रिस्पना नदी की बात करें
देहरादून-चलिये आज रिस्पना नदी की बात करते हैं। देहरादून का आम नागरिक इस नाम से ही परिचित है लेकिन शहर में इस नदी का नाम तो बड़ा है लेकिन दर्शन छोटे हैं क्योंकि मानव दबाव के कारण इसमें गंदगी अधिक एवं जल की मात्रा बहुत कम है।55 किमी0 की लम्बी इस नदी का जलग्रह क्षेत्र लगभग 376 वर्गकिमी0 में फैला है। नदी के उदगम की बात करें तो यह मसूरी स्थित लंढौर या कहें तो वुड स्टोक स्कूल के पास, समुद्रतल से 2080 मीटर की ऊंचाई पर है। कुछ लोग इसका उदगम शिखर फॉल के समीप मानते हैं। यह नदी
गौहरीमाफी (निकट ऋषिकेश) के समीप गंगा में समा जाती है और पवित्र हो जाती है (गौहरीमाफी पहुंचे तो गंगा नहायें)।
रिस्पना नदी के जलग्रह क्षेत्र के जी0आई0एस0 मानचित्र में इसकी जलधारायें साफ देखी जा सकती हैं। इसमें 845 जल निकासी, 12 रावों एवं 02 गाड़ मुख्यतः मिलते हैं।पानी पिलाने हेतु इस नदी से 13 से 13.5 MLD बोले तो मिलियन लीटर प्रतिदिन (मिलियन बोले तो दस लाख)। मासी फॉल एवं शिखर फॉल (यही दो मुख्य स्रोत हैं पानी निकासी के मंसूरी में)।देहरादून में शहंशाही आश्रम में फिर चुरा लेते हैं 14 MLD (बोले तो जैसे ऊपर)। ट्रीटमेंट प्लांट भी लगा है यहां पानी पिलाने में . वैज्ञानिक राजेंद्र डोभाल की कलम से.
गौहरीमाफी (निकट ऋषिकेश) के समीप गंगा में समा जाती है और पवित्र हो जाती है (गौहरीमाफी पहुंचे तो गंगा नहायें)।
रिस्पना नदी के जलग्रह क्षेत्र के जी0आई0एस0 मानचित्र में इसकी जलधारायें साफ देखी जा सकती हैं। इसमें 845 जल निकासी, 12 रावों एवं 02 गाड़ मुख्यतः मिलते हैं।पानी पिलाने हेतु इस नदी से 13 से 13.5 MLD बोले तो मिलियन लीटर प्रतिदिन (मिलियन बोले तो दस लाख)। मासी फॉल एवं शिखर फॉल (यही दो मुख्य स्रोत हैं पानी निकासी के मंसूरी में)।देहरादून में शहंशाही आश्रम में फिर चुरा लेते हैं 14 MLD (बोले तो जैसे ऊपर)। ट्रीटमेंट प्लांट भी लगा है यहां पानी पिलाने में . वैज्ञानिक राजेंद्र डोभाल की कलम से.
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