पानी, पेड़ और प्राणवायु का सबसे अच्छा स्रोत है हिमालय
ऋषिकेश – परमार्थ निकेतन में हिमालयी राज्यों ’’सामाजिक और आर्थिक रूपांतरण’’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव संजय सिंह, निदेशक पंचायती राज उत्तराखण्ड एच सी सेमवाल और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
दो दिवसीय कार्यशाला में प्रथम दिन तीन सत्र आयोजित किये गये। प्रथम तकनीकी सत्र में ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण के लिये जन योजना अभियान विषय पर चर्चा की जिसमें अतिरिक्त सचिव पंचायत राज मंत्रालय, भारत सरकार, संजय सिंह, से. नि. विशेष सचिव बाला प्रसाद, एसोसिऐट प्रोफेसर एनआईआरडीपीआर डाॅ ए. के. भंजा ने प्रतिभाग किया। आज के दूसरे तकनीकी सत्र में हिमालयी राज्यों में जन योजना अभियान के माध्यम से विस्तृत जीपीडीपी प्राप्त करना विषय पर चिंतन किया गया। इसमें से. नि. विशेष सचिव पंचायत राज मंत्रालय, भारत सरकार बाला प्रसाद, संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर, एसआईआरडी हिमाचल प्रदेश डाॅ राजीव बंसल तथा जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के सरपंचों, ग्राम प्रधानों ने सहभाग कर अपने अनुभवों का साझा किया।
प्रथम दिवस के तीसरे तकनीकी सत्र में जीपीडीपी के साथ विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का समायोजन (कंवर्जेंस) विषय पर चर्चा हुई। इस सत्र में जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के वैैज्ञानिक डाॅ आर. सी. सुन्दरियाल, सीआईटीएच मुक्तेश्वर के डाॅ राज नारायण, डीआईएचएआर डीआरडीओ डाॅ आनन्द कुमार कटियार, पीसीआरआई भेल के पूर्व एजीएम डाॅ नरेश श्रीवास्तव, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार में संयुक्त सचिव लीना जौहरी, आयुष मंत्रालय में नेशनल मेडिसनल प्लांट्स बोर्ड के सीईओ डाॅ तनुजा मनोज, इंडीयन इंस्टीट्यूट ऑफ साॅयल एंड वाॅटर कन्जरवेशन के निदेशक डाॅ चरण सिंह, वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डाॅ कलाचन्द्र सैनी, हिमालयन फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डाॅ एस. एस. सामंत, कृषि एंव कृषक कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव राजेश वर्मा और अन्य उच्चाधिकारियों ने सहभाग किया।मुख्यमंत्री रावत ने कहा, हिमालयी राज्यों की भौगोलिक संरचना लगभग समान है अतः हिमालयी राज्यों के समूह आपस में मिलकर चिंतन करते है तो इसके विलक्षण परिणाम प्राप्त हो सकते है। यहां पर विभिन्न राज्यों से आये प्रतिभागी अपने अनुभव को बांटेगे, उनके द्वारा किये गये प्रयोगों और उसके परिणामों के विषय में चर्चा करेंगे इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी। उन्होने कहा कि जब सामूहिक सोच विकसित होती है तो विकास का सकारात्मक परिदृश्य प्राप्त होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी हिमालयी राज्यों को केन्द्र सरकार से एक अच्छा बजट प्राप्त हो रहा है। जैविक खेती के लिये भी बजट प्राप्त हो रहा है और यह निश्चित रूप से सुखद परिणाम लेकर आयेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी जो भी यहां पर उपस्थित है उनके पास कुछ न कुछ हिस्सा हिमालय का है और हम सभी का कार्य भी विकास का कार्य है। उन्होने कहा कि हम कार्यशालाओं के माध्यम से जो भी ग्रहण करते है उस अनुभव को अपने क्षेत्र में जाकर विकास कार्यो में लगाये। हमारे बीच में कई ऐसे लोग है जिसकें कार्यो से दूसरे लोगों की सोच और चिंतन में भी परिवर्तन हुआ है जिससे उस क्षेत्र का पूरा मानचित्र बदल जाता है बस यही काम हम सभी को यहां से जाकर करना है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने पांच हिमालयी