हरित विवाह दिवस पर लिया वृक्षारोपण एवं गौ संरक्षण का संकल्प
ऋषिकेश–परमार्थ निकेतन के पावन गंगा तट पर राष्ट्र, पर्यावरण और नदियों को समर्पित श्री रामकथा में कथा व्यास संत मुरलीधर का विवाह दिवस, हरित विवाह दिवस के रूप में मनाया गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने पुष्प माला और रूद्राक्ष का पौधा देकर संत मुरलीधर और उनकी धर्मपत्नी मीना को आशीर्वाद दिया और माँ गंगा से उनके सुखी समृ़द्ध जीवन की प्रार्थना की।परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने वेद मंत्रों का गायन कर पुष्प वर्ष कर संत मुरलीधर व मीना और उनके परिवार का अभिनन्दन किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि प्रख्यात मानस कथाकार मुुरलीधर के श्रीमुख से मानस की कथा, गंगा यात्रा विभिन्न स्थानों पर निरन्तर प्रवाहित होती रहती है और उनकी सबसे अच्छी बात तो यह है कि न उन्हें माल चाहिये न माला चाहिये।
वे लोगों के हृदय को भक्तिरस से संचित करते हुये सभी के जीवन को दिव्यता से मालामाल करते रहते है। लगता है कभी वे विश्राम ही नहीं करते विगत 15 वर्षो से भारत के विभिन्न प्रांतों में उनकी कथायें हो रही हैं उनके लिये तो मानस का संदेश लोगों तक पहुंचाना ही विश्राम है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि मुरलीधर को न तो हार चाहिये न ही उन्होने परिस्थितियों से हार मानना सीखा है। उनका उद्देश्य मानस कथा को लोगों तक पहुंचाना हैं इसके लिये चाहे उन्हें पैदल चलना हो; साइकिल हो, स्कूटी हो या फिर कार, यह उनके लिये महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है कथा बहती रहे। राम गुणगान होता रहे। उनकी सरलता, सादगी और सत्संग का यह प्रवाह सदैव प्रवाहित होता रहे आज उनके विवाह दिवस पर यही हमारी प्रभु से प्रार्थना है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि संत मुरलीधर से मेरी चर्चा होती है तब मैं उनसे यही कहता हूँ कि आप बस मानस कथा के माध्यम से लोगों तक पर्यावरण, जल एवं नदियों के संरक्षण, भ्रूण हत्या निषेध, दहेज प्रथा को समाप्त करने, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के लिये तथा समाज में समता, समरसता और एकता लाने वाले प्रेरणादायक मंत्रों के साथ लोगों को संकल्प कराते रहें साथ ही हर कथा के पश्चात पौधा रोपण अभियान की शुरूआत एवं जल को बचाने की मुहिम के लिये लोगोें को संकल्पित करने की शुरूआत चालू रखें तो इससे भविष्य में बहुत ही बेहतर परिणाम प्राप्त होगे। संत मुरलीधर ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती के निवेदन को स्वीकार करते हुये हर कथा के पश्चात संकल्प कराना आरम्भ करा दिया वास्तव में आज इसी की आवश्यकता है।
कथाव्यास संत मुरलीधर ने कहा कि मेरी बहुत इच्छा थी कि राजस्थान की धरती में जहां पर जल का अत्यधिक अभाव है तथा वहा पर जल संरक्षण हेतु प्रयास करने की जरूरत है। जब मैं स्वामी चिदानन्द सरस्वती द्वारा जल के लिये किये जा रहे प्रयासों के देखता था तो मुझे लगा कि मुझे भी कथाओं के माध्यम से कुछ इस तरह के प्रयास करने चाहिये तथा मेरी दूसरी प्रबल इच्छा थी कि माँ गंगा के तट पर निवास करने का अवसर प्राप्त हो और मेरी यह इच्छा भी स्वामी चिदानन्द सरस्वती के आशीर्वाद से पूरी हुई और अब तो एक मास तक माँ गंगा के तट पर रहकर श्री रामकथा गान करने का अवसर मिलता है यह मेरा सौभाग्य है। उन्होने कहा कि अब तो परमार्थ निकेतन मेरे घर की तरह है यह एक ऐसा दिव्य और पवित्र स्थल है जिसकी दिव्यता ने हमारा मन मोह लिया है। अब तो वर्ष में एक बार नहीं कई बार यहां पर पूरे परिवार के साथ आने का मौका मिल जाता है। माँ गंगा ने मानस परिवार और सभी भक्तों का मन मोह लिया है अब तो भक्त प्रतिक्षा करते है कि कब परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में कथा होगी और कब हमें वहां जाने का अवसर प्राप्त होगा।संत मुरलीधर के विवाह दिवस के अवसर पर सायंकाल माँ गंगा का अभिषेक और विशेष पूजन किया गया। सभी श्रद्धालुओं ने संत मुरलीधर एवं उनकी धर्मपत्नी मीना को विवाह दिवस की शुभकामनायें प्रदान की तथा स्वस्थ, समृद्ध एवं पर्यावरण संरक्षण के लिये उत्तरोतर कार्य करने की माँ गंगा से प्रार्थना की।
