगीत सुनाकर अपना पेट पाल रहे हैं, आजकल बरसात के दिनों में कभी भूखे पेट सोने को मजबूर हैं तो कभी स्थानीय लोगों द्वारा दिये गए भोज्य पदार्थो से अपना पेट भर रहे हैं।
अनुसूचित समाज से आने वाले संतराम राम और उनकी पत्नी की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है मंत्री होने का प्रमुख कारण समाज के अंतिम छोर पर बैठे अभाव की जिंदगी जी रहे व्यक्ति तक सरकारी विकास पहुँचाने की। बागेश्वर से विधायक राम प्रसाद टम्टा, नारायण राम दास भी राज्य सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहे, कांग्रेस से भी यहां से अनुसूचित समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद रहे लेकिन किसी भी मंत्री/सांसद ने अपने ही समाज के किसी व्यक्ति के लिए कोई योजना नहीं बनाई ना अपने समाज को मुख्यधारा में लाने का कोई प्रयास किया तो अन्य बिरादरी के लोग इनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं।
जो जनप्रतिनिधि अपने इलाके के अपनी बिरादरी के बृद्ध दिव्यांग दंपति को रहने को घर और 2 वक्त की रोटी नहीं दे सकते हैं उनसे पहाड़ के बेरोजगारों के लिए रोजगार, अस्पताल, विद्यालय जैसी चीजों के लिए आस रखना खुद को खुद ही ठगने जैसा है।
प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य इन दिव्यांग दंपति की मदद करने की बात की है और आर्य ने भरोसा दिया है कि जल्दी संत राम और उनकी पत्नी आनंदी देवी की मदद राज्य सरकार करेगी।
अल्मोड़ा के आकाशवाणी केंद्र से जनपद अल्मोड़ा-बागेश्वर-पिथौरागढ़-चम्पावत के 4 जनपदों की जनता ने दशकों तक इनको नियमित रूप से आकाशवाणी अल्मोड़ा के माध्यम से सुना होगा।
यह बात ज्यादा पुरानी नहीं है सिर्फ 10 साल पहले तक कुमाऊँ के गांव - गांव में रेडियो मनोरंजन का मुख्य साधन था, गांवों में दिन में रेडियो के सेल धूप में सुखाकर कभी संत राम और श्रीमती आनंदी देवी के लोकगीत सुनकर मनोरंजन करते थे तो शाम को बीबीसी न्यूज़ सुनकर देश दुनिया के समाचारों से हम वाकिफ होते थे कुमाऊँ लोकगीतों की सुपर स्टार दिव्यांग पति पत्नी के पास ना रहने को घर है, ना सोने को बिस्तर है, बरसात में टूटे हुए जर्जर टपकते 1 कमरे में बिना सोये रात काट रहे हैं।
समाज कल्याण विभाग द्वारा दी जाने वाली पेंशन भी आधार कार्ड ना बन पाने के कारण बंद हो गयी है।
जिस कारण ये दंपति धौलछीना के छोटे से बाज़ार में सड़क पर स्थानीय लोगों को अपने लोकगीत सुनाकर अपना पेट पाल रहे हैं, आजकल बरसात के दिनों में कभी भूखे पेट सोने को मजबूर हैं तो कभी स्थानीय लोगों द्वारा दिये गए भोज्य पदार्थो से अपना पेट भर रहे हैं।
अनुसूचित समाज से आने वाले संतराम राम और उनकी पत्नी की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है मंत्री होने का प्रमुख कारण समाज के अंतिम छोर पर बैठे अभाव की जिंदगी जी रहे व्यक्ति तक सरकारी विकास पहुँचाने की। बागेश्वर से विधायक राम प्रसाद टम्टा, नारायण राम दास भी राज्य सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहे, कांग्रेस से भी यहां से अनुसूचित समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद रहे लेकिन किसी भी मंत्री/सांसद ने अपने ही समाज के किसी व्यक्ति के लिए कोई योजना नहीं बनाई ना अपने समाज को मुख्यधारा में लाने का कोई प्रयास किया तो अन्य बिरादरी के लोग इनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं।
जो जनप्रतिनिधि अपने इलाके के अपनी बिरादरी के बृद्ध दिव्यांग दंपति को रहने को घर और 2 वक्त की रोटी नहीं दे सकते हैं उनसे पहाड़ के बेरोजगारों के लिए रोजगार, अस्पताल, विद्यालय जैसी चीजों के लिए आस रखना खुद को खुद ही ठगने जैसा है।
प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य इन दिव्यांग दंपति की मदद करने की बात की है और आर्य ने भरोसा दिया है कि जल्दी संत राम और उनकी पत्नी आनंदी देवी की मदद राज्य सरकार करेगी।
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