सस्ता खाद्यान्न योजना में 600 करोड़ का घोटाला
देहरादून - भ्रष्टाचार पर त्रिवेंद्र सरकार के कड़े प्रहार के फलस्वरूप पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में हुए गरीबों के सस्ता खाद्यान्न योजना में एसआईटी की प्रारंभिक जांच में करीब 600 करोड़ का घोटाला सामने आया है। इस घोटाले में कई स्तर पर गंभीर अनियमितताओं के साथ ही गड़बडियां भी पाई गई हैं। सरकार ने इस मामले में आरएफसी कुमाऊं विष्णु सिंह धानिक को बर्खास्त कर जांच रिपोर्ट के हर बिंदु की गहराई से जांच के निर्देश प्रमुख सचिव खाद्य व नागरिक आपूर्ति को दिए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस घोटाले में चाहे जितना भी बड़ा अधिकारी या नेता शामिल होगा, उसको बख्शा नहीं जाएगा। जरूरत पड़ी तो संबंधित आरोपियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से पहाड़ में भेजे जाने वाले सस्ता खाद्यान्न में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने 2 अगस्त, 2017 को एसआईटी से जांच के निर्देश दिए थे। इस पर 4 अगस्त को योजना के तहत चावल मिलर्स से क्रय किए गए चावल वितरण में हुई अनियमितताएं की जांच के लिए जिलाधिकारी उधमसिंह नगर की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की गई। इसमें अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) जगदीश चंद्र कांडपाल, अपर पुलिस अधीक्षक रुद्रपुर देवेंद्र पींचा, एसडीएम काशीपुर विनीत तोमर व प्रभारी अधिकारी संयुक्त कार्यालय कलेक्ट्रेट काशीपुर युक्ता मिश्र को शामिल किया गया।जांच पांच बिंदुओ के आधार पर की गई। 01-चावल मिलर्स से खरीदे गए चावल के वितरण में विभागीय व सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की संलिप्तता 02-चावल के वितरण में अधिकारी-कर्मचारियों व चावल मिलर्स स्तर से विभिन्न प्रक्रियाओं व प्राविधानों का पालन किया गया या नहीं 03- प्रकरण में पुलिस विभाग की संलिप्तता की स्थिति 04-इस प्रकरण में सरकार को राजस्व में हुए नुकसान का विवरण व दोषी अधिकारी-कार्मिक का विवरण 05-भविष्य में इस तरह की घटना न हो, इसके संबंध में सुझाव।
जांच के दौरान बाजपुर, काशीपुर, रुद्रपुर, किच्छा के राज्य भंडारण निगम के कार्यालय व गोदाम, वरिष्ट विपणन अधिकारियों, चावल मिल के कार्यालयों, मंडी सचिवों, सहायक निबंधक सहकारी समिति, आरएफसी कार्यालय के विभिन्न अधिकारियों, कर्मचारियों तथा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों, राइस मिलर्स के प्रतिनिधियों, धान चावल वितरण में प्रयुक्त वाहन स्वामियों, चालको आदि से पूछताछ से संबंधित बिंदुओं पर गहन चर्चा कर जानकारी हासिल की गई। उनके बयान दर्ज किए गए। साथ ही उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों का परीक्षण भी किया गया। जांच में रुद्रपुर राज्य भंडारण निगम के गोदाम संख्या दो में राज्य पोषित योजना के 8382 बोरे तथा सीएमआर योेजना की 4318 बोरे (कुल 12,700 बोरे) के सापेक्ष सत्यापन में 10668 बोरे ही पाए गए। राज्य पोषित योजना से संबंधित चावल में 3680 बोरे ऐसे पाए गए, जिनमें अपठनीय दोहरी स्टेनसिल की छाप पाई गई। खाद्यान्न की गुणवत्ता भी घटिया पाई गई। इसी तरह की गड़बड़ियां किच्छा व काशीपुर के गोदामों में पाई गई। यहां भी बोरो के सत्यापन में गड़बड़ी मिली। चावल के वितरण भी कई अनियमितताएं पाई गई। चावल वितरण के लिए आवंटित चालानों को केंद्र बाजपुर से व्यापक स्तर पर बगैर तिथि, बगैर ट्रक नंबर अंकित किए चालान जारी किए गए। कई वाहनों को वास्तविक रूप से गंतव्य स्थल तक नहीं जाना भी पाया गया। जांच के निष्कर्ष मे्ं साफ लिखा गया है कि चावल का मूवमेंट किए जाने के लिए मुवमेंट चालान के प्राविधान की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। वरिष्ट विपणन अधिकारियों ने कहा कि राजनीतिक दबाव में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को भी थी, लेकिन उन्होंने भी कोई कदम् नहीं उठाए।धान की खरीद में मिली अनियमितताएं:- धान की नीलामी या खुली नीलामी से बोली लगाई जाने की व्यवस्था केविल 5 से 10 फीसदी मामलों में ही अपनाई गई। धान की बड़ी मात्रा जो राईस मिलर द्वारा सीधे काश्तकारों से खरीद ली जाती है, उसको कच्चा आढती के माध्यम से खरीद दिखाई गई जबकि धान मंडी में नीलामी के लिए आया ही नहीं आया।शासकीय धन की अनुमानित क्षति:- 3,07692 कुंतल चावल खरीद कर राज्य पोषित योजना में आपूर्ति की गई। इसमें 2310 रुपए प्रति कुंतल की दर से लगभग 71, 0768,520 रुपए का प्रतिवर्ष के हिसाब से पिछले दो साल के दौरान प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष गलत व्यय संभावित है। राज्य भर में 3,07692 कुंतल चावल के वितरण में परिवहन शुल्क को यदि 50 रुपए प्रति कुंतल माना जाए तो इसमें 1,53,84,600 रुपए की सरकारी धन का नुकसान पाया गया। इसी तरह से 60 रुपए प्रति बोरे की दर से 3,69,23,040 रुपए की धनराशि का प्रतिवर्ष के हिसाब से विगत दो साल के दौरान गलत व्यय पाया गया। 50,47,948 कुंतल धान जिले से बाहर यूपी आदि राज्यों के काश्तकारों से खरीद कर जिले की मंडियों मे्ं लाया गया। इसे जिले की मंडियों में कच्चा आढ़तियों के माध्यम से खरीद किया हुआ दिखाया गया। कमीशन एजेंटों के माध्यम से चावल की खरीद में नियत प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसी तरह की कई अन्य गड़बड़ियां मिली हैं इससे सरकार को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 600 करोड के राजस्व नुकसान का आंकलन जांच रिपोर्ट में किया गया है।
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