उत्तराखंड में खाली होते चीन के सीमांत गांव
देहरादून– उत्तराखंड में खाली होते सीमांत के गांव पलायन का ऐसा दंश लगा इस प्रदेश को कि अब सरकार पलायन की समस्या से निजात पाने के लिए कसरत कर रही है,मगर खाली होते गांव अपनी व्यथा स्वयं ही व्यक्त कर रहे हैं, अब हिमालय जड़ी-बूटियों को बेचकर वहां के युवा रोजगार प्राप्त कर रहे थे, हरे-भरे बुग्यालों में कैंपिंग करा कर युवकों को रोजगार मिल रहा था, पानी से राफ्टिंग करवाकर रोजगार मिल रहा था, लेकिन यह सब एनजीटी ने बंद करवा कर तो युवा को पलायन की ओर बढ़ावा दिया है,वही कह रहे हैं कि हिमालय का महत्व उसके आस-पास के देशों के लिये ही नहीं बल्कि यह विश्व स्तर की जलवायु को प्रभावित करता है। हिमालय ही वह एक वजह है जिसके कारण भारत, नेपाल और पाकिस्तान और बांग्लादेश को प्रचुर मात्रा में जल प्राप्त होता है। भारत को औषधीय पौधों, चूना पत्थर, हिमालय नमक, फलों की खेती और अन्य वन संसाधनों से आर्थिक सहायता प्राप्त होती है। अगर हम हिमालय के संसाधनों का सही तरीके से इस्तेमाल करे तो पलायन की समस्या से पूरी तरह से निजात पा सकते हैं,
हिमालय केवल पलायन की समस्या का समाधान नहीं करता बल्कि जीवन की समस्याओं से पलायन करने वाले लोगों की समस्या का भी समाधान हिमालय के पास है। आज हमें हिमालय ही नहीं बल्कि हमालय की भी आवश्यकता हैं। हिमालय ने हमें एक रहना; एक होना और हम एक परिवार की शिक्षा प्रदान की है। वसुधैव कुटुम्बकम का संगीत दिया है, राष्ट्र भक्ति की शिक्षा भी हमें हिमालय ने प्रदान की है। उन्होने देश के सभी प्रकृति प्रेमियों का आह्वान करते हुये कहा कि यह हिमालय चिंतन वार्ता नहीं बल्कि वैश्विक जलवायु को अनुकूल बनाने का आगाज है इस मुहिम के सभी सहभागी बने।हिमालय सदियों से अध्यात्म का केन्द्र बिन्दु रहा है इसलिये इसके संरक्षण का माध्यम अध्यात्म केन्द्रित रखा गया है। हमारा उद्देश्य है कि प्रदेश में होने वाला पर्यटन, निर्माण और अन्य विकास परक योजनायें हिमालय परिस्थितिकी के अनुकूल हो तथा विकास का प्रत्येक माॅडल प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण हो। उन्होने कहा कि हिमालय भारत का ताज है न कि कुछ राज्यों का अतः हिमालय के संरक्षण की जिम्मेदारी भी भारत के हर नागरिक की होनी चाहिये।
हिमालय केवल पलायन की समस्या का समाधान नहीं करता बल्कि जीवन की समस्याओं से पलायन करने वाले लोगों की समस्या का भी समाधान हिमालय के पास है। आज हमें हिमालय ही नहीं बल्कि हमालय की भी आवश्यकता हैं। हिमालय ने हमें एक रहना; एक होना और हम एक परिवार की शिक्षा प्रदान की है। वसुधैव कुटुम्बकम का संगीत दिया है, राष्ट्र भक्ति की शिक्षा भी हमें हिमालय ने प्रदान की है। उन्होने देश के सभी प्रकृति प्रेमियों का आह्वान करते हुये कहा कि यह हिमालय चिंतन वार्ता नहीं बल्कि वैश्विक जलवायु को अनुकूल बनाने का आगाज है इस मुहिम के सभी सहभागी बने।हिमालय सदियों से अध्यात्म का केन्द्र बिन्दु रहा है इसलिये इसके संरक्षण का माध्यम अध्यात्म केन्द्रित रखा गया है। हमारा उद्देश्य है कि प्रदेश में होने वाला पर्यटन, निर्माण और अन्य विकास परक योजनायें हिमालय परिस्थितिकी के अनुकूल हो तथा विकास का प्रत्येक माॅडल प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण हो। उन्होने कहा कि हिमालय भारत का ताज है न कि कुछ राज्यों का अतः हिमालय के संरक्षण की जिम्मेदारी भी भारत के हर नागरिक की होनी चाहिये।
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