सर्राफा लूट काण्ड में लूटी गयी ज्वैलरी के साथ दिल्ली से तीन गिरफ्तार
देहरादून – करण शिवपुरी तथा सोनू यादव यह दोनों अभियुक्त शातिर किस्म के अपराधी हैं। इन दोनों पर पुलिस मुख्यालय द्वारा पूर्व में 10000 रूपये ईनाम घोषित किया गया था।साथ ही अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिये 01 लाख रूपये ईनाम घोषित करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के द्वारा अनुशंसा पत्र पुलिस मुख्यालय प्रेषित किया गया था। जो प्रक्रियाधीन है।पुलिस को मुखबिर के माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई कि अभियुक्त करण शिवपुरी तथा सोनू यादव अपने एक अन्य साथी सतीश के साथ पहाड़गंज इलाके में आये हैं तथा देहरादून में हुई लूट की घटना में प्राप्त ज्वैलरी को बेचने की फिराक में हैं। उक्त सूचना पर पुलिस टीम द्वारा तत्काल मौके पर पहुंचकर पहाड़गंज क्षेत्र से तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया, जिनके निशानदेही पर घटना में लूटी गई ज्वैलरी बरामद की गई।इनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस को अथक प्रयासों के बाद सफलता प्राप्त हुई। पकड़े गए लोगों के नाम इस प्रकार से हैं करण शिवपुरी पुत्र राकेश शिवपुरी, निवासी ग्रामः मानपुर पो0ः कलाल घाटी,कोटद्वार जनपद पौड़ी गढ़वाल।
सोनू यादव पुत्र सुरेश यादव, निवासीः एल-270 गली नं0-9, महिपालपुर थाना बसन्तकुंज, नई दिल्ली।सतीश पुत्र विजय कुमार, निवासीः गढ़ी हरसेउ थाना सैक्टरः10, रिवाड़ी हरियाणा। पुलिस द्वारा वांछित अभियुक्तों में शिवेन्द्र उर्फ शिवी पुत्र दयाचन्द निवासी 263 बाजरापाना कराला, थाना कंझावाला, नई दिल्ली। मनजीत पुत्र राजसिंह निवासी-धूलसेरस, थाना सेक्टर 23, द्वारिका नई दिल्ली।सूर्य प्रकाश सोनी पुत्र स्व0 वृजपाल निवासी- दशमेष विहार, रायपुर, देहरादून। पुलिस की पूछताछ में अभियुक्त करण शिवपुरी द्वारा बताया गया कि सोनू यादव तथा सतीश से मेरी मुलाकात तिहाड़ जेल में हुई थी। अभियुक्त सोनू लूट के मामलों में तथा सतीश हत्या के आरोप में जेल में निरुद्ध थे। इस दौरान उनके बीच गहरी दोस्ती हो गई, जेल से निकलने के बाद हम लगातार एक-दूसरे के सम्पर्क में थे।कुछ समय पूर्व देहरादून पुलिस द्वारा मुझे चेन स्नेचिंग के मामले में गिरफ्तार कर सुद्धोवाला जेल भेजा गया वहां मेरी मुलाकात सूर्य प्रकाश सोनी से हुई जो एक ज्वैलर था। सूर्यप्रकाश को चोरी के ज्वैलरी खरीदने के आरोप में जेल हुई थी।
हमारी मुलाकात के दौरान मैंने सूर्य प्रकाश से लूट की बड़ी घटना को अंजाम देने तथा लूटी गई ज्वैलरी को बिकवाने में मदद करने की पेशकश की तो वह इसके लिये राजी हो गया। जेल से छूटने के बाद मैं सोनू यादव तथा सतीश को अपनी योजना को बताने के लिये दिल्ली चला गया। इसी बीच सूर्य प्रकाश द्वारा प्रेमनगर में देव ज्वैलर्स नामक ज्वैलरी शॉप को घटना के लिये चिन्हित करते हुये दिल्ली आकर हमें अवगत कराया