उत्तराखण्ड की देवभूमि अध्यात्म की तपस्थली - राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
हरिद्वार, उत्तराखण्ड भ्रमण पर हरिद्वार आये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हरकी पैड़ी पहुंच यहां मां गंगा की पूजा अर्चना की तथा मां गंगा से आर्शीवाद लिया। इसके बाद राष्ट्रपति कुष्ठ रोगियों एवं उनके बच्चों की देखभाल तथा इलाज के लिए काम कर रहे हरिद्वार चण्डिघाट स्थित दिव्य प्रेम सेवा मिशन द्वारा आयोजित अभिनन्दन समारोह में पहुंचे। अभिनन्दन समारोह को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि नर सेवा नारायण सेवा है। इस बात को ध्येय बनाकर काम कर रहे तथा राष्ट्र निर्माण को समर्पित दिव्य पे्रम सेवा मिशन की कार्यशैली वास्तव में प्रभावी है, इसलिए वे विगत बीस बर्षों से मिशन से जुड़े हुए हैं। यह संस्था गरीब असहाय कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा के साथ-साथ उनके परिवार व बच्चों को साथ में लेकर राष्ट्र निर्माण में जुटी हुई है।
राष्ट्रपति के उत्त्राखण्ड आगमन पर पुलिस, प्रशासन तथा मीडिया की द्वार अत्यकिध वर्षा जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों में मुस्तैदी की भी उन्होंने सराहना की। उन्होंने का कि जो व्यक्ति पूर्ण निष्ठा से अपना कार्य करते हैं वे सच्चे राष्ट्रनिर्माता होते हैं। राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में दिव्य प्रेम सेवा मिशन से जुड़े अपने अनुभव भी साझा किये। उन्होंने कहा कि अर्बन कल्चर में रहने और पढ़ने वाले बच्चों की तुलना में मिशन में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों में संस्कार तथा राष्ट्र भावना अधिक है। इन बच्चों का समर्पण अवश्य ही इन को आगे बढ़ायेगा। इन्हीं के बीच से आगे चलकर कोई बच्चा देश का राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री बनेगा। हरिद्वार को देभवूभि तथा मां गंगा की स्थली बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत देश की वास्तविक पहचान गंगा से है। जिन भागीरथ प्रयासों से गंगा हमारे बीच विद्यमान है वही भागीरथ प्रयास गंगा की निर्मलता और अविलरता के लिए हमारे द्वारा पुनः किये जाने की जरूत है। उन्होंने कहा कि गंगा केवल सरकारी प्रयासों से नहीं बल्कि समाज की जागृति से स्वच्छ और निर्मल होगी। उन्होंने मां गंगा से प्रार्थना करते हुए कहा कि मां गंगा स्वयं ही अपने स्वरूप में आ जायें तो मां गंगा को किसी भी स्वच्छता योजना की आवश्यकता न हो। उन्होंने उत्तराखण्ड की विशेषताओं पर कहा कि उत्तराखण्ड में गंगोत्री, यमनोत्री, केदार नाथ, बद्रीनाथ,ऋषिकेश हरिद्वार की देवभूमि बड़ी पवित्र व अध्यात्म की तपस्थली है। हरिद्वार में विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाला कुम्भ मेला तो वहीं आधुनिक विकास की भूमिका में अपनी पहचान बनाने वाला 1847 में स्थापित आईआईटी रूड़की, आईएम ए देहरादून, ओएनजीसी, के अलावा यहां के व्यक्तियों में गोबिन्द बल्लभ पंत, सुन्दर लाल बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी का उत्तराखण्ड के विकास में विशेष योगदान अविस्मरणीय है।राज्यपाल डा कृष्ण कांत पाल ने राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार देवभूमि उत्तराखण्ड में सभी उत्तराखण्डवासियों की ओर से हार्दिक स्वागत व आभार जाताया। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना पर आधारित भारतीय संस्कृति में हमेशा संस्कारों को महत्ता दी गई है। भौतिक प्रगति के साथ ही ‘नैतिक मूल्य’ आधारित व्यवस्था को बनाए रखना भी जरूरी है। इसके लिए बच्चों को मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करनी होगी। बच्चों में समाज के प्रति संवेदनशीलता का गुण विकसित करने पर बल देना होगा। हमें यह समझना होगा कि जितना हम समाज से प्राप्त करते हैं, उतना ही लौटाना भी चाहिए।राष्ट्रपति को गंगाजली व रूद्राक्ष की माला भेंट कर विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चन्द्र अग्रवाल ने उनका स्वागत किया। इस मौके पर आचार्य बालकृष्ण एवं आशीष गौतम ने राष्ट्रपति व उनकी धर्मपत्नि को गंगाजली, रूद्राक्ष माला एवं शाॅल भेंट किया। सेवा मिशन के संयोजक संजय चतुर्वेदी के संचालन में सांसद डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक, कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, धन सिंह रावत,विधायक यतीश्वरानन्द, आदेश चौहान, सुरेश राठौर, प्रदीप बत्रा, प्रणव सिंह चैम्पियन, अशोक चन्देल, बृजेश रावत, नागेन्द्र सिंह राठौर, संजय शर्मा, नन्द किशोर गुर्जर, सांसद पुष्पेन्द्र चन्देल, डाॅ. जितेन्द्र सिंह, बालकृष्ण शास्त्री, ओमवीर सिंह, उद्योग पति लक्ष्मन दास रूपानी, आर.पी.एन सिंह, फिल्म अभिनेता मनोज जोशी सहित विभिन्न प्रदेशों के मिशन कार्यकर्ता एवं बच्चे उपस्थित रहे।
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