हिन्दी बोलने की भाषा नहीं है, बल्कि गर्व करने का विषय है
हरिद्वार–हिन्दी दिवस के अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के तत्वावधान में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ पतंजलि विश्वविद्यालय के माननीय प्रति-कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल, कुलसचिव डॉ. प्रवीण पुनिया, स्वामी परमार्थ देव एवं डॉ. साधना द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इसके पश्चात् विश्वविद्यालय का कुलगीत एवं हिन्दी के सन्दर्भ में कुछ गीत प्रस्तुत किए गये। सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. संजय सिंह ने हिन्दी भाषा की प्रासंगिकता के बारे में चर्चा की। इसी क्रम में स्नातक, परास्नातक व डिप्लोमा के छात्र/छात्राओं द्वारा हिन्दी भाषा से सम्बन्धित भाषण व स्वरचित कविताओं का पाठ किया गया। संगीत विभाग के संयोजक चन्द्रमोहन मिश्र व उनकी टीम द्वारा मनमोहक संगीत ‘हिन्दी छत्र हिन्द का हैं।मधुर राष्ट्र भाषा प्यारी’ प्रस्तुत की गई।
डॉ. साधना ने हिन्दी भाषा के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि हिन्दी केवल बोलने की भाषा नहीं है बल्कि यह तो गर्व करने का विषय है। स्वामी परमार्थ देव ने अपने उद्बोधन से आप्लावित करते हुए कहा कि हिन्दी हमारे तन, मन व वतन का प्राण है। महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थ प्रकाश की रचना कर हिन्दी के क्षेत्र में अपना अजस्र योगदान दिया है। कुलसचिव ने स्वामी रामदेव का हिन्दी के क्षेत्र में योगदान विषय पर गहन चर्चा की। इसके पश्चात् कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. महावीर अग्रवाल द्वारा प्रेरणायुक्त उद्बोधन दिया गया इसी क्रम में उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय में शीघ्र ही अन्तर्विश्वविद्यालयीय त्रिभाषा भाषण प्रतियोगिता के आयोजन की रूपरेखा सम्बन्धी चर्चा की। उन्होंने हिन्दी भाषा की विराटता व प्रभावशीलता को विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से उपस्थित आचार्यों व विद्यार्थियों को बताया। इसी सन्दर्भ में उन्होंने स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण एवं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी के हिन्दी के क्षेत्र मे उत्कृष्ट योगदानों की चर्चा की। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस वक्त दुनिया के 170 विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा का शिक्षण प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने विदेशी लेखक फादर कामिल बुल्के एवं ग्रेयर्सन के हिन्दी भाषा के योगदानों की चर्चा करते हुए पतंजलि विश्वविद्यालय की तरफ से संपूर्ण राष्ट्र को हिन्दी दिवस की विशेष बधाई प्रेषित की। कार्यक्रम का सफल संचालन विश्वविद्यालय के विद्वान प्राध्यापक डॉ. विपिन द्विवेदी द्वारा किया गया।
डॉ. साधना ने हिन्दी भाषा के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि हिन्दी केवल बोलने की भाषा नहीं है बल्कि यह तो गर्व करने का विषय है। स्वामी परमार्थ देव ने अपने उद्बोधन से आप्लावित करते हुए कहा कि हिन्दी हमारे तन, मन व वतन का प्राण है। महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थ प्रकाश की रचना कर हिन्दी के क्षेत्र में अपना अजस्र योगदान दिया है। कुलसचिव ने स्वामी रामदेव का हिन्दी के क्षेत्र में योगदान विषय पर गहन चर्चा की। इसके पश्चात् कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. महावीर अग्रवाल द्वारा प्रेरणायुक्त उद्बोधन दिया गया इसी क्रम में उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय में शीघ्र ही अन्तर्विश्वविद्यालयीय त्रिभाषा भाषण प्रतियोगिता के आयोजन की रूपरेखा सम्बन्धी चर्चा की। उन्होंने हिन्दी भाषा की विराटता व प्रभावशीलता को विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से उपस्थित आचार्यों व विद्यार्थियों को बताया। इसी सन्दर्भ में उन्होंने स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण एवं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी के हिन्दी के क्षेत्र मे उत्कृष्ट योगदानों की चर्चा की। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस वक्त दुनिया के 170 विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा का शिक्षण प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने विदेशी लेखक फादर कामिल बुल्के एवं ग्रेयर्सन के हिन्दी भाषा के योगदानों की चर्चा करते हुए पतंजलि विश्वविद्यालय की तरफ से संपूर्ण राष्ट्र को हिन्दी दिवस की विशेष बधाई प्रेषित की। कार्यक्रम का सफल संचालन विश्वविद्यालय के विद्वान प्राध्यापक डॉ. विपिन द्विवेदी द्वारा किया गया।
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