विदेशों में संस्कृत की डिमाण्ड बढ़ी है मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शांति कुंज हरिद्वार में आयोजित भारतीय शिक्षक मण्डल के प्रशिक्षण शिविर में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय जीवन मूल्यों को समाहित होना चाहिए। इसके लिए भारतीय शिक्षक मण्डल के साथ चिंतन एवं विचारों का आदान-प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्पेन एवं पोलेण्ड जैसे देशों में संस्कृत की डिमाण्ड बढ़ी है। संस्कृत भाषा में ज्ञान, संस्कार एवं सद्विचार हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति तथा सभ्यता को आगे बढ़ाने के लिए निरन्तर प्रयास करने होगे। नई पीढ़ी का रूझान भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की ओर ले जाना होगा, इसके लिए भारतीय शिक्षक मण्डल का महत्वपूर्ण योगदान होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें भारतीय परम्पराओं को आगे बढ़ाना होगा। कहा कि भारतीय शिक्षक मण्डल एवं अन्य समाजिक संस्थाओं के प्रयासों से एक स्वाभिमानी भारत बनेगा, जिनमें अपने पूर्वजों एवं परम्पराओं के प्रति एक विश्वास खड़ा होगा। उन्होंने कहा कि शोध के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित करने होंगे।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डाॅ.प्रणव पाण्ड्या ने कहा कि आज हमें पाश्चात्यवाद से लड़ने के लिए चिंतन करना होगा। युवाओं को उचित मार्गदर्शन करना पड़ेगा। उन्हें मानवीय मूल्यों एवं अध्यात्मवाद की ओर ले जाना होगा, नकारात्मक भावों से बचना होगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत, संस्कृति एवं संस्कार से नकारात्मक भाव मिटते चले जायेंगे। गंगा की शुद्धता तथा निर्मलता के लिए निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं। 2026 तक गोमुख से गंगा सागर तक गंगा के शुद्धीकरण के लिए वैज्ञानिक, आध्यात्मिक एवं संगठनात्मक रूप में कार्य किये जायेंगे। इसके लिए जन जागरूकता भी आवश्यक है।
इस अवसर पर भारतीय शिक्षक मण्डल से डाॅ.बनवारी लाल, डाॅ.अंगद सिंह, डाॅ.पंकज सिंह, डाॅ.ओम प्रकाश, मनोहर सिंह रावत, डाॅ.गीता मिश्र, जिलाधिकारी दीपक रावत एवं उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, झारखण्ड आदि प्रान्तों के शिक्षक उपस्थित थे।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डाॅ.प्रणव पाण्ड्या ने कहा कि आज हमें पाश्चात्यवाद से लड़ने के लिए चिंतन करना होगा। युवाओं को उचित मार्गदर्शन करना पड़ेगा। उन्हें मानवीय मूल्यों एवं अध्यात्मवाद की ओर ले जाना होगा, नकारात्मक भावों से बचना होगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत, संस्कृति एवं संस्कार से नकारात्मक भाव मिटते चले जायेंगे। गंगा की शुद्धता तथा निर्मलता के लिए निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं। 2026 तक गोमुख से गंगा सागर तक गंगा के शुद्धीकरण के लिए वैज्ञानिक, आध्यात्मिक एवं संगठनात्मक रूप में कार्य किये जायेंगे। इसके लिए जन जागरूकता भी आवश्यक है।
इस अवसर पर भारतीय शिक्षक मण्डल से डाॅ.बनवारी लाल, डाॅ.अंगद सिंह, डाॅ.पंकज सिंह, डाॅ.ओम प्रकाश, मनोहर सिंह रावत, डाॅ.गीता मिश्र, जिलाधिकारी दीपक रावत एवं उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, झारखण्ड आदि प्रान्तों के शिक्षक उपस्थित थे।
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