लद्दाख में दिव्यांग मतदाताओं के लिए जागरुकता अभियान
लेह- सौ फीसदी मतदान सुनिश्चित करने के उद्देश्य के साथ नरोपा फैलोशिप के फैलोज़, भारत के सबसे सुदूर क्षेत्रों में से एक लेह में भारतीय चुनाव आयोग के एसवीईईपी प्रोग्राम के सक्रिय संचालन में योगदान दे रहे हैं। मतदाताओं को मतदान के बारे में जागरुक बनाना तथा नैतिक मतदान के साथ मतदान की संख्या में वृद्धि को सुनिश्चित करना एसवीईईपी टीम का मुख्य उद्देश्य है।खलत्सी और न्योमा ब्लॉक्स के सबसे सुदूर क्षेत्रों में मतदाताओं के गहन सक्रियण और प्रशिक्षण के अलावा ये फैलोज़ मतदान के बारे में जागरुकता के प्रसार के लिए कई माध्यमों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जैसे लेह के बाज़ार में दीवार पर भित्ती चित्र (वॉल म्यूरल) बनाकर स्थानीय लोगों को मतदान के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
महामहिम दु्रकपा थुकसे रिनपोचे, सह-संस्थापक, नरोपा फैलोशिप ने कहा, ‘‘नरोपा फैलोज़ द्वारा उठाया गया यह सकारात्मक कदम लद्दाख के लिए, खासतौर उन दूर-दराज के गांवों के लिए बहुत ज़रूरी था, जहां आज भी मतदान के बारे में जागरुकता की कमी है, लोग नहीं जानते कि उनका एक मतदान कितना मायने रखता है। हमें यह देखकर गर्व का अनुभव हो रहा है कि हमारे फैलोज़ राष्ट्रीय महत्व के इस अभियान में सक्रियता से हिस्सा ले रहे हैं और लद्दाख को एक जागरुक निर्वाचन क्षेत्र बनाने में योगदान दे रहे हैं।’’ एसवीईईपी अभियान के बारे में बात करते हुए एक नरोपा फैलो अभिषेक, जो जागरुकता अभियान में हिस्सा ले रहे हैं, ने कहा, ‘‘3 में चुनाव, लोकतंत्र में किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। चुनाव आयोग अपने सभी दायरों से बाहर जाकर सुनिश्चित करता है कि कोई भी मतदाता पीछे न छूट जाए और लद्दाख इसी प्रतिबद्धता का बेहतरीन उदाहरण है। हमने लेह के उपायुक्त से सम्पर्क किया, जिन्होंने हमें ज़िला चुनाव अधिकारी के निरीक्षण में लेह ज़िले की एसवीईईपी टीम में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अनुभव ने हमें क्षेत्र में मौजूद मुश्किलों और संभावनाओं को जानने का अवसर दिया।’’
2014 के लोक सभा चुनावों में लद्दाख में 70 फीसदी मतदान दर्ज किया गया, जो देश के शेष हिस्सों की तुलना में अधिक है। इन फैलोज़ का मानना है कि उपयुक्त प्रयासों एवं संसाधानों के द्वारा भारत के इस सबसे उत्तरी राज्य में तकरीबन 100 फीसदी मतदान को सुनिश्चित किया जा सकता है।लद्दाख में 166,763 पंजीकृत मतदाता तथा 211 मतदान केन्द्र हैं, जिनमें से 37 मतदान केन्द्रों में 50 से भी कम मतदाता है। सिर्फ चार ऐसे मतदान केन्द्र हैं जहां एक हज़ार से अधिक मतदाता हैं। मतदाताओं का विविध प्रोफाइल एवं भौगोलिक प्रसार इसे चुनौती और संभावना दोनों का रूप देते हैं।ये फैलोज़ पीएजीआईआर पर दिव्यांग मतदाताओं के लिए भी एक जागरुकता अभियान का संचालन कर रहे हैं जहां वेज़िला चुनाव अधिकारी के निरीक्षण में काम करते है। इसके लिए उन्हें लेह ज़िले के दूर-दराज के गांवों की यात्रा भी की है। उन्होंने ईवीएम/ वीवीपीएटी पर मॉकपोल एवं कार्यशालाओं के माध्यम से मतदाताओं के लिए कई जागरुकता अभियानों का आयोजन किया है।
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