राज्यों से आये प्रतिभागियों, उच्चाधिकारियों और अधिकारियों का उत्तराखण्ड की धरती पर अभिनन्दन करते हुये कहा कि हम सभी हिमालय वासी यह न समझे कि हम है तो हिमालय है बल्कि वास्तविकता तो यह है कि हिमालय है तो हम हैं; हिमालय है तो गंगा है; हिमालय है तो हम सब है। हिमालय हमें केवल जीवन ही नहीं देता; श्वास ही नहीं देता बल्कि हिमालय जैसा जीवन जीने का हौसला भी देता है। हिमालय, भारत की ढ़ाल बनकर सदियों से रक्षा कर रहा है। उन्होने कहा कि पानी, पेड़ और प्राणवायु का सबसे अच्छा स्रोत है हिमालय। स्वामी जी ने कहा कि जल वैज्ञानिकों की घोषणा है कि भारत के पास अभी जितना पीने योग्य जल है वर्ष 2030 तक वह आधा रह जायेगा कहा तो यह भी जा रहा है कि विश्व में सब से ज्यादा शरणार्थी जल के अभाव में होंगे इसलिये हम अपने गाद-गदेरे, तालाब, नदियों को बचाने का प्रयास करें और यह तभी होगा जब यह सब की योजना होगी। हमारे अन्दर यह भाव को कि मेरा कचरा मेरी जिम्मेदारी, मेरे घर के पास जिस नल से पानी बह रहा है उस पर ध्यान देना मेरी जिम्मेदारी है। उन्होने कहा कि ऐसी सोच विकसित करनी होगी कि ’मेरा गांव मेरा गौरव’ ’मेरा शहर मेरी शान बने’। इसके लिये हमें पहले अपने दिल और दिमागों को स्वच्छ करना होगा तभी हमारी सड़कें, गली औस् मुहल्ले स्वच्छ हो सकते है। सफाई और सच्चाई के रास्ते पर चलते हुये हम ऊँचाईयों को छू सकते है।
प्रथम दिवसीय सत्र के समापन के पश्चात सभी सहभागियों ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली विश्व विख्यात गंगा आरती में सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सभी विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा देकर अभिनन्दन किया। मुख्यमंत्री और स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने हिमालयी राज्यों ’’सामाजिक और आर्थिक रूपांतरण’’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में आये प्रतिभागियों को ’’स्वच्छ गांव-स्वच्छ शहर’’ का संकल्प कराया।
दो दिवसीय कार्यशाला में प्रथम दिन तीन सत्र आयोजित किये गये। प्रथम तकनीकी सत्र में ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण के लिये जन योजना अभियान विषय पर चर्चा की जिसमें अतिरिक्त सचिव पंचायत राज मंत्रालय, भारत सरकार, संजय सिंह, से. नि. विशेष सचिव बाला प्रसाद, एसोसिऐट प्रोफेसर एनआईआरडीपीआर डाॅ ए. के. भंजा ने प्रतिभाग किया। आज के दूसरे तकनीकी सत्र में हिमालयी राज्यों में जन योजना अभियान के माध्यम से विस्तृत जीपीडीपी प्राप्त करना विषय पर चिंतन किया गया। इसमें से. नि. विशेष सचिव पंचायत राज मंत्रालय, भारत सरकार बाला प्रसाद, संयुक्त सचिव आलोक प्रेम नागर, एसआईआरडी हिमाचल प्रदेश डाॅ राजीव बंसल तथा जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के सरपंचों, ग्राम प्रधानों ने सहभाग कर अपने अनुभवों का साझा किया।
प्रथम दिवस के तीसरे तकनीकी सत्र में जीपीडीपी के साथ विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों का समायोजन (कंवर्जेंस) विषय पर चर्चा हुई। इस सत्र में जीबी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के वैैज्ञानिक डाॅ आर. सी. सुन्दरियाल, सीआईटीएच मुक्तेश्वर के डाॅ राज नारायण, डीआईएचएआर डीआरडीओ डाॅ आनन्द कुमार कटियार, पीसीआरआई भेल के पूर्व एजीएम डाॅ नरेश श्रीवास्तव, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार में संयुक्त सचिव लीना जौहरी, आयुष मंत्रालय में नेशनल मेडिसनल प्लांट्स बोर्ड के सीईओ डाॅ तनुजा मनोज, इंडीयन इंस्टीट्यूट ऑफ साॅयल एंड वाॅटर कन्जरवेशन के निदेशक डाॅ चरण सिंह, वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डाॅ कलाचन्द्र सैनी, हिमालयन फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डाॅ एस. एस. सामंत, कृषि एंव कृषक कल्याण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव राजेश वर्मा और अन्य उच्चाधिकारियों ने सहभाग किया।