मदरसे के छात्रों और ऋषिकुमारों ने मिलकर लहराया तिरंगा
ऋषिकेश-72वां स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर परमार्थ गंगा तट पर मदरसा के छात्र, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार, आचार्य, महात्मा, मौलाना, मुफ़्ती और ईमाम मिलकर सभी ने भारत की शान तिरंगा गर्व से फहराया। भारत के इतिहास में यह पहला अवसर है जब विभिन्न महजबों के लोगों ने एकसाथ माँ गंगा के तट पर तिरंगा फहराया।तत्पश्चात सभी ने भारत की धरती को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प लिया और परमार्थ प्रांगण में वृक्षारोपण किया।परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष, मुख्य इमाम डाॅ इमाम उमर अहमद इलियासी जी ने देशभक्ति, कौमी एकता और भाईचारा का प्रतीक रूद्राक्ष के पौधे का रोपण कर युवा पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण और मजहब से उपर उठकर देशभक्ति का संदेश दिया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती भारत ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर मजहबी एकता, वसुधैव कुटुम्बकम अर्थात विश्व एक परिवार की स्थापना के लिये अद्भुत कार्य कर रहे है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आजादी के 72 वें साल की सभी देशवासियों को शुभकामनायें दी और कहा कि 71 सालों तक भारत ने अनेक उपलब्धियाँ हासिल की परन्तु कुछ बातों पर अभी भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होने कहा, अब देश में कहीं भी न दूरंगी नीति होगी न दूरंगा रंग होगा, होगा तो केवल देशभक्ति का रंग होगा। अब हर दूरंगी नीति तिरंगे में तब्दील होगी। उन्होने कहा कि हम तिरंगा लहरायेंगे और मिलकर इस देश को आगे बढ़ायेंगे। तिरंगा लहराने का मतलब है अपने वतन के लिये जीना, वतन को चमन बनाने के लिये, वतन में अमन लाने के लिये और हर भारतीय में देशभक्ति जगाने के लिये सब मिलकर कार्य करना। स्वामी जी ने कहा कि देव भक्ति अपनी-अपनी, देश भक्ति सबकी।भारत की महान, विशाल और गौरवशालीविरासत है। हमें इस देश की विशालता, विरासत में मिली है। हमें इस विरासत को सियासत में, बदले की भावना में और मेरा-तेरा में नहीं खोना है। हम सियासत को, तेरे-मेरे को भूलकर ईमानदारी के साथ अपनी गौरवशाली विरासत को सम्भालें। स्वामी ने सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत सारी बधाईयाँ देते हुये इस राष्ट्र की एकता, अखंडता, समरसता, सहिष्णुता और देश की रक्षा करने के लिये अपने प्राणों की आहुति देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।उन्होने गंगा के तट पर उपस्थित छात्रों को बापू, सुभाषचन्द्र बोस, चंद्र शेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरू आदि महापुरूषों को याद करते हुये कहा कि इन महापुरूषों ने देश में अमन और चैन को बनाये रखने के लिये अपने प्राणों को न्यौछावर किया उस बलिदान को याद करते हुये देश में शान्ति और सद्भाव बनायें रखना हम सभी का परम कर्तव्य है।
