दोनों देशो में पौराणिक धर्म,लेकिन धर्मों की समझ अलग-अलग

देहरादून–सुप्रसिद्व चीनी गुरू व प्रोफेसर का दून विश्वविद्यालय में व्याख्यान
देहरादून, दून विश्वविद्यालय मेें चीन के स झवान विश्वविद्यालय के दक्षिण एशिया संस्थान की प्रोफेसर व भारतीय धर्मों के अध्ययन कीे विशेषज्ञ छयू युंग ह्वेइ ने व्याख्यान देते हुए कहा कि भारत और चीन दोनों देशों के धर्मों पर तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता है। दोनों देशो में पौराणिक धर्म हैं लेकिन धर्मों की समझ अलग-अलग है। उन्होंने कहा कि बुद्व धर्म भारत से चीन गया और चीन में इसका समावेशी विकास हुआ। चीन की धार्मिक विशेषता पर प्रोफेसर ने कहा कि चीन में बौद्व धर्म, कन्फ्यूजियस धर्म ओर ताओइज्म धर्म एक साथ मिलते हैं और लोगों के जीवन को अलग-अलग तरह से प्रभावित करते हैं।

इस मौके पर दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रा0 ए0के0 कर्नाटक ने चीन से आए प्रो0 का स्वागत करते हुए कहा कि भारत और चीन के सम्बन्ध ऐतिहासिक हैं। भारत जहां दक्षिणी एशिया की सभ्यता का उद्गम स्थल है वहीं चीन पूर्वी एशिया की सम्यता का उद्गम स्थल है। सदियों से दोनों देशों के बीच संस्कृति एवं सभ्यता का आदान-प्रदान हुआ है। आजादी के बाद प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने चीन से प्रगाढ़ सम्बन्ध स्थापित किये। आज दोनों देश विश्व की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं।इस मौके पर कुलसचिव डा0 मंगल सिंह मन्द्रवाल, प्रो0 हर्ष डोभाल, प्रो0 एच0सी0 पुरोहित, डा0 मधुरेन्द्र झा,, डाॅ0 राजेश कुमार, सुश्री जूही प्रसाद, डाॅ0 अब्सार अब्बासी आदि उपस्थित थे।

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