मुख्यमंत्री रावत ने कहा, हिमालयी राज्यों की भौगोलिक संरचना लगभग समान है अतः हिमालयी राज्यों के समूह आपस में मिलकर चिंतन करते है तो इसके विलक्षण परिणाम प्राप्त हो सकते है। यहां पर विभिन्न राज्यों से आये प्रतिभागी अपने अनुभव को बांटेगे, उनके द्वारा किये गये प्रयोगों और उसके परिणामों के विषय में चर्चा करेंगे इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी। उन्होने कहा कि जब सामूहिक सोच विकसित होती है तो विकास का सकारात्मक परिदृश्य प्राप्त होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी हिमालयी राज्यों को केन्द्र सरकार से एक अच्छा बजट प्राप्त हो रहा है। जैविक खेती के लिये भी बजट प्राप्त हो रहा है और यह निश्चित रूप से सुखद परिणाम लेकर आयेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी जो भी यहां पर उपस्थित है उनके पास कुछ न कुछ हिस्सा हिमालय का है और हम सभी का कार्य भी विकास का कार्य है। उन्होने कहा कि हम कार्यशालाओं के माध्यम से जो भी ग्रहण करते है उस अनुभव को अपने क्षेत्र में जाकर विकास कार्यो में लगाये। हमारे बीच में कई ऐसे लोग है जिसकें कार्यो से दूसरे लोगों की सोच और चिंतन में भी परिवर्तन हुआ है जिससे उस क्षेत्र का पूरा मानचित्र बदल जाता है बस यही काम हम सभी को यहां से जाकर करना है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने पांच हिमालयी राज्यों से आये प्रतिभागियों, उच्चाधिकारियों और अधिकारियों का उत्तराखण्ड की धरती पर अभिनन्दन करते हुये कहा कि हम सभी हिमालय वासी यह न समझे कि हम है तो हिमालय है बल्कि वास्तविकता तो यह है कि हिमालय है तो हम हैं; हिमालय है तो गंगा है; हिमालय है तो हम सब है। हिमालय हमें केवल जीवन ही नहीं देता; श्वास ही नहीं देता बल्कि हिमालय जैसा जीवन जीने का हौसला भी देता है। हिमालय, भारत की ढ़ाल बनकर सदियों से रक्षा कर रहा है। उन्होने कहा कि पानी, पेड़ और प्राणवायु का सबसे अच्छा स्रोत है हिमालय। स्वामी जी ने कहा कि जल वैज्ञानिकों की घोषणा है कि भारत के पास अभी जितना पीने योग्य जल है वर्ष 2030 तक वह आधा रह जायेगा कहा तो यह भी जा रहा है कि विश्व में सब से ज्यादा शरणार्थी जल के अभाव में होंगे इसलिये हम अपने गाद-गदेरे, तालाब, नदियों को बचाने का प्रयास करें और यह तभी होगा जब यह सब की योजना होगी। हमारे अन्दर यह भाव को कि मेरा कचरा मेरी जिम्मेदारी, मेरे घर के पास जिस नल से पानी बह रहा है उस पर ध्यान देना मेरी जिम्मेदारी है। उन्होने कहा कि ऐसी सोच विकसित करनी होगी कि ’मेरा गांव मेरा गौरव’ ’मेरा शहर मेरी शान बने’। इसके लिये हमें पहले अपने दिल और दिमागों को स्वच्छ करना होगा तभी हमारी सड़कें, गली औस् मुहल्ले स्वच्छ हो सकते है। सफाई और सच्चाई के रास्ते पर चलते हुये हम ऊँचाईयों को छू सकते है।
प्रथम दिवसीय सत्र के समापन के पश्चात सभी सहभागियों ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली विश्व विख्यात गंगा आरती में सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सभी विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा देकर अभिनन्दन किया। मुख्यमंत्री और स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने हिमालयी राज्यों ’’सामाजिक और आर्थिक रूपांतरण’’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में आये प्रतिभागियों को ’’स्वच्छ गांव-स्वच्छ शहर’’ का संकल्प कराया।
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