नशा नहीं नई दिशा को अपनाये...

ऋषिकेश  - परमार्थ निकेतन की पहल  पर वाशअप अभियान अन्तर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर दीप प्रज्जवलित कर लांच किया गया ।वाशअप छः महिने के अथक प्रयासों से बनाया गया प्रोग्राम है जो हाइब्रिड मीडिया का उपयोग, सतत भागीदारों के लिये वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने, जमीनी सक्रियता, मीडिया अभियान, आॅनलाइन सक्रियण तथा विकास लक्ष्य प्राप्त करने वाले भागीदारों के साथ आॅनलाइन और आॅफलाइन दोनों गतिविधियों का उपयोग करेगा।
 19 नवंबर 2016 को मुम्बई में आयोजित ग्लोबल सिटीजन फेस्टिवल के उद्घाटन अवसर पर कोल्डप्ले, जेड जेड, अभिनेता आमिर खान, अभिनेत्री कैटरीना कैफ, प्रसिद्ध गायक एआर रहमान, अभिनेता फरहान अख्तर, अभिनेत्री श्रद्धा कपूर, अभिनेता अर्जुन कपूर, अरजीत सिंह, दीया मिर्जा, शंकर एहसान लाॅय और मोनाली ठाकुर व अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे यह ग्लोबल सिटीजन इन्डिया की पहली पहल थी। जिसका उद्देश्य जल, स्वच्छता और स्वच्छता के मुद्दों के विषय में जागरूकता बढ़ाने है। इस अभियान की शुरूआत 
उत्तराखण्ड मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत परमार्थ निकतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती , ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती , ग्लोबल एजुकेशन एंड लीडरशिप फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष शिव खेमका एवं  21 देशों से आये युवा प्रतिनिधियों ने सहभाग किया। वैश्विक युवा प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि युवाओं में अनन्त ऊर्जा  विद्यमान होती है उसे सही दिशा में लगाने हेतु प्रेरित करना ही इस सम्मेलन का उद्देश्य है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने युवाओं से ड्रग्स मुक्त संसार के निर्माण का आह्वान किया। उन्होने कहा कि आप सभी मिलकर अपने विकास और कौशल के बल पर एक ऐसे विश्व का निर्माण करे जहां पर आपस में सद्भाव, समरसता, भाईचारा हो तथा सब मिलकर शान्ति के लिये कार्य करे। युवा अपने लक्ष्यों को उच्चतम एवं श्रेष्ठतम बनाये। साथ ही वसुधैव कुटुम्बकम की संस्कृति को अपनाये तथा प्रकति के साथ मित्रवत् व्यवहार करे और अपनी जड़ों से जुडे रहे यही तो मानव जीवन का उद्देश्य है। उन्होने युवाओं के संदेश दिया कि नशे के साथ नहीं बल्कि नई दिशा को अपनायें।

  मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थिति में ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस एवं द ग्लोबल एजुकेशन एंड लीडरशिप फाउंडेशन के मध्य एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुये जिसमें दोनों मिलकर वाटर, सैनिटेशन, हाइजीन, युवा, महिलाओं एवं पूरे समाज  के लिये कार्य करेंगे ताकि सभी को एक नई दिशा मिल सके तथा स्वच्छ भारत अभियान में भी इसकी महती भूमिका होगी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा ’’अपने लीडर्स स्वंय बने और सामाजिक मूल्यों के साथ अनुशासनात्मक जीवन पद्धति अपनाये। उन्होने कहा कि मनुष्य जीवन अपने लिये नहीं बल्कि सब के लिये होता है। जीवन में श्रेष्ठ मूल्यों का होना नितांत आवश्यक है साथ ही सबसे बड़ा मूल्य होता है चरित्र, चरित्र जिसका महान है उसी का जीवन मूल्यवान है और महान है इसलिये अपने चरित्र पर, अपनी ईमानदारी पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड की धरती अतिथि देवो भव की धरती है, सब को अपना बना लेने की धरती है यहां की वायु, जल, योग, ध्यान और आध्यात्मिकता पूरे विश्व के करोड़ों लोगों को एक नई प्रेरणा देती है, मैं चाहता हूँ कि आप सभी अपने जीवन में योग और ध्यान को अपनाये तथा अपने जीवन को शान्तमय बनाये साथ ही अपनी शान्ति से दूसरों तक शान्ति का संदेश पहुंचाये। उन्होने वृक्षारोपण और पौधों के संरक्षण पर जोर देते हुये पर्यावरण के प्रति समर्पित जीवन जीने का संदेश दिया।
साध्वी भगवती सरस्वती  ने कहा कि विश्व एक परिवार की संस्कृति को आत्मसात कर उन करोड़ों भाई-बहनों की मदद के लिये आगे आये जो 21 वीं सदी में भी मौलिक सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन करने को मजबूर है। आज भी दुनिया में ऐसे परिवार है जिनके पास स्वच्छ जल, सैनिटेशन, स्वच्छ शौचालय, शिक्षा, स्वास्थ्य और दो वक्त की रोटी का भी साधन नहीं है। उन्होने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने अवकाश काल को सेवा काल के रूप में व्यतीत करे तो अपना और दूसरों का जीवन भी आनंदित हो उठेगा। शिव खेमका ने कहा कि यह केवल जीवन सम्मेलन नहीं बल्कि हमारी तीन दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा भी है जिसमें हमने जीवन के वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को जाना। यहा आकर युवाओं ने कर्म ही नहीं बल्कि विचारों में सकारात्मक बदलाव की विधा को जाना।  शिव खेमका और उर्वशी खेमका ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत , स्वामी चिदानन्द सरस्वती , साध्वी भगवती सरस्वती , डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को आभार व्यक्त किया और कहा कि जीवन सम्मेलन के माध्यम से जीवन में परिवर्तन के लिये गंगा के तट से उत्तम कोई स्थान नहीं है यहां आकर स्वतः की परिवर्तन आरम्भ हो जाता है। उन्होने परमार्थ गंगा आरती को आध्यात्मिक आनन्द का प्रमुख स्रोत बताया।

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