व्यक्ति को अपने छोटे से छोटे काम के लिए भी मुख्यमंत्री को फोन करना पड़ेगा
सवाल यह उठता है कि सरकारी कर्मचारी क्यों नहीं जनता की बात सुनते हैं और उनकी मदद करते हैं क्या हर व्यक्ति को अपने छोटे से छोटे काम के लिए भी मुख्यमंत्री को फोन करना पड़ेगा तभी उसका काम होगा या बिना मुख्यमंत्री के कहीं भी जनता का काम हो सके क्यों नहीं ऐसी व्यवस्था हमारे मुख्यमंत्री करते हैं की पहाड़ी क्षेत्रों में अमूमन ऐसी कई घटनाएं होती हैं इससे पूर्व भी अल्मोड़ा में एक घटना हुई थी जिसमें गर्भवती महिला को 44 किलोमीटर पैदल चलकर नदी जंगल पार करने के बाद भी उसके बच्चे को नहीं बचा पाए थे तो आखिर ऐसा स्थिति क्यों आती है क्यों नहीं यह सुविधाएं क्षेत्रों में मुहिया कराई जाती है ताकि किसी को देहरादून का मुंह ना देखना पड़े। ये अति दुर्गम इलाके की घटना है जोकि जनपद उत्तरकाशी की तहसील पुरोला की है एक महिला अपने बीमार बच्चे की मदद के लिए ऐसे ही काली रात में भटक रही थी। लेकिन कहीं से उम्मीद की रोशनी नजर नही आ रही थी। 28 जुलाई को उत्तरकाशी की पुरोला तहसील के सुनाली गांव में एक महिला के नवजात बच्चे की तबीयत बेहद खराब थी। रात के 11 बजे मीरा नाम की महिला को अपने बीमार बच्चे के इलाज के लिए कोई सहारा नजर नहीं आ रहा था। ऐसे में महिला ने सीधे सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत को फोन कर अपने बच्चे के स्वास्थ्य के संबंध में परेशानी बताई। महिला की परेशानी सुनते ही सीएम त्रिवेंद्र ने जिलाधिकारी को महिला की मदद के निर्देश दिए। डीएम के आदेश पर पुरोला के एसडीएम शैलेंद्र सिंह नेगी आधे घंटे के भीतर रात 11.30 बजे मौके पर पहुंचें और नवजात को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। एक घंटे के भीतर ही बच्चे की तबीयत में सुधार होने लगा।
त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने हैं, तब से लगातार वे प्रदेश की जनता की सेवा के प्रति समर्पित रहे हैं। इससे पूर्व भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र द्वारा मानवीयता का परिचय देते हुए अपनी फ्लीट रूकवाकर घायल व्यक्तियों की मदद की जा चुकी है और उन्हें इलाज हेतु अपने वाहन से अस्पताल भी पहुंचाया गया है। सीएम त्रिवेंद्र हर-पल अपनी जनता की सेवा और समस्याओं के निदान के लिए तैयार रहते हैं। कुछ दिन पहले भी फोन पर मुख्यमंत्री ने एक छात्रा की शिक्षकों की कमी की शिकायत को सुना था और फौरन समस्या के निदान के निर्देश दिए थे। अब एक बार फिर से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने आधी रात को फोन पर एक महिला की समस्या को गम्भीरता से सुना और उसके बीमार नवजात बच्चे का इलाज सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारी, उत्तरकाशी को निर्देश दिए। प्रदेशवासियों की जनता की सेवा के प्रति मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सक्रियता और इस मानवीय पहल से एक नवजात बच्चे की सेहत में सुधार हुआ। मीरा पत्नी वीरेन्द्र कुमार ने देर रात उनकी समस्या को सुनकर उनकी मदद करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने हैं, तब से लगातार वे प्रदेश की जनता की सेवा के प्रति समर्पित रहे हैं। इससे पूर्व भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र द्वारा मानवीयता का परिचय देते हुए अपनी फ्लीट रूकवाकर घायल व्यक्तियों की मदद की जा चुकी है और उन्हें इलाज हेतु अपने वाहन से अस्पताल भी पहुंचाया गया है। सीएम त्रिवेंद्र हर-पल अपनी जनता की सेवा और समस्याओं के निदान के लिए तैयार रहते हैं। कुछ दिन पहले भी फोन पर मुख्यमंत्री ने एक छात्रा की शिक्षकों की कमी की शिकायत को सुना था और फौरन समस्या के निदान के निर्देश दिए थे। अब एक बार फिर से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने आधी रात को फोन पर एक महिला की समस्या को गम्भीरता से सुना और उसके बीमार नवजात बच्चे का इलाज सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारी, उत्तरकाशी को निर्देश दिए। प्रदेशवासियों की जनता की सेवा के प्रति मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सक्रियता और इस मानवीय पहल से एक नवजात बच्चे की सेहत में सुधार हुआ। मीरा पत्नी वीरेन्द्र कुमार ने देर रात उनकी समस्या को सुनकर उनकी मदद करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है।
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