विश्व बैंक के ऋण से होगा, पुनर्जीवन आपदा प्रभावित क्षेत्र
नई दिल्ली — विश्व बैंक और भारत सरकार,उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2013 में आई बाढ़ के बाद से ही निरंतर जारी उत्तराखंड की आपदा उपरांत पुनरुद्धार योजनाओं के लिए इस राज्य को अतिरिक्त धनराशि मुहैया कराने हेतु आज नई दिल्ली में 96 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य उत्तराखंड की आपदा जोखिम प्रबंधन क्षमता को सुदृढ़ करना भी है।विश्व बैंक उत्तराखंड आपदा पुनरुद्धार परियोजना के जरिए राज्य सरकार को वर्ष 2014 से ही आवश्यक सहायता प्रदान करता रहा है, ताकि आवास के साथ-साथ ग्रामीण कनेक्टिविटी बहाल की जा सके और इसके साथ विभिन्न समुदायों की सुदृढ़ क्षमता का निर्माण किया जा सके। अब तक इस परियोजना के तहत 2000 से भी अधिक स्थायी घरों एवं 23 सार्वजनिक भवनों का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है और इसके साथ ही 1300 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी सड़कों व 16 पुलों को अपनी पहली वाली स्थिति में लाया जा चुका है। 96 मिलियन डॉलर के अतिरिक्त वित्त पोषण से पुलों, सड़कों और नदी तट संरक्षण कार्यों का पुनर्निर्माण करने में मदद मिलेगी। इस वित्त पोषण से राज्य आपदा राहत बल (एसडीआरएफ) के लिए प्रशिक्षण सुविधा के निर्माण में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा इस परियोजना से राज्य के विभिन्न निकायों की तकनीकी क्षमता बढ़ाने में भी सहायता मिलेगी, जिससे कि वे भविष्य में इस तरह की आपदाओं का त्वरित एवं कारगर ढंग से सामना कर सकें।इस अवसर पर भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में अपर सचिव समीर कुमार खरे ने कहा कि भारत में कई प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं का खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार एक समग्र, अत्यंत सक्रिय एवं बहु-आपदा-उन्मुख रणनीति बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके तहत एक सुरक्षित एवं आपदा से निपटने में सक्षम भारत का निर्माण करने के लिए संबंधित प्रौद्योगिकी का कारगर ढंग से उपयोग किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड आपदा पुनरुद्धार परियोजना इन उद्देश्यों की पूर्ति में कामयाब साबित हो रही है एवं अतिरिक्त वित्त पोषण से इसके प्रभावों का और ज्यादा विस्तारीकरण संभव हो पाएगा।उपर्युक्त ऋण समझौते पर भारत सरकार की ओर से समीर कुमार खरे, उत्तराखंड सरकार की ओर से उत्तराखंड सरकार के वित्त एवं आपदा प्रबंधन सचिव तथा उत्तराखंड आपदा पुनरुद्धार परियोजना के कार्यक्रम निदेशक अमित नेगी और विश्व बैंक की ओर से वर्ल्ड बैंक इंडिया के कार्यवाहक कंट्री डायरेक्टर हिशाम एब्दो ने हस्ताक्षर किए।उल्लेखनीय है कि जून 2013 में भयावह जल प्रलय के कारण उत्तराखंड को विनाशकारी बाढ़ एवं भूस्खलन का सामना करना पड़ा था। वर्ष 2003 में आई सुनामी के बाद यह अपनी तरह की सर्वाधिक विनाशकारी आपदा थी, जिससे 4200 से भी अधिक गांव प्रभावित हुए थे। यही नहीं, इस वजह से 2500 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे और 4000 लोगों की जान गई थी।
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