बाबा के भरोसे तीर्थयात्री
रुद्रप्रयाग-केदारनाथ में कपाटोत्सव पर हजारों श्रद्धालु बने इस पल के साक्षी 2013 आपदा के बाद पहली बार पहुचे हजारों श्रद्धालु विश्व प्रशिद्ध भगवान केदार नाथ के कपाट बिधिवत मँत्रोचारणो के साथ 6 बजकर पंद्रह मिनट पर आम श्रद्धालुओ के दर्शनार्थ खुल गए है।राज्यपाल के के पाल बिधान सभा अध्यक्ष प्रेमअग्रवाल ,सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के साथ विधायक केदारनाथ मनोज रावत सहित हजारों की संख्या में कपाटोत्सव पर देश विदेश से आये श्रद्धालु इस पल के साक्षी बने।
पिछली सरकार ने आपदा के बाद चार धाम यात्रा में एक नई व्यवस्था लागू की थी जिसमें हर यात्री का बायोमेट्रिक वह स्वस्थ परीक्षण का प्रमाण पत्र के साथ वह अपनी यात्रा करेगा तथा सभी यात्रा मार्गो में पुलिस द्वारा उन सभी यात्रियों के बायोमेट्रिक और स्वास्थ्य प्रमाण पत्रों को चेक करके ही आगे के लिए रवाना करेंगे लेकिन वर्तमान सरकार ने बायोमेट्रिक व्यवस्था तो रखी रखी मगर स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था को खत्म कर दिया जिसके कारण अस्वस्थ आदमी भी केदारनाथ की 22 किलोमीटर लम्बी व कठिन चढ़ाई से यात्रा करता है। और कई बार ब्लड प्रेशर हाई या लो हो जाने की वजह से उसकी तबीयत खराब हो जाती है
मगर सरकार अपने आंकड़ों पर ज्यादा ध्यान दे रही है ना कि यात्रियों के स्वास्थ्य के प्रति चिंता कहीं दिखाई देती हैं। इस प्रकार से इस बार पहले ही दिन श्री केदारनाथ धाम पहुंचने वाले 8 हजार से ज्याद यात्री बाबा केदार पहुंच और यात्रियों की संख्या में इजाफा भी हुआ वही पुलिस की लापरवाही की वजह से यात्री देर रात तक अपने गंतव्य तक पहुंचने का प्रयासरत रहे। मौसम भी खराब हो रखा था और रह रह कर केदारपुरी में बारिश हो रही थी। जिससे पूरा 22 किलोमीटर का यात्रा मार्ग बेहद फिसलन भरा हो था इसमें कई यात्री गिर भी गए थे उन्हें चोट भी आई तथा कुछ घोड़े भी मार्ग में फिसलन गये थे।केदारनाथ धाम के पूरे यात्रा मार्ग में अपनी जान को जोखिम में डालकर यात्री यात्रा पूरी की वही सबसे बड़ी दिक्कत का सामना होने तब हुआ जब पैदल मार्ग में खच्चर की आवाजाही अधिक होने की वजह से पैदल यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना
पड़ा कई बार तो खच्चर यात्रियों को साइड मार देते थे जिससे यात्री पूरे यात्रा मार्ग में बेहद ही घबराया कर चलने को मजबूर हो रहे थे जबकि प्रशासन को खच्चर मार्ग अलग रखना चाहिए था जिससे पैदल तीर्थ यात्री अपनी यात्रा सुगमता के साथ केदार बाबा के दरबार पर अपनी हाजिरी दे सकें और केदार बाबा के दर्शन कर सकें लेकिन लेकिन खतरों की आवाजाही की वजह से खतरों की आवाजाही की वजह से उन्हें परेशानियों का सामना भी करना पड़ा वही स्वास्थ्य शिविर भी बेहद दूरी पर थे जिससे बाहर के तीर्थ यात्रियों को परेशानी परेशानी के समय स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही थी और यात्रा मार्ग पर पेयजल की व्यवस्था भी ठीक प्रकार से नहीं थी, हजारों श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शनों के लिए सुबह 4:00 बजे से ही लाइन में लग गए थे लेकिन पुलिस प्रशासन की लापरवाही की वजह से सुबह से लाइन में लगे श्रद्धालुओं को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा क्योंकि पुलिस दर्शनार्थ के लिए श्रद्धालुओं को सही व्यवस्था नहीं दे पाये जबकि
