भारत व इंडो के बीच संबंधों को मजबूत करता पद्मासन मन्दिर
ऋषिकेश- एक वर्ष पहले भारत और बाली-इंडोनेशिया के मध्य सांस्कृतिक सम्बंधों को मजबूत करने के लिए स्थापित पद्मासन मन्दिर की प्रथम वर्षगांठ मनायी गयी। यह बाली के हिंदू लोगों के लिये ’’इडा संग ह्यंग विधी वासा’’ भगवान की पूजा करने के लिये एक मंदिर है। पद्मासन स्थूल जगत या भुआना अगुंग ब्रह्माडं का प्रतीक और चित्र है। इंडोनेशिया के चारों ओर कई इमारतों में पद्मासन पाया जा सकता हैं। पद्मासन , कावी भाषा (पुराने जावानीस) से आया यह दो शब्दों से बना है, पद्मा का अर्थ है कमल का फूल या केन्द्र और आसन का अर्थ है सिंहासन।
पद्यासन का अर्थ ब्रह्माण्ड की छवि जो इडा सांग हयांग विधी वासा का स्थान है। पद्मासन का मुख्य कार्य सर्वशक्तिमान ईश्वर की पूजा करने का स्थान है। पद्मासन पर अंकित चिन्ह प्राकृतिक स्तरों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हे हिन्दू लोग ट्राई लोका मानते हैं। त्रिलोक में भू लोक अर्थात पृथ्वी, भुव लोक (वायुमंडल) और स्व लोक अर्थात स्वर्ग शामिल हैं। इस प्रतीक को बेदावांग नाला (हिंदू पौराणिक कथाओं में बड़ा कछुआ) से अंताबोगा और बासुकी (दो ड्रैग) के साथ देखा जा सकता है।इंद्र उदयन, संस्थापक अध्यक्ष आश्रम गांधी पुरी, बाली, इंडोनेशिया और पुत्री गिरिन्द्रा के नेतृत्व में बाली-इण्डोनेशिया से आये दल ने पद्मासन मन्दिर में विधिवत पूजन किया।बाली से आये दल ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती एवं जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती से भेंट कर आशीर्वाद लिया तथा विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति के लिए विश्व ग्लोब का जलभिषेक किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पद्मासन की स्थापना एक प्रतीक मात्र नहीं है बल्कि यह बालिनी संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है जो भारत और इंडोनेशिया के मध्य सांस्कृतिक सम्बंधों को एक नयी पहचान दे रहा है। गंगा तट पर स्थित पद्यासन मन्दिर के दर्शन के लिए एक वर्ष में बाली से अनेक बार पर्यटकों का दल ऋषिकेश आया जिससे निश्चित रूप से यहां के पर्यटन और व्यापार में वृद्धि होती है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आज विश्व के विकास के लिये सामाजिक सामंजस्यता की जरूरत है। प्रकृति, पर्यावरण, जल जैसी वैश्विक समस्याओं के लिये जाति-धर्म और सीमाओं से उपर उठकर निष्पक्ष भाव से काम करने की आवश्यकता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आध्यात्मिकता में वह शक्ति है कि वह सभी विश्व के जनमानस को एकजुट कर सकती हैं। आध्यात्मिकता सभी को स्वीकार करने, गले लगाने पर जोर देती है। आध्यात्मिकता जीवन तथा वास्तविकता को अर्थ प्रदान करती है। आज वैश्विक स्तर पर विश्व में व्याप्त संस्कृतियों को आत्मसात करने की जरूरत है।इंद्र उदयन संस्थापक अध्यक्ष आश्रम गांधी पुरी, बाली, इंडोनेशिया ने कहा कि अब लगता है परमार्थ निकेतन हमारा दूसरा घर है। गंगा के पावन तट पर पद्मासन की स्थापना ने भारत-बाली सम्बंधों और प्रेम को और मजबूत किया है।पद्मासन बालिनी मन्दिर में एक प्रकार का मन्दिर है। यह मूल रूप से एक खंभे के उपर एक खाली सिंहासन के आकार का है। बालिनी हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवता के लिये इस आरक्षित रखा जाता है। पद्मासन अर्थात सर्वोच्च भगवान की एक वेदी। पद्मासन बाली का एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है।
पद्यासन का अर्थ ब्रह्माण्ड की छवि जो इडा सांग हयांग विधी वासा का स्थान है। पद्मासन का मुख्य कार्य सर्वशक्तिमान ईश्वर की पूजा करने का स्थान है। पद्मासन पर अंकित चिन्ह प्राकृतिक स्तरों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हे हिन्दू लोग ट्राई लोका मानते हैं। त्रिलोक में भू लोक अर्थात पृथ्वी, भुव लोक (वायुमंडल) और स्व लोक अर्थात स्वर्ग शामिल हैं। इस प्रतीक को बेदावांग नाला (हिंदू पौराणिक कथाओं में बड़ा कछुआ) से अंताबोगा और बासुकी (दो ड्रैग) के साथ देखा जा सकता है।इंद्र उदयन, संस्थापक अध्यक्ष आश्रम गांधी पुरी, बाली, इंडोनेशिया और पुत्री गिरिन्द्रा के नेतृत्व में बाली-इण्डोनेशिया से आये दल ने पद्मासन मन्दिर में विधिवत पूजन किया।बाली से आये दल ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती एवं जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती से भेंट कर आशीर्वाद लिया तथा विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति के लिए विश्व ग्लोब का जलभिषेक किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि पद्मासन की स्थापना एक प्रतीक मात्र नहीं है बल्कि यह बालिनी संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है जो भारत और इंडोनेशिया के मध्य सांस्कृतिक सम्बंधों को एक नयी पहचान दे रहा है। गंगा तट पर स्थित पद्यासन मन्दिर के दर्शन के लिए एक वर्ष में बाली से अनेक बार पर्यटकों का दल ऋषिकेश आया जिससे निश्चित रूप से यहां के पर्यटन और व्यापार में वृद्धि होती है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आज विश्व के विकास के लिये सामाजिक सामंजस्यता की जरूरत है। प्रकृति, पर्यावरण, जल जैसी वैश्विक समस्याओं के लिये जाति-धर्म और सीमाओं से उपर उठकर निष्पक्ष भाव से काम करने की आवश्यकता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आध्यात्मिकता में वह शक्ति है कि वह सभी विश्व के जनमानस को एकजुट कर सकती हैं। आध्यात्मिकता सभी को स्वीकार करने, गले लगाने पर जोर देती है। आध्यात्मिकता जीवन तथा वास्तविकता को अर्थ प्रदान करती है। आज वैश्विक स्तर पर विश्व में व्याप्त संस्कृतियों को आत्मसात करने की जरूरत है।इंद्र उदयन संस्थापक अध्यक्ष आश्रम गांधी पुरी, बाली, इंडोनेशिया ने कहा कि अब लगता है परमार्थ निकेतन हमारा दूसरा घर है। गंगा के पावन तट पर पद्मासन की स्थापना ने भारत-बाली सम्बंधों और प्रेम को और मजबूत किया है।पद्मासन बालिनी मन्दिर में एक प्रकार का मन्दिर है। यह मूल रूप से एक खंभे के उपर एक खाली सिंहासन के आकार का है। बालिनी हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवता के लिये इस आरक्षित रखा जाता है। पद्मासन अर्थात सर्वोच्च भगवान की एक वेदी। पद्मासन बाली का एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है।
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