’गंगा ने हमें जीवन संगीत दिया-सरस्वती

ऋषिकेश- परमार्थ निकेतन गंगा तट पर अखिल भारतीय लोक कला महोत्सव का आयोजन किया गया जिसमें भारत के विभिन्न स्थानों से आये विख्यात कलाकारों ने सहभाग किया और मनमोहक प्रस्तुतियाँ दी। परमार्थ निकेतन में प्रतिदिन नूतन और नवोदित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसके माध्यम से विश्व स्तर पर रचनात्मक, राष्ट्र हित, देश भक्ति के लिये, संस्कार, संस्कृति, महिला सशक्तिकरण, प्रकृति, पर्यावरण संरक्षण, उत्तराखण्ड, पूरे विश्व के लिये एवं नदियों की स्वच्छता के लिये वृहद् स्तर पर कार्य किये जा रहे है साथ ही जागरूकता हेतु प्रतिदिन संदेश एवं संकल्प प्रसारित किये जाते है। अखिल भारतीय लोेक कला महोत्सव में आये कलाकारों ने अनेक स्थानों पर अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां दी इस महोत्सव का समापन स्वामी चिदानन्द सरस्वती  के सान्निध्य में परमार्थ गंगा के पावन तट पर हो रहा है।

   परमार्थ गंगा तट पर सभी कलाकारों का अभिनन्दन करते हुये कला, साहित्य और संगीत के माध्यम से नेशनल स्तर पर स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रसारित करने का संदेश दिया।आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कर्नाटक सहसा कला अकादमी से आये कलाकार,  ऑल   इण्डिया लोक एवं आदिवासी आर्ट परिषद् से आये कलाकार और विभिन्न विशिष्ट अतिथियों को पवित्र गंगा तट पर रूद्राक्ष के पौधे देकर कर अखिल भारतीय लोेक कला महोत्सव शुभारम्भ किया। इस कार्यक्रम में सैंकड़ों की संख्या में देशी एवं विदेशी योग साधक, गंगा के उपासक, पर्यटक एवं परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने सहभाग किया।  स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा ’संगीत और साहित्य, जीवन में उल्लास, उमंग, खुशी और मार्गदर्शन देता है। साज, आवाज और ताल का अद्भुत संगम है संगीत। संगीत और साहित्य हमारी भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं विरासत है, जोे लोगों को एकता के सुत्र में बांध कर रखता है। उन्होने कहा,  ’हिमालय और गंगा हमारी विरासत है इन विरासतों को संरक्षित, स्वच्छ एवं सुन्दर बनाये रखने के लिये हम सभी को एक साथ खड़ा होना होगा। ’गंगा ने हमें जीवन संगीत दिया है अब कलाकारों एवं संगीतकारों को गंगा के लिये; हिमालय के लिये खड़े होने की जरूरत है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, साहित्य, कला और संगीत में हिन्दू धर्म की जडे़ं समाहित है। संगीत एक समग्र कला है जो भीमबेटक एवं हड़प्पा की सभ्यता के साथ दर्शन, धर्म, मौसम और पर्यावरण के प्रति जन समुदाय को जागरूक करता है।
वर्तमान समय में स्वच्छता, जल एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता नितांत आवश्यक है और इसके लिये संगीतकार महती भूमिका निभा सकते है।अखिल भारतीय लोेक कला महोत्सव में आये कलाकारों एवं संगीतकारों ने गंगा जी के तट पर मंत्रमुग्ध करने वाला दिव्य संगीत प्रस्तुत किया। उत्तराखण्ड, तमिलनाडु, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, राजस्थान, जम्मू कश्मीर और भारत के विभिन्न प्रांतों से आये कलाकरों ने अद्भुत प्रस्तुतियां प्रस्तुत की।कलाकरों ने प्रस्तुतियों के माध्यम से बेटी बचाओ, पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण पर्व, दीपावली में पटाखे के स्थान पर ढोल बजाकर दीपावली मनाने का संदेश दिया। जम्मू कश्मीर से आये  खेमराज कुड, पंजाब के  गुरिंदर सिंह जिंदाबाद भांगड़ा और गिद्दा, हिमाचल प्रदेश के  चंद्रमोहन ठाकुर ने दीपक और परत नृत्य, राजस्थान से आये  गौतम परमार ने भवाई नृत्य कालबेलिया नृत्य,  भगत सिंह राणा उत्तराखण्ड हारून लोक नृत्य, हरियाणा से आये  अशोक गुड्डू फाग लोक नृत्य, पार्थसारथी कर्नाटक राज्य से पूजा कूनिता द्वारा डोलू कुनिता और वीर गासे, वीरभद्र, केरल की  आशा लता  द्वारा लोक नृत्य सिंगार प्रस्तुत किया गया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने उपस्थित सभी जनसमुदाय को जल संरक्षण का संकल्प कराया और विभिन्न प्रांतों से आये कलाकारों ने स्वामी जी महाराज के सान्निध्य में वाटॅर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने संगीतकारों और कलाकारों को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया तथा रूद्राक्ष की माला पहनाकर अभिनन्दन किया।सभी कलाकार परमार्थ गंगा तट पर आकर अत्यंत उत्साहित थे उन्होने कहा कि यह वास्तव में स्वर्ग तुल्य स्थान है जहां पर शाश्वत शान्ति और कण कण में आध्यात्मिकता समाहित है।

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