मुख्यमंत्री ने कटारपुर गौ रक्षा तीर्थ श्रद्धांजलि यज्ञ में आहुति डाली
हरिद्वार-मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कटारपुर गौ रक्षा तीर्थ के शताब्दी वर्ष श्रद्धांजलि समारोह में प्रतिभाग किया। उन्होंने कटारपुर गांव में बने शहीद स्मारक पर आयोजित श्रद्धांजलि यज्ञ में आहुति डाली।इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, ज्वालापुर विधायक सुरेश राठौर, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, रूड़की विधायक प्रदीप बत्रा, हरिद्वार ग्रामीण विधायक यतीश्वरानंद, मेयर मनोज गर्ग, प्रदेश अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी अजय भट्ट, जिलाध्यक्ष बीजेपी हरिद्वार डाॅ.जयपाल चौहान सहित अनेक पदाधिकारियों ने भी यज्ञ में पूर्ण आहुति दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि कटारपुर एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां हिन्दुओं ने गौ माता को बचाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। गाय पुरातन काल से आज तक सभी हिन्दुओं की आस्था और संस्कृति का सूत्र है। यदि धर्म और आस्था से अलग तर्क और वैज्ञानिक
आधार पर बात करें, तो दिल्ली की सुप्रसिद्ध श्रीराम प्रयोगशाला में गाय सहित गौमूत्र, गोबर आदि पदार्थो पर हुए रिसर्च में यह स्पष्ट हुआ कि भारतीय देसी गाय के दूध व गौमूत्र अर्क का सेवन अवसाद, माइग्रेन सहित अनके व्याधियों से निजात दिलाने में कारगर है। वहीं गाय के गौबर का प्रयोग भी त्वचा सम्बन्धी रोगों को नष्ट करने में औषधीय रूप से कार्य करता है। ब्राजील सहित दुनिया के कई देश भारतीय देसी गाय के गुणों के कारण अपने यहां पालन पोषण कर रहे हैं।अनुपयोगी मानकर लावारिस छोड़े गये गौ वंश या बूढ़ी गायों के लिए भारत सरकार देशी गौशालाओं के संरक्षण व संवर्द्धन को प्रोत्साहन दे रही है। राज्य सरकार की ओर से नरियाल गांव चम्पावत में स्थापित गौ वंश संरक्षण केंद्र देसी नस्लों के संरक्षण में बहुत बेहतर ढंग से कार्य कर रहा है। राज्य सरकार की ओर से पशुआहार के दाम 270 रूपये प्रति कुन्तल कम कर दिये गये हैं। राज्य सरकार शीघ्र ही एक सीमन केंद्र ऋषिकेश में स्थापित करने जा रही है, जहां देसी गायों के ब्रीड सुधार पर कार्य किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने 18 सितम्बर 1918 को गांव में गौवध का विरोध करने पर अंग्रेजी हुकुमत द्वारा फांसी तथा काला पानी की सजा सुनाये गये शहीदों के परिजनों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
आधार पर बात करें, तो दिल्ली की सुप्रसिद्ध श्रीराम प्रयोगशाला में गाय सहित गौमूत्र, गोबर आदि पदार्थो पर हुए रिसर्च में यह स्पष्ट हुआ कि भारतीय देसी गाय के दूध व गौमूत्र अर्क का सेवन अवसाद, माइग्रेन सहित अनके व्याधियों से निजात दिलाने में कारगर है। वहीं गाय के गौबर का प्रयोग भी त्वचा सम्बन्धी रोगों को नष्ट करने में औषधीय रूप से कार्य करता है। ब्राजील सहित दुनिया के कई देश भारतीय देसी गाय के गुणों के कारण अपने यहां पालन पोषण कर रहे हैं।अनुपयोगी मानकर लावारिस छोड़े गये गौ वंश या बूढ़ी गायों के लिए भारत सरकार देशी गौशालाओं के संरक्षण व संवर्द्धन को प्रोत्साहन दे रही है। राज्य सरकार की ओर से नरियाल गांव चम्पावत में स्थापित गौ वंश संरक्षण केंद्र देसी नस्लों के संरक्षण में बहुत बेहतर ढंग से कार्य कर रहा है। राज्य सरकार की ओर से पशुआहार के दाम 270 रूपये प्रति कुन्तल कम कर दिये गये हैं। राज्य सरकार शीघ्र ही एक सीमन केंद्र ऋषिकेश में स्थापित करने जा रही है, जहां देसी गायों के ब्रीड सुधार पर कार्य किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने 18 सितम्बर 1918 को गांव में गौवध का विरोध करने पर अंग्रेजी हुकुमत द्वारा फांसी तथा काला पानी की सजा सुनाये गये शहीदों के परिजनों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
Comments
Post a Comment