योग, दैवीय संबंध को प्रगाढ़ करने की विधा- शेरोन गैनोन

 ऋषिकेश। विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के चैथे दिन परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष  स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विश्व के 94 से अधिक देशों से आये योग जिज्ञासुुु, योग राजदूत  और योगाचार्य को प्रातःकाल माँ गंगा के तट पर दो घण्टे विशेष ध्यान एवं जप का अभ्यास कराया। महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती, अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती , योगाचार्य आभा सरस्वती , योगाचार्य गुरूमुख कौर खालसा, ने इस विशेष ध्यान कार्यक्रम का नेतृत्व किया।किस्टारिका, दक्षिण अमेरिका की राजदूत को  स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने आज सम्मानित किया। किस्टारिका की राजदूत ने परमार्थ निकेतन में योग सीखा ही नहीं सिखाया भी, वे योग की प्रसिद्ध शिक्षिका है। उन्होने  स्वामी  से आशीर्वाद ग्रहण किया, स्वामी  ने आशीर्वाद देते हुये कहा कि योग के क्षेत्र में आपका भविष्य हमेशा उज्वल रहे। स्वामी ने उनसे चर्चा के दौरान कहा कि इसी तरह दोनों देशों के मध्य संस्कृतिक आदान प्रदान होता रहा तो हमारे सांस्कृतिक सम्बंध मजबूत होगें। उन्होने कहा कि योग विश्व के लिये वरदान है और इस हेतु हम सभी को मिलकर कार्य करना चाहिये। उन्होने यह भी कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव और स्वामी  दर्शन करना मेरे जीवन का सबसे उत्तम आध्यात्मिक उत्सव है। परमार्थ गंगा तट की शान्ति और पवित्रता से प्रभावित होकर कहा कि मैं अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में प्रतिवर्ष सहभाग करना चाहती हूँ। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के उद्घाटन समारोह से प्रभावित होकर कहा कि यह उत्सव भावविभोर करने वाला था।इस अवसर पर प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक डाॅ ब्रूस लिप्टन, एच एस

   अरूण, एना फाॅरेस्ट, जोज कैलार्क, मोहन भण्डारी, गुरू शब्द सिंह खालसा, रूजुता दिवाकर, जुल्फ फेबर, भारत शेट्टी, अकीरा वाटामोटो, हिकारू हशिमोटो, राॅबर्टो मिल्लेटी, फ्रांसेस्का कैसिया, मर्ट गूलर एवं अर्जेंटीना, अफगानिस्तान, अफ्रीका, रूस, इजरायल, पेलस्टाईन, चीन, हांगकांग, सिंगापुर, ताईबान, इन्डोनेशिया, बैंकाक, फिलिस्तीन, ईरान, जापान, केन्या, इटली, अमेरिका, यमन, जापान, जर्मनी, ब्राजील, नार्वे, यूके और कई अन्य राष्ट्रों से आये योग राजदूतों ने सहभाग किया।परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, ’’ध्यान, के लिये प्रयत्न नहीं बल्कि ध्यानमय होने की जरूरत है। जहां पर प्रयत्न होगा वहां ध्यान नहीं हो सकता; ध्यान करने की नहीं स्वतः होने की अवस्था है जिस तरह माँ गंगा अपने संगीत के साथ निरन्तर प्रवाहित होती है उसी प्रकार ध्यान को भी शरीर में प्रवाहित होने दे। उन्होने कहा कि जीवन में प्रेम, करूणा, उदारता, धैर्य और क्षमा आदि गुणों का विकसित होना ही ध्यान का प्रथम सोपान है।  ध्यान करने की नहीं जीने की विधा है।’’इस अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती  ने ’’माँ गंगा के धरती पर अवतरण की कथा का सार एवं वर्तमान में हमारे जीवन में उसका महत्व विषय पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किये। उन्होने कहा कि ’मुक्ति केवल वही नहीं है जो हमें मरने के बाद प्राप्त होती है या मुक्ति, मृत्यु के बाद होने वाली कोई घटना नहीं है। हमारा शरीर हमें बंधन में नहीं रखता बल्कि यह हमारी जीवन पद्धति होती है जिसके माध्यम से हम शरीर और मन से परिचित होते है। उन्होने कहा कि माँ गंगा को अपने अन्दर प्रवाहित होंने दो, तो शरीर के होते हुये भी मुक्ति प्राप्त हो जायेंगी। आध्यात्मिक व्याख्यान

