एक रूपये ट्रांसफर करवाकर,करते थे खाते खाली

देहरादून–पुलिस की पूछताछ में गैंग के सरगना शरीद अन्सारी द्वारा बताया गया कि पूर्व में पश्चिम बंगाल के आसनसोल जिले के होटल रायल में कार्य करता था। मेरे गांव बदिया व आस-पास के इलाके बस्कुपी तथा मदनकट्टा के अधिकतर लोग आनलाइन ठगी के मामलों में संलिप्त हैं। जिनके रहन-सहन को देखकर मैने भी आनलाइन ठगी के माध्यम से लोगों के साथ ठगी करने की योजना बनाई। चूंकि मै ज्यादा पढा लिखा नहीं था इसलिये मैने अपने पडोस में रहने वाले अपने दो साथियों नबुवत अन्सारी व तनवीर आलम को अपनी इस योजना के बारे में बताते हुए उन्हें अपने साथ शामिल कर लिया। नबुवत अन्सारी 12 वीं तक पढा-लिखा हैं।
तथा उसके पास एडवांस कम्प्यूटर कोर्स का डिप्लोमा भी है एवं तनवीर आलम पूर्व में कोलकता के होटलों में कार्य करता था तथा पिछले कुछ समय से बेरोजगार था। ठगी के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले सिमों को हम पश्चिम बंगाल के 24 परगना, मुर्शिदाबाद व अन्य जनपदों से लाते थे। स्थानों पर फर्जी सिम हमें आसानी से उपलब्ध हो जाते थे। वहां से लाये गये सिमों में से कुछ को हम इस्तेमाल कर लेते थे तथा कुछ को गांव के ही अन्य लोगों को ऊंचे दामों में बेच देते थे। हमारे द्वारा अब तक कई लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया गया है। हम लोगों को काॅल करके पेटीएम की केवाईसी करवाने या अन्य चीजों का प्रलोभन देकर उनसे पूर्व में ही हमारे द्वारा बनाये गये फर्जी पेटीएम वालेट में उसके एवज में 01 रूपये ट्रांसफर करवाकर इस दौरान उनके मोबाइल में प्राप्त ओटीपी की जानकारी प्राप्त कर लेते थे। ओटीपी प्राप्त होते ही हम उनके खातों से समस्त धनराशी को अपने फर्जी वालेट में स्थानान्तरित कर उसे तत्काल् हमारे द्वारा बनाये गये अन्य अलग-अलग पेटीएम वालेटों में ट्रांसफर कर लेते हैं, पूर्व में बनाये गये फर्जी वालेट में हम किसी प्रकार की धनराशि नहीं छोडते हैं, क्योंकि शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत करने पर पुलिस द्वारा सर्वप्रथम उक्त वालेट को फ्रीज कर दिया जाता है। अलग-अलग पेटीएम वालेट में ट्रांसफर की गयी धनराशि को हमारे द्वारा बैंको, पोस्ट आफिस के खातों में डालकर उसकी निकासी की जाती है। हमारे द्वारा ऐसे व्यक्तियों के बैंक खातों में धनराशि डाली जाती है जो बेहद गरीब या उम्रदराज हों तथा आसानी से पैसों के लालच में हमारी बातों में विश्वास कर लें। ऐसे व्यक्तियों को हम उनके खातों में आये पैसों का 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा देते हैं, शेष धनराशि को हमारे द्वारा निकाल लिया जाता है। धोखाधडी से प्राप्त की गयी धनराशि को हमारे द्वारा छोटी-छोटी मात्रा में अलग-अलग बैंक खातों में डलवाया जाता है क्योंकि एक साथ बडी धनराशि को किसी के खाते में डलवाने पर हमें उक्त खाता धारक को धनराशि का 30 से 40 प्रतिशत तक हिस्सा देना पडता है। देहरादून में की गयी उक्त ठगी की घटना में हमारे द्वारा लगभग 04 लाख 45 हजार रूपये की धनराशि को अपने फर्जी वालेट में ट्रांसफर किया गया था। जिसे हमारे द्वारा तत्काल पूर्व में बनाये गये 85 अन्य पेटीएम वालेटों में छोटी-छोटी धनराशि के रूप में ट्रांसफर किया गया।





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