उपराष्ट्रपति ने दीक्षांत उपाधि पाने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई दी

देहरादून -उपराष्ट्रपति  एम. वैंकैया नायडू ने कहा कि जीवन में कभी भी अपनी मां, अपनी जन्मभूमि, अपनी मातृभाषा व अपने मातृदेश को नही भूलना चाहिए। मातृभाषा, नेत्र के समान होती है जबकि विदेशी भाषा चश्मे की तरह होती है। दूसरी भाषा सीखने में कोई बुराई नहीं है परंतु अपनी मातृभाषा का हमेशा आदर करना चाहिए। मातृभाषा में जो भावनाएं व्यक्त की जा सकती हैं वे दूसरी भाषाओं में नहीं की जा सकती है। प्राथमिक शिक्षा, बच्चों की मातृभाषा में ही दी जानी चाहिए। उपराष्ट्रपति  स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने दीक्षांत उपाधि पाने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए कहा कि कड़ी मेहनत व अनुशासन से ही सपने साकार होते हैं।परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है।
हमें अपनी संस्कृति व परम्पराओं पर गर्व होना चाहिए। भारतीय संस्कृति का आधार सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया व वसुधैव कुटुम्बकम की भावना रही है। भारतीयों के डीएनए में ही सर्व धर्म समभाव है। हमारी अनेक भाषाएं, बोलियां हो सकती हैं परंतु देश एक ही है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने नए भारत के निर्माण के लिए स्किल इंडिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत मिशन, मेक इन इंडिया, डिजीटल इंडिया कार्यक्रम प्रारम्भ किया हैं। युवाओं की इनमें महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिफार्म, परफोर्म व ट्रांसफोर्म का मंत्र दिया है।  गांवों से होने वाले पलायन को रोकने में पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे अब्दुल कलाम का ग्रामीण विकास का पुरा (प्रोवाईडिंग अरबन फेसिलिटीज इन रूरल एरिया) माॅडल सहायक हो सकता है। राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत  पाल ने कहा कि वर्तमान युग, ज्ञान का युग है।  पलायन सरकार के लिए चिंता का सबब है। राज्य सरकार ने पलायन को रोकने के लिए कई कदम भी उठाए हैं। जिसके परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे। राज्यपाल ने स्वामीराम हिमालयन विश्वविद्यालय को 1200 से अधिक गांव गोद लेने पर बधाई दी। राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में योग व आयुर्वेद की महान परम्परा रही है। इस विरासत का संरक्षण कर वैकल्पिक चिकित्सा, योग व आयुर्वेद में बड़ा योगदान दिया जा सकता है। उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने कहा कि तीन साल में उत्तराखण्ड उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सबसे आगे होगा। राज्य सरकार द्वारा टेलेंट सर्च के माध्यम से चयनित कर 100 छा़त्रों से निशुल्क शोध करवाया जाएगा। इसके साथ ही सभी जनपद मुख्यालयों में 20-20 छात्रों को चयनित कर आई.ए.एस, आईपीएस की परीक्षाओं के लिए  कोचिंग दी जाएगी। इसके लिए 80 लाख रूपए की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही प्रदेश में स्थापित 31 विश्वविद्यालयों के लिए एक अम्ब्रेला एक्ट बनाया जाएगा। दीक्षांत समारोह के लिए भारतीय परिधान प्रयोग में लाये जायेगे जिसकी डिजाइन तैयार की गई है।

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