  प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक डाॅ ब्रूस लिप्टन ने हमारी कोशिकाओं पर योग का प्रभाव विषय पर विज्ञान सम्मत विचार व्यक्त किये।दक्षिण अमेरिका के स्वामी परमाद्वैति  ने योग आॅफ लव (भक्तियोग) के विषय पर अपने विचार संगीतमय शैली में प्रस्तुत किये जिससे सभी भाव विभोर हो उठे।अमेरिका से आये कुण्डलिनी योग के विश्व प्रसिद्ध योगाचार्य गुरूशब्द सिंह ने कुण्डलिनी योग साधना का अभ्यास कराया। योगीऋषि विश्वकेतु ने शिव-भक्ति पावर योग जापान से आये योगाचार्य हिकारू हाशिमोटो ने जेन योग, अमेरिका से आयी योगाचार्य योशी ओनो ने भक्ति योग, अमेरिका से आयी केटी बी हैप्पी ने विन्यास योग का अभ्यास कराया।दूसरे सत्र में अमेरिका से आयी प्रसिद्ध योगाचार्य शेरोन गैनोन ने जीवमुक्ति योग के अभ्यास के साथ जीवमुक्ति योग के परिचय पाठ्यक्रम से भी अवगत कराया।  उन्होन कहा कि मनुष्य का एक मात्र कर्तव्य है भगवान को हमेशा याद रखना और दूसरों के प्रति दयालु बने रहना। शेरोन गैनोन एक विश्व प्रसिद्ध योग शिक्षक है और जीवमुक्ति योग की सह-संस्थापक भी हैं। शेरोन गैनोन,  न्यूयाॅर्क के कई प्रसिद्ध फिल्मी सितारों और राॅक सितारों की योग शिक्षक भी रही है। जो सभी प्राणियों के लिये करूणा के भाव का संदेश प्रसारित करती है।दोपहर के आध्यात्मिक सत्र में ’इनबाउंड योग विथ श्रीला’  दक्षिण अमेरिका के स्वामी परमाद्वैति  ने उद्बोधन दिया। बाली से आये डाॅ आंद्रे पेगे ने एपिजेनेटिक्स अर्थात जीन फंक्शन में पैतृक अनुवांशिक परिवर्तन’’ विषय पर अति महत्वपूर्ण जानकारी दी। अमेरिका से आयी डैफनी त्से ने ’योग आॅफ डांस एण्ड सोल’ तथा केटी फिशर ने हीलिंग साउंड बाथ का विशेष अभ्यास कराया।दोपहर के योगाभ्यास सत्र में ऋषिकेश मूल के व वर्तमान में चीन से आये प्रसिद्ध योगाचार्य मोहन भण्डारी कंधों के लिये विशेष योग का अभ्यास कराया। अमेरिका से आये टाॅमी रोजेन ने कुंडलिनी योग, आनंद मेहरोत्रा ने सत्व योग, इटली के राॅबर्टो मिललेटी ने ओदाका योग, अमेरिका के शाऊल दाऊद राय ने प्राण शक्ति का आनलाॅक का अभ्यास कराया। जोआना फासो ने मानसिक स्वास्थ्य हेतु मंत्र योग कराया।तत्पश्चात सभी वैश्विक योग साधकोेेें
 ने परमार्थ निकेतन गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती में सहभाग कर मंत्र मुग्ध कर देने वाले कीर्तन एवं के दर्शन एवं उद्बोधन का लाभ लिया।सांयकालीन सत्र  में प्रतिभागियों ने कीर्तन का आनन्द लिया। भारतीय पारंपरिक शैली में मंत्रमुग्ध कर देने वाला संगीत कीर्तनकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें भक्ति योग, भक्ति गायन, कीर्तन, मंत्र उच्चारण आज का मुख्य आकर्षण रहा।योगाचार्यों के विचार- योगाचार्य शेरोन गैनोन- ’’योग की शिक्षाओं  के माध्यम से हम अपने दैवीय संबंधों को प्रगाढ़ बना सकते हैं इसके लिये हमें अपनी तीन गतिविधियों पर विशेष ध्यान देना होगा, जो जागरूक है उनके साथ मिलकर ज्ञान प्राप्त करना, पवित्र स्थानों का दर्शन और आध्यात्मिक गुरूओं के विचारों को आत्मसात करना। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव हमें इन तीनों गतिविधियों का समन्वय है, यह महोत्सव हमें मौंका उपलब्ध है।योगाचार्य एडम बायर - ऋषियों के देश भारत में दुनिया भर के योग साधकों का एकत्र होकर मंत्र जप, ध्यान, योग अन्य आयामों को; विधाओं को महान गुरूओं के सान्निध्य में, सकारात्मक ऊर्जा एवं आध्यात्मिक वातावरण में आत्मसात करना तथा माँ गंगा के तट पर उनके जल से उत्पन्न कीर्तन का आनन्द लेना वास्तव में स्वर्ग की अनुभूति से कम नहीं है।29 वें वार्षिक विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन परमार्थ निकेतन, आयुष मंत्रालय- भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है। इस विश्व विख्यात कार्यक्रम की मेजबानी परमार्थ निकेतन द्वारा सन 1999 से निरन्तर की जा रही है। इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में विश्व के 20 देशों के 90 से अधिक  संत एवं योगाचार्य सम्मिलित हो रहे हैं। इस बार अन्तर्राष्ट्रीय योग महापर्व में सम्मिलित होने के लिये सम्पूर्ण विश्व के लगभग 94 देशों के 1500 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभाग किया हैै और लगातार दुनिया के विभिन्न देशों के योग जिज्ञासु इस महोत्सव में सहभाग हेतु पंजीयन करा रहे।अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में पूरे सप्ताह योग की 200 से अधिक कक्षायें प्रातः 4ः00 बजे से रात 9ः30 बजे तक सम्पन्न हो रही हैं जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, आयंगर योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सोमैटिक योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, भरत योग, गंगा योग, लीला योग, डीप योग आदि एक सप्ताह तक प्रस्तुत किये जाने वाले 150 योगों के मुख्य प्रारूप हैं। इसके अतिरिक्त  ध्यान, मुद्रा, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, रेकी एवं भारतीय दर्शन की भी कक्षायें सम्पन्न हो रही हंै।

Comments

Popular posts from this blog

रुद्रप्रयाग के पास दो लोग स्कूटी समेत खाई में गिरे

चोरी की स्कूटी के साथ दो अरोपी को पकड़ा

लोगों को बीमा पॉलिसी का लालच देकर,ठगी करने वाले तीन शातिर गिरफ्तार