उत्तराखण्ड को मिला देश का पहला सरंक्षण आशवस्त बाघ मानक अवार्ड

 नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन के प्लेनरी हाॅल में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आयोजित “ग्लोबल टाइगर डे“ कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के वन एवं वन्य जीव, पर्यावरण एवं ठोस अपशिष्ट निवारण, श्रम, सेवायोजन, प्रशिक्षण, आयुष एवं आयुष शिक्षा मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डाॅ हर्ष वर्धन ने की। उत्तराखण्ड के वन मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत को केन्द्रीय मंत्री डाॅ हर्ष वर्धन ने उत्तराखण्ड के लैंसडौन वन प्र्रभाग को देश का पहला सरंक्षण आशवस्त बाघ मानक अवार्ड प्रदान किया। भारत में कैटस् प्रक्रिया का क्रियान्वयन राष्ट्रीय बाघ सरंक्षण प्राधिकरण के निर्देशन में विश्व बाघ मंच  द्वारा किया जा रहा है। लैंसडौन वन प्रभाग, कोटद्वार देश का पहला ऐसा वन क्षेत्र बन गया है जो कि कैटस् के मूल्याकंन में खरा उतरा है। लैन्सडोन वन प्रभाग पूरे विश्व में सरंक्षित क्षेत्रों के बाहर के क्षेत्रों में पहला कैटस् मानकीकृत क्षेत्र हो गया है। उल्लेखनीय है कि विश्व में लैंसडौन वन प्रभाग से पूर्व चितवन राष्ट्रीय पार्क(नेपाल) व शिकोते-अलिन राष्ट्रीय पार्क(रूस) कैटस्  के मानकों पर खरे उतरे है। वन मंत्री डाॅ हरक सिंह रावत ने अपने सम्बोधन में सर्वप्रथम उत्तराखण्ड के प्रदेशवासियों एवं वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों को सरंक्षण आशवस्त बाघ मानक अवार्ड मिलने पर बधाई दी। उन्होनें कहा कि उत्तराखण्ड राज्य अपनी जैव-विविधता के लिये भारत ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
राज्य का लगभग 71 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र है। प्रदेश का लगभग 15 प्रतिशत क्षेत्र संरक्षित क्षेत्रों के अन्तर्गत है, जिसमें 06 राष्ट्रीय पार्क व 07 वन्यजीव अभ्यारण्य सम्मिलित है। बाघों के संरक्षण में भी उत्तराखण्ड राज्य वैश्विक स्तर पर अग्रणी भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि 340 बाघो के साथ क्षेत्रफल के अनुपात में बाघो की संख्या के मामले में उत्तराखण्ड देश का नम्बर एक राज्य है। कार्बेट और राजाजी टाईगर रिजर्व में बाघों की गणना के वर्ष 2016-17 के नवीनतम आकडों के अनुसार कार्बेट टाईगर रिजर्व में न्यूनतम 208 विशिष्ट बाघ एवं राजाजी टाईगर रिजर्व में न्यूतनतम 34 विशिष्ट बाघों की पहचान की गयी है।इसके अलावा कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के वन मंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से प्रतिपूरक वनीकरण निधि नियमावली, 2017 के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य जैसे युवा पर्वतीय राज्य के लिये भूमि एवं जल सरंक्षण कार्य, भूस्खलन हेतु संवदेनशील क्षेत्रों का उपचार, मानव वन जीव संघर्ष का न्यूनीकरण एवं निराकरण, वानिकी एवं वन्य जीव विषयक शोध, वन एवं समीपवर्ती क्षेत्रों में आपदा प्रबन्धन जैसे अत्यन्त महत्वपूर्ण गतिविधियों को इस योजना के अन्तर्गत स्थान दिये जाने का अनुरोध किया।उत्तराखण्ड के वन मंत्री ने कहा कि इसके अलावा ड्राफ्ट नियमावली में इकोे पर्यटन को स्वीकृत किये जाने वाले कार्यो में सम्मिलित नहीं किया गया है। उत्तराखण्ड जैसे राज्य में, जहाॅ 70 प्रतिशत से अधिक भू-भाग वन क्षेत्र है। वन आधारित इको पर्यटन स्थानीय रोजगार का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण साधन है। इसे प्र्रेरित करने से नियंत्रित एवं सतत् पर्यटन को बढावा मिलेगा साथ ही स्थानीय समुदायों का वन संरक्षण के साथ जुड़ाव और प्रगाढ़ होगा। ऐसे में यह उचित होगा कि उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय तथा वन बाहुल्य राज्य को इको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये राज्य क्षतिपूर्ति वनीकरण कोष प्रबन्धन एवं योजना प्राधिकरण ¼ कैंपा मद में से कुछ अंश व्यय करने की अनुमति प्रदान की जाय एवं प्रतिपूरक वनीकरण निधि अधिनियम, 2016 के अन्तर्गत प्रस्तावित नियमों को राज्यों की अपनी स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कार्योे के विषय में निर्णय  लेने के लिये यथासम्भव सरलीकृत किया जाये।

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