आज का दिन ऐतिहासिक नहीं होगा बल्कि आने वाले समय में यह भारत देश पूरे विश्व के लिये ऐतिहासिक देश होगा, ऐतिहासिक वतन होगा। उन्होने कहा कि दरिया तो बाहर बहता है वैसे ही हमारे दिलों के भीतर मोहब्बत का दरिया, भाईचारे की गंगा बहना चाहिये।मुख्य इमाम डाॅ इमाम उमर अहमद इलियासी जी आज 15 अगस्त के मौके पर गंगा के किनारे परमार्थ निकेतन में गुरूकुल के बच्चे और मदरसों के बच्चे ने मिलकर पहली बार भारत की आजादी का जश्न मनाया। उन्होने शहीदों और देश वासियों को मुबारकबाद देते हुये कहा कि हम सभी को मिलकर चलने की जरूरत है तथा देश को इस समय जो असल जरूरत है वह है भाईचारे की। भाईचारे की इस समारोह से बड़ी मिसाल पूरे हिन्दुतान में कहीं नहीं मिल सकती। हिन्दुतान के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि मदरसों के बच्चे व गुरूकुल के बच्चे एक साथ आकर देश का सबसे बडा पर्व मना रहे है। उन्होने कहा 15 अगस्त को मदरसा चलकर आया गुरूकुल में अब आगामी 26 जनवरी को गुरूकुल चलकर दारूम उलेम देवबंद मदरसा में, यह तो शुरूआत है। हमें परमार्थ निकेतन ने, ऋषिकेश के वासियों ने जो सम्मान दिया है जो मोहब्बत का पैगाम दिया है उसे हम कभी नहीं भूला पायेंगे। उन्होने कहा आईये हम सब मिलकर भारत को मजबूत करे; भारतीयता को मजबूत करे। हमारे धर्म अलग हो सकते है; इबादत के तरीके अलग हो सकते है लेकिन हम सब भाई है, हम सभी भारतीय है
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि आज हम सच्चे अर्थों में हम यहां पर भारत के दर्शन कर रहे है। यहां आज सभी अपने हाथों से हाथ मिलाकर दिलों से दिल मिलाकर तिरंगा फहरा रहे है यही सच्चा भारत दर्शन है। भारत के पास विज्ञान है, तकनीकी है परन्तु उससे भी बड़ी चीज है ’एकता’। उन्होने कहा कि स्वतंत्रता का मतलब है हमारे अन्दर जो बाॅर्डर, बाउंड्री और सेपरेशन है मुक्त होना, स्वतंत्र होना ही सच्चे अर्थों में हमारी स्वातंत्रता है।आज पूरे विश्व को सबसे ज्यादा जरूरत एकता की है जो कि भारत के पास है।
मौलाना मुफ़्ती जुल्फिकार साहब शाही ईमाम उत्तरप्रदेश ने कहा कि आप और हम मादरे वतन की आजादी का जश्न मना रहे है और यहां पर स्वामी जी एवं ईमान साहब ने गंगा जमनी तहजीब को इकट्ठा किया है यह काबिले तारीफ है। उन्होने कहा कि इन दोनों धर्मगुरूओं ने यहां पर मोहब्बत की गंगा बहा दी है यह मोहब्बत हमारे दिलों में जिंदा रहे यही संदेश यहां से लेकर जायें।मौलाना मीराज कांधलवी ने कहा कि आज दिलों में जजबात ऐसे बह रहे है जैसे गंगा बह रही है, आज मेरे पास परमार्थ निकेतन में हो रहे समारोह को देखकर अल्फ़ाज नहीं बचे बोलने के लियें। उन्होने कहा कि यह समारोह पूरी दुनिया के लिये एक संदेश है यहां से हम दुनिया को इसांनियत का मानवता का संदेश दे रहे है और कहा कि आज भगतसिंह की अश्फाक उल्ला खाँ की रूह खुश हो रही होगी इन दो महान लोगों ने इसंानियत का पैगाम पूरी दुनिया को दिया है। भारत एक गुलदस्ता है जिसमें गुलाब भी है और चमेली है, इसमें सारे फुल है और यह गुलदस्ता जहां पर रखा है वह हिन्दुस्तान है।मौलाना असगर कासमी साहब शाही ईमाम ने कहा कि मुल्क की आजादी और कुर्बानी को याद करते हुुये कहा कि मैने आयत में पढ़ा है कि हमे मायूस नहीं होना चाहिये, आज का दिन यही संदेश दे रहा है कि आज भी भारत में स्वामी चिदानन्द सरस्वती और इलियासी साहब जैसे धर्मगुरू है जो केवल ओखोवत और भाईचारगी के लिये ही जीते है। उन्होने कहा कि आज के इस मंजर ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि हम अलग-अलग नहीं है हम सब एक है और नेक है।मौलाना आमिर जो देवबंद से आये है उन्होेने कुछ अयत गाकर सबके अन्दर देशभक्ति का संचार कर दिया उसे सुनकर सब गद्गद हो उठे ’’खुन बहे न अपनों का और न कोई दंगा हो एक हाथ में आबे जम्ज़ा एक हाथ में गंगा हो।
