सिडकुल मात्र घोटालों का अड्डा बन–भट्ट
देहरादून– उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय कार्यालय में उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट नें इन्वेस्टर समिट के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले सरकार प्रदेश में उद्योगों के लिए मुफीद माहौल तैयार करें। पूर्व में जिन निजी विश्वविद्यालय एवं संस्थानों को मंजूरी दी गई थी वह राज्य सरकार को कोई लाभ नहीं दे रहे हैं तथा राज्य में औद्योगिक विकास के लिए बनाया गया सिड़कुल दयनीय स्थिति में है। सिडकुल मात्र घोटालों का अड्डा बन कर रह गया है। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार की कार्यप्रणाली से यह प्रतीत होता है कि केवल जमीनों का बड़ा खेल करने के लिए इस तरह के आयोजन किए जा रहे हैं।
भट्ट ने केंद्रीय कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कांग्रेस तथा भाजपा दोनों पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 18 वर्षों में उत्तराखंड में लगने वाले उद्योगों में 70% स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार का शासनादेश पूरी तरह से लागू कराने में दोनों सरकारें नाकाम रही है। अगर सरकार की मंशा वाकई में प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार देने की है तो सरकार पहले 40000 से अधिक संविदा कर्मियों को तत्काल नियमित करें तथा यथाशीघ्र प्रदेश से ठेकेदारी प्रथा समाप्त करें। उनका कहना था कि ठेकेदारी प्रथा के चलते मजदूर तबके का शोषण हो रहा है।उद्योगपतियों को पहाड़ों में भूमि उपलब्ध कराने के सवाल पर उनका कहना था कि पिछले 18 वर्षों में 72000 हेक्टेयर कृषि भूमि समाप्त हो चुकी है तथा उत्तराखंड के लगभग 450 गांव दैवीय आपदा की चपेट में है, जिन्हें विस्थापित किया जाना है। उनके लिए आज तक सरकार भूमि की व्यवस्था नहीं कर पाई है। उनका कहना था कि उत्तराखंड में भी हिमाचल प्रदेश जैसा सख्त कानून बनाया जाना चाहिए। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में उसकी स्थापना के बाद से आज तक भू कानून अस्तित्व में है। हिमाचल के विकास में वहां के भू कानून का अहम योगदान रहा है। लेकिन उत्तराखंड में पूर्व में ही विकास और रोजगार की बातें करके कृषि योग्य हजारों हेक्टेयर जमीन उद्योग पतियों को कौड़ियों के भाव मार दी गई। जल विद्युत परियोजनाओं के नाम पर प्रदेश की नदियां जेपी तथा रेड्डी बंधुओं को सौंप दी गई। लेकिन यह मनन करने योग्य बात है कि इन परियोजनाओं से उत्तराखंड को आज क्या मिला?
बेरोजगारों की फौज प्रदेश में बढ़ती जा रही हैं। बेहतर चिकित्सा के अभाव में मरीज अस्पतालों में फर्श पर ही दम तोड़ रहे हैं। प्रदेश में 108 सेवा दम तोड़ चुकी है। पिछले 18 वर्षों में प्रदेश में 33000 करोड़ का इन्वेस्टमेंट हुआ था इसके बावजूद प्रदेश में मूलभूत सुविधा और जनता के मौलिक अधिकारों का अभाव रहा है। पत्रकार वार्ता में दल के संरक्षक काशी सिंह ऐरी ,बीडी रतूडी, हरीश पाठक तथा महानगर अध्यक्ष संजय छेत्री आदि मौजूद थे।
भट्ट ने केंद्रीय कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कांग्रेस तथा भाजपा दोनों पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 18 वर्षों में उत्तराखंड में लगने वाले उद्योगों में 70% स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार का शासनादेश पूरी तरह से लागू कराने में दोनों सरकारें नाकाम रही है। अगर सरकार की मंशा वाकई में प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार देने की है तो सरकार पहले 40000 से अधिक संविदा कर्मियों को तत्काल नियमित करें तथा यथाशीघ्र प्रदेश से ठेकेदारी प्रथा समाप्त करें। उनका कहना था कि ठेकेदारी प्रथा के चलते मजदूर तबके का शोषण हो रहा है।उद्योगपतियों को पहाड़ों में भूमि उपलब्ध कराने के सवाल पर उनका कहना था कि पिछले 18 वर्षों में 72000 हेक्टेयर कृषि भूमि समाप्त हो चुकी है तथा उत्तराखंड के लगभग 450 गांव दैवीय आपदा की चपेट में है, जिन्हें विस्थापित किया जाना है। उनके लिए आज तक सरकार भूमि की व्यवस्था नहीं कर पाई है। उनका कहना था कि उत्तराखंड में भी हिमाचल प्रदेश जैसा सख्त कानून बनाया जाना चाहिए। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में उसकी स्थापना के बाद से आज तक भू कानून अस्तित्व में है। हिमाचल के विकास में वहां के भू कानून का अहम योगदान रहा है। लेकिन उत्तराखंड में पूर्व में ही विकास और रोजगार की बातें करके कृषि योग्य हजारों हेक्टेयर जमीन उद्योग पतियों को कौड़ियों के भाव मार दी गई। जल विद्युत परियोजनाओं के नाम पर प्रदेश की नदियां जेपी तथा रेड्डी बंधुओं को सौंप दी गई। लेकिन यह मनन करने योग्य बात है कि इन परियोजनाओं से उत्तराखंड को आज क्या मिला?
बेरोजगारों की फौज प्रदेश में बढ़ती जा रही हैं। बेहतर चिकित्सा के अभाव में मरीज अस्पतालों में फर्श पर ही दम तोड़ रहे हैं। प्रदेश में 108 सेवा दम तोड़ चुकी है। पिछले 18 वर्षों में प्रदेश में 33000 करोड़ का इन्वेस्टमेंट हुआ था इसके बावजूद प्रदेश में मूलभूत सुविधा और जनता के मौलिक अधिकारों का अभाव रहा है। पत्रकार वार्ता में दल के संरक्षक काशी सिंह ऐरी ,बीडी रतूडी, हरीश पाठक तथा महानगर अध्यक्ष संजय छेत्री आदि मौजूद थे।
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