चार मुख्यमंत्री देने वाले पौड़ी से हुआ सबसे अधिक पलायन

देहरादून– उत्तराखंड प्रदेश का  यह दुर्भाग्य रहा कि  जिस जनपद में  सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री  अभी तक दिए हैं  उसी जनपद  से  सबसे ज्यादा पलायन हुआ है  जिसकी रिपोर्ट आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग द्वारा पौड़ी की सिफारिश रिपोर्ट को जारी किया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि पलायन रोकने व जनपद में विकास को सुनिश्चित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए इसका विश्लेषण सिफारिश रिपोर्ट में किया गया है। सबसे अधिक पलायन प्रभावित जनपद पौड़ी के बाद क्रमशः अल्मोड़ा व अन्य जिलों का अध्ययन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग ने ग्रामीण विकास की दृष्टि से 3600 करोड़ की योजना बनाई है, जिसे भारत सरकार ने भी संस्तुति दे दी है। यह ऋण व्यवस्था है जिसमें 80 राज्य  तथा 20 केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता था। अब इसे 60 व 40 कर दिया गया है।राज्य सरकार जल्द ही ग्रामीण विकास की दृष्टि से तमाम योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु एक बड़ी कार्य योजना लॉन्च करेगी। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की यह सिफारिश रिपोर्ट आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव मनीषा पवार, ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ एसएस नेगी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इस सम्बन्ध में पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ एसएस नेगी ने जानकारी दी कि ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग, जनपद पौड़ी गढ़वाल के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को सुदृढ़ बनाने के लिए सिफारिशों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। रिपोर्ट में जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों से हो रहे पलायन को कम करने के लिए आयोग द्वारा सामाजिक-आर्थिक स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कर इसे सुदृढ़ करने की सिफारिशें शामिल हैं।2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 6,86,527 है, जिसका 83.59 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 16.41 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में निवास करती है। पिछली चार जनगणना के अनुसार इस जिले की जनसंख्या में लगातार गिरावट पायी गयी है तथा 2011 की जनगणना में भी (-1.51) की ऋणात्मक वृद्धि दर अंकित की गई है।जनपद पौड़ी गढ़वाल की जनसंख्या में पिछले चार जनगणनाओं में गिरावट की प्रवृत्ति देखी गई है। 2011 की जनगणना में, कुल जनसंख्या वृद्धि -1.41 प्रतिशत ऋणात्मक रही थी। उपरोक्त तालिका 2.1 से पता चलता है कि नगरी क्षेत्रों की जनसंख्या (2001-2011) दशक में 25.40 प्रतिशत वृद्धि हुई है और ग्रामीण जनसंख्या में (-5.37) प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी हुई है।15 विकासखण्डों में से 12 विकासखण्डों के अन्र्तगत पिछले दशक (जनगणना 2011) में ऋणात्मक वृद्धि दर है। वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान निरंतर मूल्य पर, राज्य की विकास दर 6.95 प्रतिशत थी, और जनपद पौड़ी गढ़वाल के लिए 6.96 प्रतिशत थी। राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 1,95,606 करोड रूपये था और जिला पौड़ी गढ़वाल के लिए यह वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए वर्तमान मूल्य पर 8,283.56 करोड़ रूपये था। जनपद का जीडीपी, राज्य के जीडीपी में लगभग 4.23 प्रतिशत योगदान देता है। जनपद पौड़ी द्वारा राज्य जीडीपी में हरिद्वार, देहरादून, उधम सिंह नगर और नैनीताल के बाद पांचवे स्थान का योगदान दिया है। यद्यपि राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र में जनपद 10.17 प्रतिशत का भागीदारी है और पांचवा सबसे अधिक जनसंख्या वाला जनपद है, यह राज्य जीडीपी में केवल 4.23 प्रतिशत का महत्व रखता है। इसके अलावा, पौड़ी (ग्रामीण) के लिए एम0पी0सी0ई0 (मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय) 1294.87 रूपये है और पौड़ी (नगरीय) के लिए 2145.62 रूपये है, जो राज्य और राष्ट्रीय औसत से कम है। जनपद पौड़ी गढ़वाल की औद्योगिक रूपरेखा के अनुसार, एम0एस0एम0ई0 मंत्रालय के अन्तर्गत वर्ष 2016 तक पौड़ी में कुल 6272  पंजीकृत ईकाईयां है, जो लगभग 20,000 लोगों को स्थायी और अर्थ-स्थायी रूप से रोजगार प्रदान करते हैं। पौड़ी में लगभग 29.36 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है, जो राज्य मे सबसे अधिक है, जबकि टिहरी गढ़वाल का न्यूनतम 10.15 प्रतिशत है। डी.ई.एस. पौड़ी द्वारा दिए गए आंकडों से पता चलता है कि बागवानी फसलों के तहत उपयोग में लाये जाने वाले क्षेत्रफल, पूरे रूप में बागवानी के कुल क्षेत्रफल वर्ष 2015-16 की तुलना में वर्ष 2016-17 में काफी कम हो गया है, जिससे जनपद में फलों का उत्पादन भी काफी घट गया है।सिफारिशें आंकडें दर्शाते हैं कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से चिन्ताजनक पलायन हुआ है। 1212 ग्राम पंचायतों (2017-18) में से 1025 ग्राम पंचायतों से पलायन हुआ है। लगभग 52 प्रतिशत पलायन मुख्य रूप से आजीविकाध्रोजगार की कमी के कारण हुआ है। जिले से पलायन करने वालों की आयु वर्ग मुख्यतया 26 से 35 वर्ष है। लगभग 34 प्रतिशत लोगों ने  राज्य से बाहर पलायन किया है, जो कि अल्मोड़ा जिले के बाद सबसे अधिक है। आयोग द्वारा किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक 2011 के बाद जिले में 186 गांवध्तोक गैर आबाद हुये हैं, जो कि 2011 के पश्चात गैर आबाद ग्रामों का 25 प्रतिशत है। वहीं दूसरी तरफ जिले में 112 ग्रामध्तोकध्मजरे ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या 2011 के पश्चात 50 प्रतिशत से अधिक कम हुयी है। पूरे राज्य में ऐेसे 565 ग्रामध्तोक है।2001 से 2011 के बीच खिर्सू, दुगड्डा और थलीसैंण विकासखण्ड़ों की आबादी में वृद्धि हुई है, हालांकि अन्य विकास खण्ड़ों की आबादी घटी है या यह वृद्धि बहुत धीमी हुयी है। बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता-पानी की कमी, पक्की सड़केें, अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य आदि बुनियादी सुविधाएं हैं जिन्हें गावों तक पहुचाना है, प्रमुखतः उन गावों में जहाँ से अधिक पलायन हुआ है।
जलवायु परिवर्तन-जलवायु परिवर्तन चिंता का एक प्रमुख कारक है, खासकर पौड़ी जिले में जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है। जलवायु परिवर्तन से कृषि अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा प्रभावित होती है।

Comments

Popular posts from this blog

किधर गिरी आल्टो k10 खाई में हुई मां-बेटी की मौत

पूजा करने को जा रहे लोगों से भरी बोलेरो खाई में गिरी दस की मौत

गुमखाल में कार खाई में गिरी तीन की मौत