अंग्रेजी शराब खरीद में मजदूरों का हो रहा है इस्तेमाल
देहरादून -देश में कोरोना काल कोविड-19 के चलते तीसरे चरण का लॉक डाउन शुरू हो चुका है। और इस चरण में गृह मंत्रालय ने कुछ शर्तों के साथ बहुत सी दुकानों को खोलने की इजाजत दे दी है। सुबह 7:00 से सायं 4:00 बजे तक खुल सकती हैं। किंतु दुकानों में गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार नियम जो सरकार ने तय करें है उसका बैनर भी लगाना होगा। लेकिन शराब के ठेकों पर भौतिक दूरी का असर देखने को नहीं मिल रहा है। और लोग बिना किसी भौतिक दूरी के शराब की बोतलें खरीदने में लिप्त है तो वही शराब विक्रेता भी ज्यादा से ज्यादा शराब बेचकर अपना मुनाफा कमाना चाहता है। और इस मुनाफे के चक्कर में वह ना तो किसी को सैनिटाइज कर रहा है। और ना ही लोगों को भौतिक दूरी रखने के लिए कह रहा है। सोमवार को पूरे देश में शराब की बिक्री लगभग 700 करोड़ के आसपास रही।
पुलिस भी बहुत मेहनत कर रही है। लोगों को भौतिक दूरी अपनाने के लिए और समझा समझा कर थक चुकी है। लेकिन शराब खरीदने के चक्कर में लोग कुछ भी नहीं समझ रहे हैं। ऐसे ही देहरादून के बीच शहर घंटाघर स्थित शराब के ठेके में हमें देखने को मिला काउंटर पर 4 से 5 लोग शराब खरीदने में लगे हैं। लेकिन दुकानदारों ने एक-एक करके शराब लेने के लिए किसी को भी नहीं कहा और वहां पर यूं ही शराब बेची जा रही है। आज कुछ लड़कियों ने भी काफी मात्रा में शराब खरीदी है,वहीं पर देसी ठेके पर भी यही नजारा देखने को मिला लोग भौतिक दूरी का भी ध्यान नहीं रख रहे थे। और एक दूसरे से सेट कर खड़े हो रखे थे। कुछ लोग जो देसी शराब के आधे पव्वे ले गए खरीदकर ले जा रहे थे। हमने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि इतनी शराब हमारी नहीं है। यह तो हमारे ठेकेदार की है और हम उसी के लिए ले जा रहे हैं।
कुछ इसी प्रकार का नजारा अंग्रेजी शराब की दुकान में कुछ मजदूर भी लाइन में लगे हुए थे जो लोग पुलिस चौकियों से राशन लेते थे। वह भी लाइन में लगे हुए थे और पुलिसकर्मी ने उन्हें पहचान लिया था तो पुलिसकर्मी ने कहा तुम आना चौकी में तुम्हें मिलेगा फ्री का राशन, एक ऐसे ही व्यक्ति ने जब कुछ बोतलें शराब की खरीदी तो हमने उससे पूछा कि तुम्हारा गुजारा कैसे चलता है तो उसने बताया मैं और मेरी पत्नी ईट बजरी सप्लायर के प्लॉट पर रहते है जिसके एवज में वह मुझे 200 रू रोज के देता है। प्लॉट की देखभाल के लिए इसलिए हमारा गुजारा ठीक चल जाता है। और इन 40 दिनों के लॉक डाउन में भी हमें कोई दिक्कत भी नहीं हुई थी। पूछा कि अपने पीने के लिए ले जा रहे हो तो उसने कहा नहीं साहब यह तो हमारे सप्लायर की है। सप्लायर ने कहा कि जाकर मेरे लिए शराब की क्वार्टर बोतल ले कर आ जाओ तो शायद इन बोतलों के लाने के एवज में वह मुझे एक क्वार्टर या कुछ रुपया दे देगा।
लेकिन दुकानदार अपने वाइन को बेचने के चक्कर में इन सब बातों को इग्नोर कर रहे हैं। और काउंटर पर 4 से 5 लोग इकट्ठा होकर वाइन खरीद रहे हैं। ऐसे में कोरोनावायरस के फैलने का अधिक खतरा रहता है जबकि पुलिस इस कार्य में लगी हुई है लेकिन ना ही खरीदार और ना ही दुकानदार शायद इस बात को समझ रहे हैं। दुकानदार अपना माल बेचना चाह रहा है तो खरीदार ज्यादा से ज्यादा वाइन की बोतलें खरीद कर अपने पास रखना चाह रहा है। वही देसी शराब के ठेके में भी हमने यही स्थिति देखी जहां पर लोगों का हुजूम जुटा हुआ था और कोई सोच भौतिक दूरी को ना मानते हुए वह एक दूसरे से सटकर खड़े हुए थे। इसी प्रकार देसी के ठेके पर हमें कई व्यक्ति मिले जो अत्याधिक शराब की बोतलें ले जा रहे थे। और पूछने पर उन्होंने बताया कि यह सब ठेकेदार की है और हम उनके लिए शराब खरीद कर ले जा रहे हैं। कोई बैग में कोई झाले में तो एक आदमी अपने टी-शर्ट के अंदर ही देसी शराब के क्वार्टरों को भरकर ले जा रहे।
