गौ गंगा गोपालमणि के निर्दलीय ताल ठोकने से किसका होगा खेल खराब

देहरादून–टिहरी  लोकसभा  क्षेत्र टिहरी,उत्तरकाशी और  देहरादून जिले की विभिन्न १४ विधानसभा  क्षेत्रों  से  मिलकर बना  है,जिनमें उत्तरकाशी की पुरोला,य़मुनोत्री,गंगोत्री विधानसभा हैं। टिहरी गढवाल की प्रतापनगर घनसाली धनौल्टी, देहरादून जिले की  चकराता, विकासनगर, सहस्पुर, कैंट, राजपुर रोड, मंसूरी और  रायपुर  विधानसभा आती हैं।  इस लोकसभा के प्रतिनिधित्व  की तो आजादी के बाद सर्वाधिक बार टिहरी  राज परिवार ही यहां से जीता रहा हैं।जिसमे 1952 कमलेंदू मती शाह, 1957, 62, 67 में मानवेंद्र शाह ,1971 में परिपूर्णानन्द  पैन्यूली, 1977, 80 में त्रेपन सिंह नेगी ,1984, 89में  ब्रहम दत्त ,फिर 19991से अपने  जीवन के आखिर  दिन तक यानी  2007 तक मानवेन्द्र शाह, फिर 2007 के उपचुनाव और 2009 में विजय बहुगुणा और 2012 के उपचुनाव, और 2014 से एक  बार  फिर राज परिवार से माला राज्यलक्ष्मी शाह हैं। 8 बार रहे सांसद मानवेन्द्र शाह की बहू हैं। आजाद  भारत  में  टिहरी  लोकसभा  को  क्रमाक एक पर  रखा  गया 2008 परिसीमन से पहले इस सीट की भौगोलिक स्थिति कुछ  इस तरह  थी।
उत्तरकाशी की सभी  तीनो विधानसभा, टिहरी की सभी 6 विधानसभा ,देहरादून की चकराता ,विकासनगर,मंसूरी ,राजपुर, डोईवाला, ऋषिकेश, रायपुर विधानसभा भी इसी लोकसभा में पड़ती थी। 2008 के परिसीमन  ने इस सीट को पहाड  के बजाय  मैंदानी  बाहुल्य कर दिया,इस सीट से  नरेन्द्रनगर,देवप्रयाग  विधानसभाओं  को तोड़कर  गढवाल  लोकसभा  में  जोड़  दिया, साथ  ही ऋषिकेश  और  डोईवाला  विधानसभाओं को तोड़कर  हरिद्वार  लोकसभा  में  जोड़  दिया  गया  हैं। इस सीट पर टिहरी, उत्तरकाशी  का दबदबा खत्म सा हो गया हैं।पहले जहां  नामांकन प्रक्रिया  टिहरी  और  बाद  में  नई टिहरी  में  होता  था वो  सब अब  देहरादून में  होता हैं।  सामान्य से परिवार  में  जन्मे परिपूरणानन्द  पैन्यूली  हो या  त्रेपन सिह  नेगी  सभी  पहाड  के दर्द  से  वाखिफ  थे  पर  परिसीमन  के बाद  स्थिति  ये  है  कि पहाड के लोग  सिर्फ  वोट  बैंक  बनकर  रह गये,टिहरी उत्तरकाशी के पहाड  के वोटरों  को तीन लोकसभाओं टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार में  बांट दिया  गया  जो कि दुर्भाग्य हैैं। 17 वीं लोकसभा में पहाड़ के  मुद्दे समस्याएं वही हैं। जिनमें प्रमुख रूप से पलायन,स्वास्थ्य,शिक्षा,डोबरा,चांठी पुल निर्माण,टिहरी बांध विस्थापितों,प्रभावितों की समस्याएं,प्रतापनगर को केन्द्रीय ओबीसी दर्जे की माँग, सेम मुखेम को पाँचवा धाम घोषित करने की माँग हो या गंगा घाटी की समस्या अथवा यमुना घाटी तमाम समस्याएं है। पर दुर्भाग्य आज का चुनाव इन मुद्दों के बजाय अन्य मुद्दों पर केंद्रित हो रहा है,बहरहाल गंगा,यमुना के मायके यानि गंगोत्री,गोमुख,यमुनोत्री,धाम सहित सेम मुखेम,महासू देवता ,सुरकण्डा माता की इस पावन धरा में राजनीत्तिक सरगर्मी तेज हो गयी है। राज परिवार से प्रीतम सिंह  से सांसदी हथियाने को लालायित हैं। वहीं दूसरी तरफ गौ गंगा कृपाकांक्षी गोपालमणि भी निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं।
                                                               देहरादून ,मसूरी, चकराता, धनौल्टी, नईटिहरी, चम्बा, पुरोला, बड़कोट  तिलाड़ी, मोरी, हर्षिल, भटवाड़ी, प्रतापनगर, चौरंगीखाल, केमुंडाखाल,राड़ी,पवांली,घुतु, बूढाकेदार, महस्त्रताल,दयारा बुग्याल आदि पर्यटन स्थलों  को अपने भौगौलिक क्षेत्र में समेटे टिहरी लोकसभा 2019 में किसे अपना प्रतिनिधि चुनता है,ये तो 23 मई को पता लग जायेगा,लेकिन जिस तरह से दो सियासी परिवारों, राज परिवार और प्रीतम सिंह मे से कौन सांसद बनने को लालायित हैं। कहीं न कहीं निर्दलीय गोपालमणि इन दोनों के खेल को बिगाड़ सकते हैं।सभी के मन में यही सवाल है कि क्या टिहरी में सांसद इस बार भी  सियासी परिवार से ही बनेगा या कोई नया इतिहा बनेगा,बहरहाल टिहरी लोकसभा में चुनाव प्रचार की गति में तेजी आ चुकी हैैं।

Comments

Popular posts from this blog

रुद्रप्रयाग के पास दो लोग स्कूटी समेत खाई में गिरे

चोरी की स्कूटी के साथ दो अरोपी को पकड़ा

लोगों को बीमा पॉलिसी का लालच देकर,ठगी करने वाले तीन शातिर गिरफ्तार