जापान में पूर्वजों की पूजा को बोन फेस्टिवल के नाम से जाना जाता है

देहरादून – दून विश्वविद्यालय में भारत और जापान की संस्कृति पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में भारत और जापान के साहित्य, शिक्षा और संस्कृति पर शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जापान के कोकूगाकूइन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नाओयुकी ओगावा ने जापान में पूर्वजों की पूजा से जुड़ी सांस्कृतिक पद्धितियों के बारे में विस्तार से बताया, जिन्हें बोन फेस्टिवल के नाम से जाना जाता है। इस उत्सव का उद्देश्य व्यक्तिगत जीवन में बुराई को खुद से दूर करना और सौभाग्य को लेकर आना है।
दूसरे वक्ता डा. लोकेश ओहरी ने दोनों एशियाई देशो में मौजूद सांस्कृतिक समानताओँ पर विस्तार से चर्चा की। संगोष्ठी का आयोजन दून विश्वविद्यालय और कोकूगाकूइन विश्वविद्यालय ने मिलकर किया। कार्यक्रम में जे.एन.यू में जापानी भाषा विभाग के प्रमुख प्रोफेसर पी. ए. जार्ज, प्रोफेसर मंजुश्री चौहान, डा. मासाकी सैंडो, इकेदा माई, योनेया योइची, सुजुकी केची सहित कई वक्ताओं ने अपना वक्तव्य रखा। कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए दून विश्वविद्यालय के
कुलपति प्रोफेसर सी. एस नौटियाल ने कहा कि इस कार्यक्रम से विश्वविद्यालय में जापानी भाषा सीख रहे छात्रों को बहुत फायदा मिलेगा।कार्यक्रम में ओकीनावा विश्वविद्यालय,जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय,दिल्ली विश्व वि, इफ्लू हैदराबाद सहित देश के कई विश्वविद्यालयों में भारत और जापान की संस्कृति और सभ्यता पर शोध कर रहे छात्रों ने प्रतिभाग किया। दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. एम. एस. मंद्रवाल ने स्वागत भाषण दिया। इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन दून विवि में जापानी विभाग के इंचार्ज असिस्टेंट प्रोफेसर रवि कुमार के व्यक्तिगत प्रयासों से ही संभव हो पाया।

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