गया, लूट की योजना हमारे द्वारा सोनू यादव के घर पर बनायी गई, इसमें हमने सोनू के छोटे भाई सुमित यादव को भी शामिल कर लिया। चूंकि मैं एक अच्छा बाईकर हूं तथा देहरादून के रास्तों से अच्छी तरह वाकिफ हूं इसलिये घटना को अंजाम देने के लिये हमने मोटर साईकिल का इस्तेमाल करने की योजना बनाई, जिससे घटना करने के बाद हम आसानी से भाग सके। योजना के मुताबिक सुमित व सतीश द्वारा एक पल्सर-200 एनएस मोटर साईकिल को दिल्ली से चोरी किया गया जिसे लेकर मैं और सोनू दिल्ली से देहरादून आये। घटना को अंजाम देने से पहले सोनू और मैंने सूर्य प्रकाश द्वारा चिन्हित की गई दुकान देव ज्वैलर्स की दो बार रैकी की, इसी दौरान हमारे द्वारा 04 अक्तूबर को विकासनगर तथा 05 अक्टूबर को पटेलनगर क्षेत्र में चेन स्नेचिंग की घटनाओं को अंजाम दिया जिसमें लूटी गई चेनों को मेरे द्वारा सूर्य प्रकाश को बेचा गया। 07 अक्तूबर को देव ज्वैलर्स में लूट की घटना को अंजाम देने के बाद हम सीधे हरिद्वार चले गये तथा हरिद्वार पहुंचने पर मेरे द्वारा सूर्य प्रकाश से सम्पर्क कर उसे घटना के सम्बन्ध में अवगत कराते हुये दिल्ली आकर घटना मे लूटी गई ज्वैलरी को बिकवाने की बात कही गई। उक्त घटना में हमें लगभग 01 किलो 10 ग्राम सोना व ज्वैलरी तथा 12000/- रूपये (बारह हजार रुपये) प्राप्त हुये थे। लूट के बाद दोबारा उत्तराखण्ड में प्रयोग करने के उद्देश्य से हमारे द्वारा घटना मे प्रयुक्त पिस्टल को दूधली के पास जंगल में छिपा दिया गया तथा घटना में प्रयुक्त चोरी की मोटर साईकिल को नजीबाबाद में छोड़ दिया गया। नजीबाबाद से हम टैक्सी के माध्यम से दिल्ली पहुंचे। दिल्ली पहुंचने के बाद हमारे द्वारा घटना की जानकारी अपने वकील शिवेन्द्र को देते हुए सर्राफ से लूटी गई ज्वैलरी में से कुछ ज्वैलरी उसे दी गयी, शेष बची हुई ज्वैलरी को सतीश व सुमित के अलावा एक अन्य व्यक्ति मनजीत के सुपुर्द कर हम दोनो राजस्थान चले गये। मनजीत से मेरी व सोनू यादव की मुलाकात तिहाड जेल में हुई थी, जहां मनजीत 307 भा0द0वि0 के केस में सजा काट रहा था। राजस्थान में एक- दो दिन रुकने के बाद हम वापस दिल्ली आये तथा वहां से फ्लाईट पकड़कर गोवा चले गये। गोवा में उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा स्थानीय पुलिस के साथ हमें पकड़ने का प्रयास किया गया परन्तु हम किसी तरह भागने में कामयाब रहे। पुलिस से बचते हुए हम गोवा से सीधे कर्नाटक पहुचे। कुछ समय कर्नाटक में रुकने के बाद जब हमें महसूस हुआ कि मामला अब शांत हो गया है तो हम सीधे दिल्ली आ गये, चूंकि सोनू यादव दिल्ली का ही निवासी है तथा मैं भी पूर्व में दिल्ली में काफी लम्बे समय तक रह चुका हूँ। इसलिये हमें यहॉ की गलियों व रास्तों की अच्छी जानकारी थी, हम यहॉ पर आसानी से छुपकर रह सकते थे। सोनू पूर्व में शराब तस्करी का काम करता था इसलिये वह अक्सर शराब कारोबारियों से मिलने जाता रहता था। अपनी पहचान छिपाने के लिये हम अक्सर