इस अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती महाराज, साध्वी भगवती सरस्वती , मौलाना हज़रत कासमी साहब शाही ईमाम हरियाणा, मौलाना असगर कासमी, मौलाना मुफ़्ती जुल्फिकार साहब शाही ईमाम उत्तरप्रदेश, मौलाना मीराज कांधलवी, मौलाना अहमद मदनी देवबंधी, मुफ़्ती मौलाना ताहिर मज़ाहिरी, मौलाना उस्मान शामली, मौलाना इरफान साहब कादरी, हाफिजअफज़र साहब तब्लीकी जमात, उलेमा हाफिज इतराम तलाबा,स्वामिनी अदित्यानन्द सरस्वती, आचार्य संदीप शास्त्री, मदरसा से आये छात्र, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार, मौलाना, मुफ़्ती, ईमाम, महात्मा और विश्व के विभिन्न देशों से आये योग जिज्ञासु एवं सैलानी उपस्थित रहे।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आजादी के 72 वें साल की सभी देशवासियों को शुभकामनायें दी और कहा कि 71 सालों तक भारत ने अनेक उपलब्धियाँ हासिल की परन्तु कुछ बातों पर अभी भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होने कहा, अब देश में कहीं भी न दूरंगी नीति होगी न दूरंगा रंग होगा, होगा तो केवल देशभक्ति का रंग होगा। अब हर दूरंगी नीति तिरंगे में तब्दील होगी। उन्होने कहा कि हम तिरंगा लहरायेंगे और मिलकर इस देश को आगे बढ़ायेंगे। तिरंगा लहराने का मतलब है अपने वतन के लिये जीना, वतन को चमन बनाने के लिये, वतन में अमन लाने के लिये और हर भारतीय में देशभक्ति जगाने के लिये सब मिलकर कार्य करना। स्वामी जी ने कहा कि देव भक्ति अपनी-अपनी, देश भक्ति सबकी।भारत की महान, विशाल और गौरवशालीविरासत है। हमें इस देश की विशालता, विरासत में मिली है। हमें इस विरासत को सियासत में, बदले की भावना में और मेरा-तेरा में नहीं खोना है। हम सियासत को, तेरे-मेरे को भूलकर ईमानदारी के साथ अपनी गौरवशाली विरासत को सम्भालें। स्वामी ने सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत सारी बधाईयाँ देते हुये इस राष्ट्र की एकता, अखंडता, समरसता, सहिष्णुता और देश की रक्षा करने के लिये अपने प्राणों की आहुति देने वाले जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की।उन्होने गंगा के तट पर उपस्थित छात्रों को बापू, सुभाषचन्द्र बोस, चंद्र शेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरू आदि महापुरूषों को याद करते हुये कहा कि इन महापुरूषों ने देश में अमन और चैन को बनाये रखने के लिये अपने प्राणों को न्यौछावर किया उस बलिदान को याद करते हुये देश में शान्ति और सद्भाव बनायें रखना हम सभी का परम कर्तव्य है।
आज का दिन ऐतिहासिक नहीं होगा बल्कि आने वाले समय में यह भारत देश पूरे विश्व के लिये ऐतिहासिक देश होगा, ऐतिहासिक वतन होगा। उन्होने कहा कि दरिया तो बाहर बहता है वैसे ही हमारे दिलों के भीतर मोहब्बत का दरिया, भाईचारे की गंगा बहना चाहिये।मुख्य इमाम डाॅ इमाम उमर अहमद इलियासी जी आज 15 अगस्त के मौके पर गंगा के किनारे परमार्थ निकेतन में गुरूकुल के बच्चे और मदरसों के बच्चे ने मिलकर पहली बार भारत की आजादी का जश्न मनाया। उन्होने शहीदों और देश वासियों को मुबारकबाद देते हुये कहा कि हम सभी को मिलकर चलने की जरूरत है तथा देश को इस समय जो असल जरूरत है वह है भाईचारे की। भाईचारे की इस समारोह से बड़ी मिसाल पूरे हिन्दुतान में कहीं नहीं मिल सकती। हिन्दुतान के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि मदरसों के बच्चे व गुरूकुल के बच्चे एक साथ आकर देश का सबसे बडा पर्व मना रहे है। उन्होने कहा 15 अगस्त को मदरसा चलकर आया गुरूकुल में अब आगामी 26 जनवरी को गुरूकुल चलकर दारूम उलेम देवबंद मदरसा में, यह तो शुरूआत है। हमें परमार्थ निकेतन ने, ऋषिकेश के वासियों ने जो सम्मान दिया है जो मोहब्बत का पैगाम दिया है उसे हम कभी नहीं भूला पायेंगे। उन्होने कहा आईये हम सब मिलकर भारत को मजबूत करे; भारतीयता को मजबूत करे। हमारे धर्म अलग हो सकते है; इबादत के तरीके अलग हो सकते है लेकिन हम सब भाई है, हम सभी भारतीय है