श्रद्धालु व्यवस्थित खुद ही लाइन में खड़े थे। और कपाट खुलने से कुछ समय पहले ही पुलिस ने श्रद्धालुओं को लाइन से हटाकर दूसरी जगह खड़ा किया जिससे भगदड़ भी मच गई और जो श्रद्धालु सुबह से लाइन में लगे हुए थे वह धक्का-मुक्की में पीछे हो गए और जो पीछे वाले श्रद्धालु थे वह आगे कतार में आ गए इस अफरा-तफरी भरे माहौल में ही श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए मगर श्रद्धालुओं में पुलिस के प्रति नाराजगी भी दिखाई दी।यात्रा में कितने यात्री आये उनकी एक रजिस्ट्रेशन के जरिये गणना की जा रही है ऋषिकेश से लेकर सोनप्रयाग गौरीकुंड फाटा हर जगह रजिस्ट्रेशन की ब्यवस्था की गई है। लेकिन पुलिस चेक पोस्ट केवल नाम-मात्र के लिए हैं ।कहीं भी यात्रा मार्ग पर किसी का भी पुलिस ने रजिस्ट्रेशन तक नही देखा यात्री पूरी रात भर अंधेर में ही लगभग 22 किलो मीटर का रास्ता तय किया वही छोटी लिंचोली में रात्री एक बजे के करीब कुछ यात्री कि तबियत खराब होने के कारण डाक्टर ने यात्री को अपने कैम्प में रखा।वहीं सरकार ने कहा था कि पूरी केदारपुरी वाईफाई फ्री होगी लेकिन वाईफाई तो क्या वहां पर तो नेट कनेक्टिविटी भी नहीं थी। बाबा केदारनाथ में जहा स्वयं बाबा भोलेनाथ बिराजमान है लाखो तीर्थ यात्री हर साल आता है लेकिन मोबाईल नेटवर्क आज तक सही सुलभ नहीं हो पाया है सिर्फ बी एस एन एल का एक टावर जो लगाया गया है,
जो की आये दिनों दिक्कतों के सिवाय कुछ नहीं कपाटोत्सव पर जिओ का नेटवर्क जरूर थोड़ा कार्य कर रहा था मुम्बई के निवासी बताते है की में परिवार सहित 5 सालों से बाबा के दर पर आता हूँ पर हैरानी होती है की आपदा के बाद भी सरकार और जिला प्रशाशन एक मोबाईल सेवा को दूरस्थ नहीं कर पाया यहाँ के नेटवर्क की बात करे तो अभी आया अभी गया वाली स्थिति है।केदार आपदा की इतनी बड़ी त्रासदी झेलने के बाद भी हम मोबाईल नेटवर्क को केदारधाम में ब्यवस्थित नहीं कर पाये। हर साल की तरह इस साल भी दिव्यांगजन केदारनाथ की यात्रा पर निकले और लगभग 22 किलोमीटर की दुर्गम यात्रा को अपने कृत्रित पैर के सहारे केदार बाबा के दर्शनों को निकले और अपनी यात्रा केदार बाबा के दर्शन करके पूरी की वहीं उन्होंने आमजन को एक संदेश भी देने की कोशिश कि हिम्मत कभी नहीं हारनी चाहिए और जीवन जीने के लिए है । ना की दूसरे के ऊपर बोझ बनकर जीवन व्यतीत करना इसी संदेश के साथ लगभग आठ साहसिक युवकों ने बाबा केदार के दर्शनों को निकले और दृढ़ इच्छा शक्ति के सहारे उन्होंने अपनी यात्रा को पूर्ण भी किया।
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