अब माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करेगे दिव्यांगजन
देहरादून – भारत को पैरा स्पोर्ट्स की दुनिया में एक महाशक्ति बनाने की दिशा में ए एम एफ और सीमा सुरक्षा बल ने संयुक्त रूप से दिव्यांगजनों को प्रशिक्षित करने की मुहिम चलाने का संकल्प लिया हैं दिव्यांगजनों के एक दल को पर्वतारोहण का प्रशिक्षण देकर वर्ष 2020 में माउंट एवरेस्ट पर फतह करने का लक्ष्य रखा गया है।बीएसएफ महानिदेशक ने बद्रीनाथ में एएमएफ और बीएसएफ इंस्टीट्यूट ऑफ एडवेंचर एंड एडवांस ट्रेनिंग के संयुक्त तत्वावधान में पांच पैरा-एथलीट दिव्यांगजनों के पर्वतारोहण प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया। दो महीने तक संचालित किए जाने वाले इस प्रशिक्षिण का आधार शिविर 10,500 फीट ऊंचाई पर स्थित है। इस दौरान 16,000 फीट ऊंचाई तक प्रशिक्षण गतिविधियां की जाएंगी। पैरा-म्यूटेनियरिंग के लिए बीआईएएटी से सहयोग लिया जाएगा।ए एम एफ ने इस टीम में पहले से ही चार सदस्यों को एक साथ रखा है, जिनमें से सभी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान हैं। ये जवान देश रक्षा की खातिर घायल होकर दिव्यांग हो गए थे। टीम में अमर कुमार संतरा एक दृष्टिहीन विकलांग जवान जिन्होंने पैरा तैराकी में 1 स्वर्ण और 2 रजत जीते हैं। इसके अलावा एम वेंकटशैप को दुश्मन से मुकाबला करते समय पैर में गोली लग गई थी जिससे वह 65 फीसदी दिव्यांगता के साथ शारीरिक रूप से अक्षम हो गए। अजय सिंह और जगन्नाथ भी अपनी ड्यूटी करते हुए दिव्यांगता के शिकार हो गए थे।
ए एम एफ द्वारा 2020 में जापान के टोक्यो में आयोजित होने वाले पैरालाम्पिक्स खेलों में देश के 100 दिव्यांगज खिलाड़ियों की प्रशिक्षित टीम को शामिल करने के लिए भी कार्य किया जा रहा है। इसके लिए फाउंडेशन और भारत के सीमा सुरक्षा बल के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।ए एम एफ के संस्थापक ने कहा कि इसे विडम्बना ही कहा जा सकता है कि समाज में दिव्यांगता को हीन भावना के साथ देखा जाता है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों को भी आमजन की तरह से जीने का अधिकार है। दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर और स्वाभिमान के साथ जीवन यापन करने कार्य के लिए एएमएफ पूरी तरह से संकल्परत है। उन्होंने कहा कि एक हादसे के बाद पैर की दिव्यांगता ने उन्हें चुनौतियों का सामना करना सिखाया और उन्हें दिव्यांगजनों के साथ कार्य करने की प्रेरणा मिली। उनका कहना है कि दिव्यांगजनों को सिर्फ हौसला अफजाई की जरूरत है वे अपनी जगह खुद बना सकते हैं और देश का नाम रोशन कर सकते हैं।मेहता ने अपने दुर्घटना के कुछ महीनों बाद साइकल चलाना शुरू किया और 2013 में एशियाई पैरा-साईकलिंग चैम्पियनशिप में देश के लिए दो रजत पदक जीते। आदित्य का कहना है कि दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने का लक्ष्य लेकर उन्होंने 2014 में ए एम एफ का गठन किया। फाउंडेशन द्वारा आर्थिक अनुदान के माध्यम से दिव्यांगों को कृत्रिम अंगों, खेल उपकरण आदि की सुविधा प्रदान कर उनकी प्रतिभा के अनुसार प्रशिक्षित कर मंच देने का कार्य बखूबी किया जा रहा है।फाउंडेशन से प्रशिक्षण और मागदर्शन प्राप्त कई दिव्यांग खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पैरा-स्पोर्ट प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर कई पदक भी जीत चुके हैं।
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