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि आज हम सच्चे अर्थों में हम यहां पर भारत के दर्शन कर रहे है। यहां आज सभी अपने हाथों से हाथ मिलाकर दिलों से दिल मिलाकर तिरंगा फहरा रहे है यही सच्चा भारत दर्शन है। भारत के पास विज्ञान है, तकनीकी है परन्तु उससे भी बड़ी चीज है ’एकता’। उन्होने कहा कि स्वतंत्रता का मतलब है हमारे अन्दर जो बाॅर्डर, बाउंड्री और सेपरेशन है मुक्त होना, स्वतंत्र होना ही सच्चे अर्थों में हमारी स्वातंत्रता है।आज पूरे विश्व को सबसे ज्यादा जरूरत एकता की है जो कि भारत के पास है।
मौलाना मुफ़्ती जुल्फिकार साहब शाही ईमाम उत्तरप्रदेश ने कहा कि आप और हम मादरे वतन की आजादी का जश्न मना रहे है और यहां पर स्वामी जी एवं ईमान साहब ने गंगा जमनी तहजीब को इकट्ठा किया है यह काबिले तारीफ है। उन्होने कहा कि इन दोनों धर्मगुरूओं ने यहां पर मोहब्बत की गंगा बहा दी है यह मोहब्बत हमारे दिलों में जिंदा रहे यही संदेश यहां से लेकर जायें।मौलाना मीराज कांधलवी ने कहा कि आज दिलों में जजबात ऐसे बह रहे है जैसे गंगा बह रही है, आज मेरे पास परमार्थ निकेतन में हो रहे समारोह को देखकर अल्फ़ाज नहीं बचे बोलने के लियें। उन्होने कहा कि यह समारोह पूरी दुनिया के लिये एक संदेश है यहां से हम दुनिया को इसांनियत का मानवता का संदेश दे रहे है और कहा कि आज भगतसिंह की अश्फाक उल्ला खाँ की रूह खुश हो रही होगी इन दो महान लोगों ने इसंानियत का पैगाम पूरी दुनिया को दिया है। भारत एक गुलदस्ता है जिसमें गुलाब भी है और चमेली है, इसमें सारे फुल है और यह गुलदस्ता जहां पर रखा है वह हिन्दुस्तान है।मौलाना असगर कासमी साहब शाही ईमाम ने कहा कि मुल्क की आजादी और कुर्बानी को याद करते हुुये कहा कि मैने आयत में पढ़ा है कि हमे मायूस नहीं होना चाहिये, आज का दिन यही संदेश दे रहा है कि आज भी भारत में स्वामी चिदानन्द सरस्वती और इलियासी साहब जैसे धर्मगुरू है जो केवल ओखोवत और भाईचारगी के लिये ही जीते है। उन्होने कहा कि आज के इस मंजर ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि हम अलग-अलग नहीं है हम सब एक है और नेक है।मौलाना आमिर जो देवबंद से आये है उन्होेने कुछ अयत गाकर सबके अन्दर देशभक्ति का संचार कर दिया उसे सुनकर सब गद्गद हो उठे ’’खुन बहे न अपनों का और न कोई दंगा हो एक हाथ में आबे जम्ज़ा एक हाथ में गंगा हो।
इस अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती महाराज, साध्वी भगवती सरस्वती , मौलाना हज़रत कासमी साहब शाही ईमाम हरियाणा, मौलाना असगर कासमी, मौलाना मुफ़्ती जुल्फिकार साहब शाही ईमाम उत्तरप्रदेश, मौलाना मीराज कांधलवी, मौलाना अहमद मदनी देवबंधी, मुफ़्ती मौलाना ताहिर मज़ाहिरी, मौलाना उस्मान शामली, मौलाना इरफान साहब कादरी, हाफिजअफज़र साहब तब्लीकी जमात, उलेमा हाफिज इतराम तलाबा,स्वामिनी अदित्यानन्द सरस्वती, आचार्य संदीप शास्त्री, मदरसा से आये छात्र, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार, मौलाना, मुफ़्ती, ईमाम, महात्मा और विश्व के विभिन्न देशों से आये योग जिज्ञासु एवं सैलानी उपस्थित रहे।
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