योग न आस्तिकवादियों का है न नास्तिकवादियों का

ऋषिकेश-अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के प्रथम दिन परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती  और  शंकराचार्य स्वामी दिव्यानन्द तीर्थ  ने पंचतत्व में विलीन जगद्गुरू  जयेंद्र सरस्वती  को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के प्रथम दिन दुनिया के विभिन्न धर्मां, राष्ट्रों, संस्कृतियों, जातियों और क्षेत्रों के यथा अर्जेंटीना, अफगानिस्तान, अफ्रीका, रूस, इजरायल, चीन, हांगकांग, सिंगापुर, ताईबान, फिलिस्तीन, ईरान, जापान, केन्या, इटली, अमेरिका, यमन और कई अन्य राष्ट्रों के योग साधक परमार्थ निकेतन में योगरूपी एकता के सूत्र में बंधनें हेतु एकत्र हुये है।29 वें वार्षिक विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन परमार्थ निकेतन, आयुष मंत्रालय- भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है।इस विश्व विख्यात कार्यक्रम की मेजबानी परमार्थ निकेतन द्वारा सन 1999 से निरन्तर की जा रही है। इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में विश्व के 20 विभिन्न देशों के 90 से अधिक  संत एवं योगाचार्य सम्मिलित हो रहे हैं। इस बार अन्तर्राष्ट्रीय योग महापर्व में सम्मिलित होने के लिये सम्पूर्ण विश्व के लगभग 90 देशों के 1500 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभाग किया हैैं और लगातार दुनिया के विभिन्न देशों के योग जिज्ञासु इस महोत्सव में सहभाग हेतु पंजीयन करा रहे है।अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में योग की 200 से अधिक कक्षायें प्रातः 4:00 बजे से रात 9:30 बजे तक सम्पन्न होंगी जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, आयंगर योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सोमैटिक योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, भरत योग, गंगा योग, लीला योग, डीप योग आदि एक सप्ताह तक प्रस्तुत किये जाने वाले 150 योगों के मुख्य प्रारूप हैं। इसके अतिरिक्त  ध्यान, मुद्रा, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, रेकी एवं भारतीय दर्शन की भी कक्षायें सम्पन्न हो रही है।भानपुरा पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य दिव्यानन्द तीर्थ
विश्व प्रसिद्व जीव वैज्ञानिक डाॅ ब्रूस लिप्टन ने आज प्रातःकालीन सत्र में योग जिज्ञासुओं को सम्बोधित किया तथा उनकी जिज्ञासाओें का समाधान किया। दिव्य गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध तालवादक शिवमणि  और विश्व प्रसिद्ध  वायलन वादक बालाभास्कर जी के संगीत एवं ड्रम की ताल पर सम्पन्न हुई इस अवसर पर सभी योग साधक भावविभोर होकर झूमने लगे। प्रसिद्ध तालवादक एवं ड्रम वादक शिवमणि  एवं विख्यात संगीतज्ञ बालाभास्कर  के ड्रम और संगीत की थाप पर परमार्थ निकेतन में होलिका दहन का महोत्सव मनाया गया साथ ही पर्यावरण संरक्षण हेतु विशेष आहूतियाँ अर्पित की गई। उनकी इस मनमोहक प्रस्तुति पर सभी योग साधक झूमने लगे।  होली दहन के साथ ही स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने विश्व शान्ति की प्रार्थना एवं विशेष ध्यान करवाया। इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती  एवं साध्वी भगवती सरस्वती  ने विश्व से पधारे योग साधक और योगाचार्य को होली पर्व के आध्यात्मिक महत्व, विश्व बन्धुत्व, सादगी, सद्भाव, समरसता एवं स्वच्छता का संदेश दिया।योग महोत्सव के दौरान योग साधकों को भानपुरा पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य दिव्यानन्द तीर्थ , बौद्ध धर्म के शिखर पूज्य दलाई लामा  के सान्निघ्य, पर्यावरणविद् डाॅ वन्दना शिवा, जीव विज्ञानी डाॅ ब्रूस लिप्टन,  राधानाथ  एवं अन्य विश्व प्रसिद्ध पूज्य संतों, पर्यावरणविद्, वैज्ञानिकों को सुनने का अवसर प्राप्त होगा।परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती योग अर्थात जुड़ना; एकजुट होना।
 योग का सम्बंध न किसी धर्म से और न आस्था से; योग न आस्तिकवादियों का है न नास्तिकवादियों का। योग तो जीवन को जागृत करने का; जीवन को ऊर्जावान बनाने का विज्ञान है। योग केवल शरीर की फिटनेस के लिये नहीं है बल्कि यह तो शरीर; मन और ब्रह्मण्ड के मध्य सामंजस्य स्थापित करता है। योग शब्द में वह शक्ति है जो पूरे विश्व को एक सूत्र में बांध सकता है; धरती पर विश्व बन्धुत्व को स्थापित करने की सामथ्र्य रखता है ‘योग’। आज इसे हम परमार्थ गंगा तट पर चरितार्थ होते देख रहे है। विश्व के  90 से अधिक देशों के, विभिन्न संस्कृति एवं विभिन्न धर्मों के, अलग अलग वेशभूषा, भाषा और रंग के योग साधक एक साथ एक तट पर उपस्थित है इतनी सारी विविधताओं के बावजूद एकत्व और बन्धुत्व की कल्पना को साकार करने की सामथ्र्य केवल ‘‘योग’’ में ही निहित है। अब वह समय दूर नहीं जब योग रूपी बंधन से विश्व बन्धुत्व को चरितार्थ किया जा सकता है। अतः योग करो, रोज करो और मौज करो।’’अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा, होली का गहन अर्थ, भक्त प्रहलाद की निस्वार्थ भक्ति और होलिका दहन का महत्व अत्यंत सारगर्भित रूप से समझाया। हर धर्म और संस्कृति के साधकों ने उत्साह पूर्वक इस महोत्सव में सहभाग किया। साध्वी  ने कहा कि भारत के  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  के नेतृत्व, मेहनत और मार्गदर्शन से वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को ’’अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस’’ घोषित किया यह वास्तव में अभुतपूर्व उपलब्धि है।


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