हेलमेट व मुंह पर मास्क का प्रयोग करते थे चूंकि उत्तराखण्ड पुलिस लगातार हमारी तलाश में अलग-अलग स्थानों पर दबिश दे रही थी तथा उनके द्वारा सूर्य प्रकाश व सुमित को गिरफ्तार किया जा चुका था, इसलिये हम पुलिस से बचने के लिये कभी होटल, कभी दोस्तों के घरों, तथा अन्य स्थानों में अपनी पहचान छुपाकर रह रहे थे। हम किसी भी स्थान पर एक या दो दिन ही रुकते थे। फिर अपना स्थान बदल देते थे। पुलिस द्वारा पकड़े जाने के डर से हम मोबाईल का इस्तेमाल नहीं करते थे। आज हम तीनों घटना में लूटी गई ज्वैलरी को बेचने की फिराक में थे, तभी पुलिस द्वारा हमें गिरफ्तार कर लिया गया।
सोनू यादव पुत्र सुरेश यादव, निवासीः एल-270 गली नं0-9, महिपालपुर थाना बसन्तकुंज, नई दिल्ली।सतीश पुत्र विजय कुमार, निवासीः गढ़ी हरसेउ थाना सैक्टरः10, रिवाड़ी हरियाणा। पुलिस द्वारा वांछित अभियुक्तों में शिवेन्द्र उर्फ शिवी पुत्र दयाचन्द निवासी 263 बाजरापाना कराला, थाना कंझावाला, नई दिल्ली। मनजीत पुत्र राजसिंह निवासी-धूलसेरस, थाना सेक्टर 23, द्वारिका नई दिल्ली।सूर्य प्रकाश सोनी पुत्र स्व0 वृजपाल निवासी- दशमेष विहार, रायपुर, देहरादून। पुलिस की पूछताछ में अभियुक्त करण शिवपुरी द्वारा बताया गया कि सोनू यादव तथा सतीश से मेरी मुलाकात तिहाड़ जेल में हुई थी। अभियुक्त सोनू लूट के मामलों में तथा सतीश हत्या के आरोप में जेल में निरुद्ध थे। इस दौरान उनके बीच गहरी दोस्ती हो गई, जेल से निकलने के बाद हम लगातार एक-दूसरे के सम्पर्क में थे।कुछ समय पूर्व देहरादून पुलिस द्वारा मुझे चेन स्नेचिंग के मामले में गिरफ्तार कर सुद्धोवाला जेल भेजा गया वहां मेरी मुलाकात सूर्य प्रकाश सोनी से हुई जो एक ज्वैलर था। सूर्यप्रकाश को चोरी के ज्वैलरी खरीदने के आरोप में जेल हुई थी।
हमारी मुलाकात के दौरान मैंने सूर्य प्रकाश से लूट की बड़ी घटना को अंजाम देने तथा लूटी गई ज्वैलरी को बिकवाने में मदद करने की पेशकश की तो वह इसके लिये राजी हो गया। जेल से छूटने के बाद मैं सोनू यादव तथा सतीश को अपनी योजना को बताने के लिये दिल्ली चला गया। इसी बीच सूर्य प्रकाश द्वारा प्रेमनगर में देव ज्वैलर्स नामक ज्वैलरी शॉप को घटना के लिये चिन्हित करते हुये दिल्ली आकर हमें अवगत कराया गया, लूट की योजना हमारे द्वारा सोनू यादव के घर पर बनायी गई, इसमें हमने सोनू के छोटे भाई सुमित यादव को भी शामिल कर लिया। चूंकि मैं एक अच्छा बाईकर हूं तथा देहरादून के रास्तों से अच्छी तरह वाकिफ हूं इसलिये घटना को अंजाम देने के लिये हमने मोटर साईकिल का इस्तेमाल करने की योजना बनाई, जिससे घटना करने के बाद हम आसानी से भाग सके। योजना के मुताबिक सुमित व सतीश द्वारा एक पल्सर-200 एनएस मोटर साईकिल को दिल्ली से चोरी किया गया जिसे लेकर मैं और सोनू दिल्ली से देहरादून आये। घटना को अंजाम देने से पहले सोनू और मैंने सूर्य प्रकाश द्वारा चिन्हित की गई दुकान देव ज्वैलर्स की दो बार रैकी की, इसी दौरान हमारे द्वारा 04 अक्तूबर को विकासनगर तथा 05 अक्टूबर को पटेलनगर क्षेत्र में चेन स्नेचिंग की घटनाओं को अंजाम दिया जिसमें लूटी गई चेनों को मेरे द्वारा सूर्य प्रकाश को बेचा गया। 