पुलिस भी बहुत मेहनत कर रही है। लोगों को भौतिक दूरी अपनाने के लिए और समझा समझा कर थक चुकी है। लेकिन शराब खरीदने के चक्कर में लोग कुछ भी नहीं समझ रहे हैं। ऐसे ही देहरादून के बीच शहर घंटाघर स्थित शराब के ठेके में हमें देखने को मिला काउंटर पर 4 से 5 लोग शराब खरीदने में लगे हैं। लेकिन दुकानदारों ने एक-एक करके शराब लेने के लिए किसी को भी नहीं कहा और वहां पर यूं ही शराब बेची जा रही है। आज कुछ लड़कियों ने भी काफी मात्रा में शराब खरीदी है,वहीं पर देसी ठेके पर भी यही नजारा देखने को मिला लोग भौतिक दूरी का भी ध्यान नहीं रख रहे थे। और एक दूसरे से सेट कर खड़े हो रखे थे। कुछ लोग जो देसी शराब के आधे पव्वे ले गए खरीदकर ले जा रहे थे। हमने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि इतनी शराब हमारी नहीं है। यह तो हमारे ठेकेदार की है और हम उसी के लिए ले जा रहे हैं।
कुछ इसी प्रकार का नजारा अंग्रेजी शराब की दुकान में कुछ मजदूर भी लाइन में लगे हुए थे जो लोग पुलिस चौकियों से राशन लेते थे। वह भी लाइन में लगे हुए थे और पुलिसकर्मी ने उन्हें पहचान लिया था तो पुलिसकर्मी ने कहा तुम आना चौकी में तुम्हें मिलेगा फ्री का राशन, एक ऐसे ही व्यक्ति ने जब कुछ बोतलें शराब की खरीदी तो हमने उससे पूछा कि तुम्हारा गुजारा कैसे चलता है तो उसने बताया मैं और मेरी पत्नी ईट बजरी सप्लायर के प्लॉट पर रहते है जिसके एवज में वह मुझे 200 रू रोज के देता है। प्लॉट की देखभाल के लिए इसलिए हमारा गुजारा ठीक चल जाता है। और इन 40 दिनों के लॉक डाउन में भी हमें कोई दिक्कत भी नहीं हुई थी। पूछा कि अपने पीने के लिए ले जा रहे हो तो उसने कहा नहीं साहब यह तो हमारे सप्लायर की है। सप्लायर ने कहा कि जाकर मेरे लिए शराब की क्वार्टर बोतल ले कर आ जाओ तो शायद इन बोतलों के लाने के एवज में वह मुझे एक क्वार्टर या कुछ रुपया दे देगा।
लेकिन दुकानदार अपने वाइन को बेचने के चक्कर में इन सब बातों को इग्नोर कर रहे हैं। और काउंटर पर 4 से 5 लोग इकट्ठा होकर वाइन खरीद रहे हैं। ऐसे में कोरोनावायरस के फैलने का अधिक खतरा रहता है जबकि पुलिस इस कार्य में लगी हुई है लेकिन ना ही खरीदार और ना ही दुकानदार शायद इस बात को समझ रहे हैं। दुकानदार अपना माल बेचना चाह रहा है तो खरीदार ज्यादा से ज्यादा वाइन की बोतलें खरीद कर अपने पास रखना चाह रहा है। वही देसी शराब के ठेके में भी हमने यही स्थिति देखी जहां पर लोगों का हुजूम जुटा हुआ था और कोई सोच भौतिक दूरी को ना मानते हुए वह एक दूसरे से सटकर खड़े हुए थे। इसी प्रकार देसी के ठेके पर हमें कई व्यक्ति मिले जो अत्याधिक शराब की बोतलें ले जा रहे थे। और पूछने पर उन्होंने बताया कि यह सब ठेकेदार की है और हम उनके लिए शराब खरीद कर ले जा रहे हैं। कोई बैग में कोई झाले में तो एक आदमी अपने टी-शर्ट के अंदर ही देसी शराब के क्वार्टरों को भरकर ले जा रहे।
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