विलुप्त प्रजाति की मछली का शिकार कर उसे कंधे पर लाद कर ले जाते ग्रामीणों

अल्‍मोड़ा:  मछली का शिकार कर उसे कंधे पर लाद ले जा रहे ग्रामीणों का फोटो सोशल मीडिया में वायरल होने से सल्ट ब्लॉक की इनलो गांव मुसीबत में फंस गया है। गूंज मछली शेड्यूल-वन की विशालकाय लुप्त प्राय मछली है। करीब 150 किलो वजनी यह मछली उत्तरी हिमालय के उत्तराखंड व नेपाल की पर्वतीय नदियों में पाई जाती है। सूत्रों के अनुसार रामगंगा नदी में पाई जाने वाली पहाड़ी व्हेल का हर बरसात में शिकार किया जाता है। इधर, फोटो वायरल होने के बाद इस सबसे बेखबर वन विभाग अब हरकत में आया है। डीएफओ एसआर प्रजापति ने विभागीय टीम मौके की ओर रवाना कर दी है। पता लगा है कि लुप्तप्राय गूंज मछली का शिकार कर ग्रामीण हर बार की तरह इस दफा भी बांट कर खा चुके हैं। ऐसे में पूरे गांव पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
  करीब छह फुट लंबी व डेढ सौ किलो तक वजन वाली पहाड़ी व्हेल पंचेश्वर स्थित काली नदी, शारदा व रामगंगा क्षेत्र में पाई जाती है, जो पीछा कर शिकार करती है। मांसाहारी होने के कारण इसे व्हेल की तरह शिकारी मछली भी कहा जाता है। बताते चले कि सोमवार को पूरे क्षेत्र में यह मछली आकर्षण का केंद्र बनी रही। जानकारों ने बताया कि रामगंगा नदी में मिलने वाली इस मछली को स्थानीय लोग गूंज कहते हैं।
हालांकि इसका आकार मछलियों से काफी  गांव के लोगों पर मछली के साथ फोटो और वीडियो वायरल होने के बाद पूरे गांव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बताया जा रहा है कि गांव वालों ने जिस मछली को पकड़ा है वह दुर्लभ प्रजाति में आती है और इसका शिकार करना अवैध है। वहीं वन संरक्षक के निर्देश पर डीएफओ ने पूरे गांव को दोषी मानते हुए वन्यजीव एक्ट के तहत कार्रवाई के निर्देश दे दिए हैं।

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