07 अक्तूबर को देव ज्वैलर्स में लूट की घटना को अंजाम देने के बाद हम सीधे हरिद्वार चले गये तथा हरिद्वार पहुंचने पर मेरे द्वारा सूर्य प्रकाश से सम्पर्क कर उसे घटना के सम्बन्ध में अवगत कराते हुये दिल्ली आकर घटना मे लूटी गई ज्वैलरी को बिकवाने की बात कही गई। उक्त घटना में हमें लगभग 01 किलो 10 ग्राम सोना व ज्वैलरी तथा 12000/- रूपये (बारह हजार रुपये) प्राप्त हुये थे। लूट के बाद दोबारा उत्तराखण्ड में प्रयोग करने के उद्देश्य से हमारे द्वारा घटना मे प्रयुक्त पिस्टल को दूधली के पास जंगल में छिपा दिया गया तथा घटना में प्रयुक्त चोरी की मोटर साईकिल को नजीबाबाद में छोड़ दिया गया। नजीबाबाद से हम टैक्सी के माध्यम से दिल्ली पहुंचे। दिल्ली पहुंचने के बाद हमारे द्वारा घटना की जानकारी अपने वकील शिवेन्द्र को देते हुए सर्राफ से लूटी गई ज्वैलरी में से कुछ ज्वैलरी उसे दी गयी, शेष बची हुई ज्वैलरी को सतीश व सुमित के अलावा एक अन्य व्यक्ति मनजीत के सुपुर्द कर हम दोनो राजस्थान चले गये। मनजीत से मेरी व सोनू यादव की मुलाकात तिहाड जेल में हुई थी, जहां मनजीत 307 भा0द0वि0 के केस में सजा काट रहा था। राजस्थान में एक- दो दिन रुकने के बाद हम वापस दिल्ली आये तथा वहां से फ्लाईट पकड़कर गोवा चले गये। गोवा में उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा स्थानीय पुलिस के साथ हमें पकड़ने का प्रयास किया गया परन्तु हम किसी तरह भागने में कामयाब रहे। पुलिस से बचते हुए हम गोवा से सीधे कर्नाटक पहुचे। कुछ समय कर्नाटक में रुकने के बाद जब हमें महसूस हुआ कि मामला अब शांत हो गया है तो हम सीधे दिल्ली आ गये, चूंकि सोनू यादव दिल्ली का ही निवासी है तथा मैं भी पूर्व में दिल्ली में काफी लम्बे समय तक रह चुका हूँ। इसलिये हमें यहॉ की गलियों व रास्तों की अच्छी जानकारी थी, हम यहॉ पर आसानी से छुपकर रह सकते थे। सोनू पूर्व में शराब तस्करी का काम करता था इसलिये वह अक्सर शराब कारोबारियों से मिलने जाता रहता था। अपनी पहचान छिपाने के लिये हम अक्सर हेलमेट व मुंह पर मास्क का प्रयोग करते थे चूंकि उत्तराखण्ड पुलिस लगातार हमारी तलाश में अलग-अलग स्थानों पर दबिश दे रही थी तथा उनके द्वारा सूर्य प्रकाश व सुमित को गिरफ्तार किया जा चुका था, इसलिये हम पुलिस से बचने के लिये कभी होटल, कभी दोस्तों के घरों, तथा अन्य स्थानों में अपनी पहचान छुपाकर रह रहे थे। हम किसी भी स्थान पर एक या दो दिन ही रुकते थे। फिर अपना स्थान बदल देते थे। पुलिस द्वारा पकड़े जाने के डर से हम मोबाईल का इस्तेमाल नहीं करते थे। आज हम तीनों घटना में लूटी गई ज्वैलरी को बेचने की फिराक में थे, तभी पुलिस द्वारा हमें गिरफ्तार कर लिया गया।
Comments
Post a Comment