चंद्रशेखर आज़ाद ने क्रांतिकारी जीवन जीने का लक्ष्य चुना
देहरादून--नौजवान भारत सभा और स्त्री मुक्ति लीग द्वारा चंद्रशेखर आज़ाद की शहादत दिवस के अवसर पर देहरादून में भारतीय मेहनतकश जनता के क्रांतिकारी चेतना के प्रतीक चंद्रशेखर आज़ाद और आज का समय विषय पर विचार-गोष्ठी आयोजित की गई।नौजवान भारत सभा और स्त्री मुक्ति लीग द्वारा 27 फरवरी चंद्रशेखर आज़ाद की शहादत दिवस- 23 मार्च भगतसिंह,राजगुरु,सुखदेव की शहादत दिवस तक स्मृति संकल्प यात्रा-उत्तराखंड की शुरुआत इस विचार-गोष्ठी से की जा रही है।ये यात्रा उत्तराखंड के विभिन्न जिलों,
शहरों,कस्बों में क्रांतिकारियों के विचारों-आदर्शों और सपनों को विचार-गोष्ठियों,नुक्कड़ सभाओं,नाटकों, पोस्टर- पुस्तक प्रदर्शनियों आदि के माध्यम से लेकर जायेगी।इस अभियान की शुरुआत आज चंद्रशेखर आज़ाद की शहादत दिवस पर विचार-गोष्ठी से की गई।गोष्ठी में बात रखते हुए नौजवान भारत सभा के अपूर्व ने कहा कि चंद्रशेखर आज़ाद का पूरा जीवन क्रांतिकारी संघर्षों को समर्पित रहा है।परिवार में घोर गरीबी और तंगहाली होने के बावजूद उन्होंने क्रांतिकारी जीवन जीने का लक्ष्य चुना।काकोरी कांड के बाद बिखरे हुए क्रांतिकारी ग्रुप को उन्होंने ही जोड़ा।पढ़े लिखे न होने के बाद भी अपनी व्यवहार कुशलता,साहसिकता,निर्भीकता आदि के कारण वे क्रांतिकारी संगठन के कमांडर-इन-चीफ बने।
भगतसिंह की तरह वे नास्तिक तो नहीं थे,लेकिन उनका दृढ़ विश्वास था कि धर्म को राज्य से अलग होना चाहिए।धर्म व्यक्तिगत आस्था की चीज है इसका समाज में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।स्त्री मुक्ति लीग की गीतिका ने कहा कि आज पूंजीवादी मीडिया,बाजार के प्रभाव के कारण आज का युवा वर्ग खाओ-पिओ-ऐश करो की संस्कृति के चलते अपने मौजूदा वक्त की समस्याओं से इत्तेफ़ाक नहीं रखते।ये भूमण्डलीकरण की नीतियां लोगों को स्वार्थी ,कैरियारवादी बना रही हैं इसलिये आज चंद्रशेखर की विरासत को नौजवानों के बीच लेकर जाना होगा।आज इस तरह के आदर्शो को समाज में स्थापित करने की जरुरत है।गोष्ठी में हेम भट्ट,रामाधार,कविता,फेबियन आदि ने भी बात रखी।
शहरों,कस्बों में क्रांतिकारियों के विचारों-आदर्शों और सपनों को विचार-गोष्ठियों,नुक्कड़ सभाओं,नाटकों, पोस्टर- पुस्तक प्रदर्शनियों आदि के माध्यम से लेकर जायेगी।इस अभियान की शुरुआत आज चंद्रशेखर आज़ाद की शहादत दिवस पर विचार-गोष्ठी से की गई।गोष्ठी में बात रखते हुए नौजवान भारत सभा के अपूर्व ने कहा कि चंद्रशेखर आज़ाद का पूरा जीवन क्रांतिकारी संघर्षों को समर्पित रहा है।परिवार में घोर गरीबी और तंगहाली होने के बावजूद उन्होंने क्रांतिकारी जीवन जीने का लक्ष्य चुना।काकोरी कांड के बाद बिखरे हुए क्रांतिकारी ग्रुप को उन्होंने ही जोड़ा।पढ़े लिखे न होने के बाद भी अपनी व्यवहार कुशलता,साहसिकता,निर्भीकता आदि के कारण वे क्रांतिकारी संगठन के कमांडर-इन-चीफ बने।
भगतसिंह की तरह वे नास्तिक तो नहीं थे,लेकिन उनका दृढ़ विश्वास था कि धर्म को राज्य से अलग होना चाहिए।धर्म व्यक्तिगत आस्था की चीज है इसका समाज में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।स्त्री मुक्ति लीग की गीतिका ने कहा कि आज पूंजीवादी मीडिया,बाजार के प्रभाव के कारण आज का युवा वर्ग खाओ-पिओ-ऐश करो की संस्कृति के चलते अपने मौजूदा वक्त की समस्याओं से इत्तेफ़ाक नहीं रखते।ये भूमण्डलीकरण की नीतियां लोगों को स्वार्थी ,कैरियारवादी बना रही हैं इसलिये आज चंद्रशेखर की विरासत को नौजवानों के बीच लेकर जाना होगा।आज इस तरह के आदर्शो को समाज में स्थापित करने की जरुरत है।गोष्ठी में हेम भट्ट,रामाधार,कविता,फेबियन आदि ने भी बात रखी।
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