परमार्थ निकेतन परिसर में रूद्राक्ष, पीपल, पाकर, बरगद और तुलसी के पौधों का रोपण कर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने संत मुरलीधर जी एवं मीना का विवाह दिवस मनाया तथा सभी भक्तों को वृक्षारोपण और गौ संरक्षण का संकल्प कराया सभी ने हाथ खड़े कर संकल्प किया।
वे लोगों के हृदय को भक्तिरस से संचित करते हुये सभी के जीवन को दिव्यता से मालामाल करते रहते है। लगता है कभी वे विश्राम ही नहीं करते विगत 15 वर्षो से भारत के विभिन्न प्रांतों में उनकी कथायें हो रही हैं उनके लिये तो मानस का संदेश लोगों तक पहुंचाना ही विश्राम है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि मुरलीधर को न तो हार चाहिये न ही उन्होने परिस्थितियों से हार मानना सीखा है। उनका उद्देश्य मानस कथा को लोगों तक पहुंचाना हैं इसके लिये चाहे उन्हें पैदल चलना हो; साइकिल हो, स्कूटी हो या फिर कार, यह उनके लिये महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है कथा बहती रहे। राम गुणगान होता रहे। उनकी सरलता, सादगी और सत्संग का यह प्रवाह सदैव प्रवाहित होता रहे आज उनके विवाह दिवस पर यही हमारी प्रभु से प्रार्थना है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि संत मुरलीधर से मेरी चर्चा होती है तब मैं उनसे यही कहता हूँ कि आप बस मानस कथा के माध्यम से लोगों तक पर्यावरण, जल एवं नदियों के संरक्षण, भ्रूण हत्या निषेध, दहेज प्रथा को समाप्त करने, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के लिये तथा समाज में समता, समरसता और एकता लाने वाले प्रेरणादायक मंत्रों के साथ लोगों को संकल्प कराते रहें साथ ही हर कथा के पश्चात पौधा रोपण अभियान की शुरूआत एवं जल को बचाने की मुहिम के लिये लोगोें को संकल्पित करने की शुरूआत चालू रखें तो इससे भविष्य में बहुत ही बेहतर परिणाम प्राप्त होगे। संत मुरलीधर ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती के निवेदन को स्वीकार करते हुये हर कथा के पश्चात संकल्प कराना आरम्भ करा दिया वास्तव में आज इसी की आवश्यकता है।
कथाव्यास संत मुरलीधर ने कहा कि मेरी बहुत इच्छा थी कि राजस्थान की धरती में जहां पर जल का अत्यधिक अभाव है तथा वहा पर जल संरक्षण हेतु प्रयास करने की जरूरत है। जब मैं स्वामी चिदानन्द सरस्वती द्वारा जल के लिये किये जा रहे प्रयासों के देखता था तो मुझे लगा कि मुझे भी कथाओं के माध्यम से कुछ इस तरह के प्रयास करने चाहिये तथा मेरी दूसरी प्रबल इच्छा थी कि माँ गंगा के तट पर निवास करने का अवसर प्राप्त हो और मेरी यह इच्छा भी स्वामी चिदानन्द सरस्वती के आशीर्वाद से पूरी हुई और अब तो एक मास तक माँ गंगा के तट पर रहकर श्री रामकथा गान करने का अवसर मिलता है यह मेरा सौभाग्य है। उन्होने कहा कि अब तो परमार्थ निकेतन मेरे घर की तरह है यह एक ऐसा दिव्य और पवित्र स्थल है जिसकी दिव्यता ने हमारा मन मोह लिया है। अब तो वर्ष में एक बार नहीं कई बार यहां पर पूरे परिवार के साथ आने का मौका मिल जाता है। माँ गंगा ने मानस परिवार और सभी भक्तों का मन मोह लिया है अब तो भक्त प्रतिक्षा करते है कि कब परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में कथा होगी और कब हमें वहां जाने का अवसर प्राप्त होगा।संत मुरलीधर के विवाह दिवस के अवसर पर सायंकाल माँ गंगा का अभिषेक और विशेष पूजन किया गया। सभी श्रद्धालुओं ने संत मुरलीधर एवं उनकी धर्मपत्नी मीना को विवाह दिवस की शुभकामनायें प्रदान की तथा स्वस्थ, समृद्ध एवं पर्यावरण संरक्षण के लिये उत्तरोतर कार्य करने की माँ गंगा से प्रार्थना की।
परमार्थ निकेतन परिसर में रूद्राक्ष, पीपल, पाकर, बरगद और तुलसी के पौधों का रोपण कर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने संत मुरलीधर जी एवं मीना का विवाह दिवस मनाया तथा सभी भक्तों को वृक्षारोपण और गौ संरक्षण का संकल्प कराया सभी ने हाथ खड़े कर संकल्प किया।
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