मेरे मन्नत मांगने के बाद यह सम्भव हुआ कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने- खेर
ऋषिकेश -परमार्थ निकेतन गंगा तट पर पर्यावरण एवं जल संरक्षण, माँ गंगा सहित देश की सभी नदियों को समर्पित मानस कथा में अपने नौ साल के बेटे के साथ सूफी गायक कैलाश खेर ने टीम के साथ सहभाग किया। व्याप्त समस्याओं यथा स्वच्छता, स्वच्छ जल, नदियों का संरक्षण, शौचालय के प्रति जागरूकता, प्लास्टिक मुक्त विश्व का निर्माण, गौ संवर्धन, वृक्षारोपण, बढ़ते ई कचरे के प्रति जागरूकता, शाकाहारी जीवनचर्या, कुपोषण, महिला सशक्तिकरण, शादी से पहले शिक्षा, बाल विवाह के प्रति जागरूकता, दहेज प्रथा, नशा मुक्त भारत, भू्रण हत्या के प्रति जागरूक करने एवं समाधान प्रस्तुत करने हेतु संदेश प्रसारित किये जा रहे है तथा सभी को संकल्प दिलवाया जा रहा है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आज भारत सहित पूरे विश्व को एकता, समरसता, भाईचारा और सद्भाव की जरूरत है। हम सभी भेदभाव से ऊपर उठकर सब एक होकर यह सोचे कि हम सभी भारतीय है तथा सभी एक परमात्मा की संतान है। हम सभी मिलकर देश की एकता, अखण्डता, समरसता और सद्भाव के लिये काम करे। आज इस देश को वास्तव में किसी चीज की आवश्यकता है तो वह है स्वच्छता, समरसता और सजगता यह कि इस देश में सद्भाव बना रहे। उन्होने सभी से आह्वान किया कि वे देश की समृद्धि में अपना योगदान प्रदान करे।गायक कैलाश खेर ने कहा कि ’’परमार्थ निकेतन आने का प्रमुख उद्देश्य यह है कि मैं भगवान शिव का आराधक हूँ, परमात्मा हमारे आराध्य देव है।
मैं देवभूमि में बहुत रहा हूँ, यहां पर मैने बहुत प्रार्थनायें की है। मेरे बचपन की बहुत सारी यादें और मेरे सारे क्रियाकलाप यहीं से जुड़े है। मेरे गायक बनने, मेरे संवरने में परमार्थ गंगा तट और उत्तराखंड की बहुत बड़ी भूमिका है। इस राष्ट्र का जिम्मेदार और संवेदनशील नागरिक होने के नाते मैने एक निवेदन किया था कि हे प्रभु भारत को स्थिर नेतृत्व मिले। मैने प्रभु से इतनी मन्नत मांगने के बाद अब यह सम्भव हुआ है कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने, पांच वर्ष शासन किया लेकिन जो इस बार हुआ वह वास्तव में ऐतिहासिक हुआ । मुझे तो ऐसे लग रहा मानों भगवान शिव साक्षात प्रकट हुये और वे भारत के नागरिकों के हृद्य में प्रकट हुये हैं। और कहा कि चलो भारत का पुणर्निर्माण करते है।
भारत जो दिव्य भारत था, अलौकिक, अद्वितीय, अप्रहै।तीम भारत था यह केवल किताबों में ही न रहे उसका शंखनाद हुआ है इस बार इस हेतु मैं गंगा माँ को नमन करने और धन्यवाद देने आया हूँ। इस कार्य के लिये मैं दो बार केदारनाथ गया था। जैसे हमारे यहां प्रार्थना करते है समस्त मानव का कल्याण हो, प्राणियों में सद्भाव हो, हमारे देश की, प्रकृति की, वायुमण्डल की, हमारे ब्रह्मण्ड की रक्षा हो, हे मेरे दाता यही सबसे बड़ी प्रार्थना है। हम अपने लिये रोज प्रार्थना करते है लेकिन आज मेेरे आने का उद्देश्य प्रकृति, समस्त प्राणी, पर्यावरण, राष्ट्र और पूरे विश्व में शान्ति बनी रहे यही प्रार्थना माँ गंगा से कहने आया हूँ।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आज भारत सहित पूरे विश्व को एकता, समरसता, भाईचारा और सद्भाव की जरूरत है। हम सभी भेदभाव से ऊपर उठकर सब एक होकर यह सोचे कि हम सभी भारतीय है तथा सभी एक परमात्मा की संतान है। हम सभी मिलकर देश की एकता, अखण्डता, समरसता और सद्भाव के लिये काम करे। आज इस देश को वास्तव में किसी चीज की आवश्यकता है तो वह है स्वच्छता, समरसता और सजगता यह कि इस देश में सद्भाव बना रहे। उन्होने सभी से आह्वान किया कि वे देश की समृद्धि में अपना योगदान प्रदान करे।गायक कैलाश खेर ने कहा कि ’’परमार्थ निकेतन आने का प्रमुख उद्देश्य यह है कि मैं भगवान शिव का आराधक हूँ, परमात्मा हमारे आराध्य देव है।
मैं देवभूमि में बहुत रहा हूँ, यहां पर मैने बहुत प्रार्थनायें की है। मेरे बचपन की बहुत सारी यादें और मेरे सारे क्रियाकलाप यहीं से जुड़े है। मेरे गायक बनने, मेरे संवरने में परमार्थ गंगा तट और उत्तराखंड की बहुत बड़ी भूमिका है। इस राष्ट्र का जिम्मेदार और संवेदनशील नागरिक होने के नाते मैने एक निवेदन किया था कि हे प्रभु भारत को स्थिर नेतृत्व मिले। मैने प्रभु से इतनी मन्नत मांगने के बाद अब यह सम्भव हुआ है कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने, पांच वर्ष शासन किया लेकिन जो इस बार हुआ वह वास्तव में ऐतिहासिक हुआ । मुझे तो ऐसे लग रहा मानों भगवान शिव साक्षात प्रकट हुये और वे भारत के नागरिकों के हृद्य में प्रकट हुये हैं। और कहा कि चलो भारत का पुणर्निर्माण करते है।
भारत जो दिव्य भारत था, अलौकिक, अद्वितीय, अप्रहै।तीम भारत था यह केवल किताबों में ही न रहे उसका शंखनाद हुआ है इस बार इस हेतु मैं गंगा माँ को नमन करने और धन्यवाद देने आया हूँ। इस कार्य के लिये मैं दो बार केदारनाथ गया था। जैसे हमारे यहां प्रार्थना करते है समस्त मानव का कल्याण हो, प्राणियों में सद्भाव हो, हमारे देश की, प्रकृति की, वायुमण्डल की, हमारे ब्रह्मण्ड की रक्षा हो, हे मेरे दाता यही सबसे बड़ी प्रार्थना है। हम अपने लिये रोज प्रार्थना करते है लेकिन आज मेेरे आने का उद्देश्य प्रकृति, समस्त प्राणी, पर्यावरण, राष्ट्र और पूरे विश्व में शान्ति बनी रहे यही प्रार्थना माँ गंगा से कहने आया हूँ।
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