रिंगाल से विभिन्न प्रकार का सामान बनाकर बने आत्मनिर्भर

देहरादून:– प्लास्टिक जहाँ बहुतायत उपयोग से हमारी प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रही है वहीँ आज सारी दुनिया में प्लास्टिक के उपयोग पर लगाम लगाने की मुहीम जोर पकड़ रही हैं। भारत सरकार ने भी अपनी नीति स्पष्ट कर दी है कि भारत को प्लास्टिक मुक्त देश बनाना हैं। आपको जानकार अति प्रशन्नता होगी की इस मुहीम में उत्तराखंड का रिंगाल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं। यह उत्तराखंड के जंगलो में पाए जाने वाला वृक्ष हैं जो की बांस की प्रजाति का होता है इसलिए इसे बोना बांस भी कहा जाता हैं। जहां बांस की लम्बाई 25-30 मीटर होती है वही रिंगाल 5-8 मीटर लम्बा होता है यह 1000 -7000 फिट की ऊंचाई वाले क्षेत्रो में पाया जाता है क्यूंकि रिंगाल को पानी एवं नमी की आवश्यकता रहती है। वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी बताया कि रिंगाल पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों के लिए ही नही मैदानी क्षेत्रों के लोगों के लिए रोजगार देनेवाला बहुउपयोगी पौधा है पहाड़ो में इसे रिंगाल कहते है और मैदानी क्षेत्रों में इसी प्रजाति को बांस कहते है जो लगभग भारत के सभी राज्यो में होता हैं।
 वृक्षमित्र डॉ सोनी ने कहाकि रिंगाल से बनी अनेकों वस्तुओं का उपयोग हम करते है जैसे की पहले स्कूल में पढ़ाई के लिए कलम, अनाज साफ करने के लिए सूपा, अनाज भरने व तोलने के लिए पाथा, फूलदेई की टोकरी, अनाज भंडार व समान लाने के लिए कंडी, रोटी रखने की टोकरी, झाड़ू, घर की छत बनाने के लिए रिंगाल हमारे जीवन का अभिन्न अंग रहा है।हमारे उत्तराखंड में  पांच प्रकार के रिंगाल पाये जाते हैं। गोलू रिंगाल, देव रिंगाल, थाम रिंगाल, सरारू रिंगाल, भाटपुत्र रिंगाल आदि। उत्तराखंड में रिंगाल जीवन का अभिन्न अंग होने के साथ साथ यहां की कला को भी प्रदर्शित करता हैं। यह आजीविका का साधन भी बन सकता है।
उत्तराखंड के काश्तकार अपनी कला का उपयोग कर विभिन्न प्रकार की दिनचर्या में उपयोग होने वाली वस्तुवे इससे बनाते हैं जैसे लैम्प शेड, गुलदस्ते, हैकर, स्ट्रे, पैन स्टैंड, टेबल, लैम्प, डस्टबिन, डलिया, सोल्टा आदि। रिंगाल प्लास्टिक से काफी मजबूत एवं टिकाऊ होता है तथा प्लास्टिक से होने वाले साइड इफेक्ट्स लेकिन रिंगाल से बनी वस्तुओं से साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं। जहाँ रिंगाल से बनी वस्तुएँ सस्ती होती हैं वही दूसरी तरफ विभिन्न वस्तुएँ बनाकर अपना रोजगार मुहैया करा सकते हैं। डॉ सोनी ने अपील की इस वर्षा ऋतु में अधिक से अधिक रिंगाल या बांस के पौधों का रोपड़ करना चाहिए ताकि रिंगाल व बांस से बनी वस्तुओं से अपना रोजगार चला सके और यह पौधा भूस्खलन रोकने में भी कारगर हैं।

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